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    फारूख अब्दुल्ला को आई पंडितों की याद, पलायन की जांच की मांग की

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/कश्मीर/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. फारूख अब्दुल्ला ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35 ए हटाने के एक साल पूरा होने पर एक वेबिनार में कहा कि कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए मुसलमान जिम्मेदार नही है। आज भी कश्मीर का मुसलमान मानता है कि कश्मीरी पंडितों के बगैर कश्मीर अधुरा है। इसके लिए उन्होने उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत जज से कश्मीरी पंडितों के पलायन की जांच कराने की मांग करते हुए कहा कि तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन इस पलायन के जिम्मेदार है। जो वापसी का तीन महीने के झूठा वादा कर उन्हे बाहर ले गये थे जिसकारण आज तक कश्मीरी पंडित अपने घर नही लौट पाये।
    उन्होने कहा कि पुराने आदेश रद्द कर नया आदेश लागू होने और अनुच्छेद 370 व 35-ए को निष्क्रिय करने के एक साल बाद कश्मीर में क्या हालात है और पहले क्या थे यह सब साफ हो जायेगा यदि केंद्र सरकार इस विषय पर उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या न्यायाधीशों के दल को जांच करने दें और रिपोर्ट आने दीजिए। इससे युवा कश्मीरी पंडितों की बहुत सारी आशंकाएं दूर हो जाएंगी और पता चलेगा कि उन्हें कश्मीरी मुसलमानों ने बाहर नहीं निकाला। अब भी कई कश्मीरी पंडित हैं, जिन्होंने कभी घाटी नहीं छोड़ी और अब भी वहां रह रहे हैं।
      उन्होंने कई घटनाओं का उल्लेख कर बताया कि 1947 से अब तक कश्मीरी पंडितों के लिए मुसलमान हर मौके पर खड़े रहे हैं। कहा- क्या आप मानते हैं कि हम कश्मीरी पंडितों के जाने से खुश हैं। हमारा मानना है कि कश्मीर तब तक पूर्ण नहीं होगा, जब हिंदू वापस नहीं लौटेंगे और शांति से फिर एक साथ नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा कि वह अपनी पार्टी की इस विचारधारा पर कायम रहेंगे कि चाहे कोई किसी भी धर्म को मानता हो उनके लिए सभी एक समान हैं। मेरे पिता ने कभी भी दो राष्ट्र के सिद्धांत को स्वीकार नहीं किया। वह कभी नहीं मानते थे कि मुस्लिम, हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध और अन्य धर्म अलग हैं। उन्होंने खुद भी हमेशा एकता के लिए काम किया है और आखिरी दम तक यही करते रहेंगे।
    वेबिनार में फारूक से पूछा गया कि क्या वह कश्मीरी पंडितों के संगठन पनुन कश्मीर की ओर से पिछले साल दिसंबर में लाए गए उस जनसंहार विधयेक का समर्थन करेंगे, जिसमें अलग होमलैंड की मांग की गई है? इस पर उन्होंने कहा कि वह पहले विधेयक को पढ़ेंगे। विधेयक में नरसंहार की जांच के लिए अलग बोर्ड तथा आयोग के गठन की भी मांग की गई है।

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