
नई दिल्ली/- हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का मानना है कि पीएम मोदी और हिमाचल प्रदेश की जनता के बीच गहरा संबंध है, इसका फायदा भाजपा को मिलेगा। हालांकि राज्य में ’पुरानी पेंशन’ का मुद्दा, भाजपा के लिए कमजोर कड़ी साबित हो रहा है। वे न तो खुल कर पुरानी पेंशन लागू करने का वादा कर पा रहे हैं और न ही उसकी खिलाफत कर पार रहे हैं। जिसकारण उन्हे प्रदेश की चुनावी पिच पर 50/50 में खेलाना पड़ रहा है। दूसरी ओर, विपक्षी पार्टियां हैं, जो इस मुद्दे पर खुल कर खेल रही हैं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने सत्ता में आने के बाद प्रदेश में ’पुरानी पेंशन’ लागू करने का वादा कर दिया है।
केंद्रीय नेतृत्व करेगी लागू करने का फैसला
हिमाचल प्रदेश में विपक्ष द्वारा रोजगार और महंगाई की बात भी की जा रही है, लेकिन अभी तक ये मुद्दे उतने हावी नहीं हो सके हैं, जितनी तेज रफ्तार से पुरानी पेंशन का मसला आगे बढ़ा है। प्रियंका गांधी ने सोलन में शुक्रवार को अपनी पहली चुनावी रैली में कहा, अगर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनती है तो सरकारी कर्मियों की ’पुरानी पेंशन’ लागू करने की मांग पूरी कर दी जाएगी। अरविंद केजरीवाल ने भी ऐसा ही वादा किया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, इस मसले पर कई दफा पहले भी घिर चुके हैं। उन्होंने एक अनौपचारिक बात में यह स्वीकार किया था कि ये गंभीर मुद्दा है। चूंकि ये पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा कि देश में दोबारा से पुरानी पेंशन लागू हो या नहीं। केंद्र सरकार में भी विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों के कर्मचारी संगठन भी पुरानी पेंशन की मांग कर रहे हैं। संसद सत्र में भी इस बाबत सवाल पूछे गए हैं। इसके बावजूद केंद्र सरकार ओपीएस के मुद्दे को सिरे से नकार चुकी है।
कांग्रेस पार्टी के नेता अपनी जनसभाओं में यह आश्वासन दे रहे हैं कि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो बिना किसी देरी के पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा। कांग्रेस पार्टी ने छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू कर दी है। भाजपा के मुख्यमंत्रियों के लिए यह मुद्दा, गले की फांस बना हुआ है। वे इस पर खुल कर कुछ नहीं बोलते। केवल इतना कह देते हैं कि इस परप्रधानमंत्री मोदी ही कोई निर्णय ले सकते हैं। हिमाचल प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर यह बात मानते हैं कि चुनाव में यह एक मुद्दा है। हालांकि वे इसे अपने तरीके से परिभाषित करने लगते हैं। वे कहते हैं कि भाजपा के कार्यकाल में युवाओं को भरपूर सरकारी नौकरियां मिली हैं। सरकारी एवं निजी क्षेत्र में रोजगार उत्पन्न करने का ग्राफ देखें तो दोनों पार्टियों की तुलना में भाजपा, कांग्रेस को बहुत पीछे छोड़ चुकी है।
वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में खत्म हुई थी ओपीएस
मीडिया के एक सवाल के जवाब में ठाकुर ने कहा, प्रियंका गांधी को यह नहीं भूलना चाहिए कि पुरानी पेंशन स्कीम को कांग्रेस सरकार ने ही खत्म कर दिया था। कांग्रेस को इसके लिए सरकारी कर्मचारियों से माफी मांगनी चाहिए। केंद्र ने जब पहली जनवरी 2004 से पुरानी पेंशन को खत्म कर एनपीएस लागू किया, तो उस वक्त प्रदेश के सीएम वीरभद्र सिंह थे। उन्होंने ओपीएस को समाप्त किया था। प्रियंका द्वारा किए गए वादे के बारे में जयराम ठाकुर ने कहा, उन्हें पहले कांग्रेस शासित राज्यों में ओपीएस का अध्ययन करना चाहिए। वे खुद भी जानती हैं कि ओपीएस को लागू करना मुश्किल है।
चूंकि हिमाचल प्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका है, तो सीएम ठाकुर इस मुद्दे पर ’एकतरफा’ होने का नतीजा जानते हैं, इसलिए वे इस मुद्दे को घुमा देते हैं। वे कहते हैं, सरकारी कर्मचारियों ने भाजपा का साथ दिया है। कर्मचारियों को ये भी मालूम है कि पुरानी पेंशन योजना दोबारा तभी लागू हो सकती है, जब राज्य में भाजपा को दोबारा से मौका दिया जाए। केंद्र की सलाह से ही यह निर्णय लेना संभव होगा। ऐसे में कांग्रेस पार्टी के लिए दशकों तक केंद्र की सत्ता में आने ख्वाब देखना बेमानी है। हिमाचल के कर्मचारी, कांग्रेस पार्टी के बहकावे में नहीं आएंगे।
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