
मानसी शर्मा /- हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव के नतीजे 8अक्टूबर को घोषित होने वाले हैं, लेकिन राजनीतिक माहौल पहले से ही गर्म हो चुका है। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) और विपक्षी कांग्रेस के नेताओं के बीच जुबानी जंग का एक नया अध्याय शुरू हो गया है। दोनों दलों के नेता अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं, जिससे चुनावी माहौल में ताजगी बनी हुई है।
दीपेंद्र हुड्डा का जीत का दावा
कांग्रेस के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, जो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे हैं, उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी पार्टी की जीत का दावा किया है। उन्होंने कहा, “हम राहुल गांधी के नेतृत्व में सरकार बनाकर गोहाना के जलेबी का डिब्बा 8की शाम आपके पास जरूर भेजेंगे।“ यह टिप्पणी मुख्यमंत्री सैनी के एक बयान पर आई, जिसमें उन्होंने जलेबी को लेकर तंज कसा था।
सीएम सैनी का आश्वासन
सीएम सैनी ने तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनाने का विश्वास व्यक्त करते हुए कहा है कि उनके पास सभी आवश्यक व्यवस्थाएं हैं। यह दावा ऐसे समय में आया है जब कई एग्जिट पोल कांग्रेस की संभावित जीत का संकेत दे रहे हैं। ऐसे में, सवाल यह है कि सैनी किन व्यवस्थाओं का जिक्र कर रहे हैं।
बीजेपी की रणनीति
सैनी का दावा बीजेपी की त्वरित निर्णय लेने की छवि पर आधारित है। 2019के चुनावों में, जब कांग्रेस ने हंग असेंबली की संभावनाएं टटोल रही थी, बीजेपी ने दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने की घोषणा कर दी थी। सैनी का संकेत इस ओर है कि अगर परिणाम पूर्व की तरह रहे, तो पार्टी के पास उचित विकल्प मौजूद होंगे।
संभावित गठबंधनों पर चर्चा
1- आईएनएलडी की भूमिका
बीजेपी अब चौटाला परिवार की मूल पार्टी इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) पर ध्यान केंद्रित कर रही है। कहा जा रहा है कि गोपाल कांडा की भूमिका इस गठबंधन में महत्वपूर्ण हो सकती है।
2- जेजेपी का पुनर्मिलन
यदि चुनाव परिणाम 2019जैसे रहते हैं, तो बीजेपी जेजेपी को फिर से अपने साथ लाने में संकोच नहीं करेगी। दोनों दलों ने पहले भी मिलकर सरकार चलाई थी।
3- निर्दलीय और बागी नेता
चुनाव में कई नेता टिकट न मिलने के कारण निर्दलीय मैदान में उतर चुके हैं। बीजेपी उन निर्दलीयों पर नजर रख रही है जिनके चुनाव जीतने की संभावनाएं हैं।
4- अन्य दलों के महत्वाकांक्षी विधायक
राजनीति में महत्वाकांक्षा एक महत्वपूर्ण पहलू है। बीजेपी की रणनीति अन्य दलों के महत्वाकांक्षी विधायकों को चिह्नित कर उनकी महत्वाकांक्षा को हवा देने की हो सकती है।
हरियाणा चुनाव के नतीजों के पहले की यह जुबानी जंग न केवल राजनीतिक परिदृश्य को रोचक बना रही है, बल्कि यह संभावित गठबंधनों और चुनावी रणनीतियों पर भी प्रकाश डाल रही है। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी पार्टी अपनी स्थिति को मजबूती से पेश कर पाती है।
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