
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- केन्द्रीय आर्य युवक परिषद ने हिन्दुत्व व राष्ट्र के सजक प्रहरी वीर बंदा बैरागी के 304 वे बलिदान दिवस पर आर्य विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि वीर बंदा बैरागी ने मुगल सल्तनत के विरुद्ध संघर्ष का बिगुल बजाया और जमींदारी प्रथा व अत्याचारों के विरुद्ध एक नई क्रांति को जन्म दिया था,आप भारतीय इतिहास के वो स्वर्णिम हस्ताक्षर है जिन पर प्रत्येक भारतीय का सीना गर्व से ऊंचा हो जाता है।इनका पूरा नाम बाबा बन्दा सिंह बहादुर था।दिल्ली के होर्डिंग लाइब्रेरी के स्थान पर उनके टुकड़े टुकड़े करके वध किया गया था।उनके 794 साथी पकड़ कर लाये गए और प्रतिदिन 100 सिखों का वध किया जाता रहा,पर उन्होंने इस्लाम स्वीकार नहीं किया।आज की युवा पीढ़ी को अपने देश के महान बलिदानियों का जीवन पढ़ना चाहिए। बन्दा बैरागी हजारों सिख सैनिकों को साथ लेकर पंजाब की ओर चल दिये।उन्होंने सबसे पहले श्री गुरु तेगबहादुर जी का शीश काटने वाले जल्लाद जलालुद्दीन का सिर काटा। फिर सरहिन्द के नवाब वजीरखान का वध किया।
प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि वीर बंदा वैरागी का जन्म 27 अक्टूबर 1670 को ग्राम तच्छल किला,पुंछ रजौरी (कश्मीर) में श्री रामदेव के घर हुआ और गुरु गोबिंद सिंह जी से प्रेरणा लेकर मुगल साम्राज्य के विरुद्ध युद्ध किया और कई युद्ध जीते। प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने कहा कि हिंदू जाति की सुप्त नसों में उष्ण रक्त का संचार वैरागी जी ने किया।साथ ही उन्होंने कहा कि वीर बन्दा बैरागी के जीवन चरित्र को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करना चाहिए जिससे आज की युवा पीढ़ी उनसे प्रेरणा ले सके। इस अवसर पर सरदार भगत सिंह देओल, प्रकाशवीर शास्त्री, प्रगति गुप्ता, सुदेशवीर आर्य, सूर्यदेव आर्य, ओम सपरा, वीरेन्द्र आहूजा, प्रवीन आर्या, वीना वोहरा, किरण सहगल आदि ने विचार रखे।
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