नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नजफगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- पिछले एक महीने से टीवी मिडिया, अखबारों, सोशल मीडिया के माध्यम से सुशांत राजपूत की असामायिक संदिग्ध मृत्यु के मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग तेज हो गई है और अब तो आलम ये है बिहार सरकार भी इस संजीदा मामले में कूद पड़ी। इस संबंध में अपने विचार व्यक्त करते हुए महासचिव कॉनफैडरेसन आफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन के महासचिव रणवीर सिंह ने कहा कि हमें सुशांत राजपूत से कोई गिला नहीं लेकिन केंद्र सरकार द्वारा हमारे अर्ध-सेैनिक बलों के जवानों के साथ जो बराबर भेदभाव हो रहा है खास कर शहादत व सुविधाओं को लेकर उसका हम कड़ा विरोध करते हैं। आज एक आम प्रचलन सा बन गया है कि ट्वीट किया और पल्लू झाड़ लिया। साथ ही उन्होने कहा कि देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाड़ी को करोड़ों रुपए ईनाम और जो देश के लिए जान कुर्बान करें उसको पांच से दस लाख। ढाई दिन के सांसद को पैंशन और जो देश की संसद व भगवान रामलला को आतंकी हमले से बचाए उन जवानों की पैंशन बंद। आखिर जवानों के साथ यह भेदभाव कब तक, देश के सामने यह एक गंभीर सवाल है जिसका सरकार को जवाब देना ही होगा।
श्री सिंह ने कहा कि 13 फरवरी को पुलवामा में विभत्स जघन्य कांड को पाक की शह पर दहशतगर्दों ने अंजाम दिया जिसमें 40 सीआरपीएफ जवानों ने देश के लिए सुप्रीम शहादत दी। जिसपर आज तक कोई नेता, अभिनेता या राज्य सरकारें आगे नहीं आई कि पुलवामा आतंकी हमले की जांच भी सीबीआई या किसी सुप्रीम कोर्ट के जज द्वारा जांच की जानी चाहिए ताकि असली सच्चाई व गुनहगार सबके सामने आ सकें। एनआईए जिसकी लीपापोती वाली जांच आज तक अधुरी है और उपर से इंतहा हो गई जब डीएसपी देवेंदर सिंह को एनआईए द्वारा जमानत दे दी गई जबकि उक्त डीएसपी की पुलवामा आतंकी हमले में संदिग्ध भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।
उन्होने कहा कि अभी पिछले दिनों थ्री एक्स वैब सिरीज एएलटी बालाजी टेलीफिल्म्स द्वारा सेनाओं की विरांगनाओं के चरित्र पर घटिया फिल्मांकन करने का एकता कपूर द्वारा ग्लैमरस फिल्मांकन किया गया। याद रहे यह वही हिरोइन जिसको बीते साल सरकार ने पद्म श्री सम्मान से सम्मानित किया था। उक्त भौंडे फिल्मांकन करने पर कॉनफैडरेसन आफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन द्वारा महामहिम राष्ट्रपति जी को एकता कपूर से पद्मश्री सम्मान वापस लिए जाने की गुहार भी लगाई गई थी। वहीं उन्होने एक और महत्वपूर्ण सवाल जब डीजीपी कश्मीर की मौजूदगी में आईजी कश्मीर विजय कुमार द्वारा पिछले दिनों सीआरपीएफ बलों की भूमिका पर सवाल दागा, जो कि 1989 से आज तक धधकते कश्मीर को बखूबी संभाले हुए हैं और सैंकड़ों जवान शहीद हो गए। क्या हक है एक आईजी को इस तरहां से दहशतगर्दों जैसी भाषा का इस्तेमाल करने का, सरकार ने आज तक इस मामले में क्यो नही कार्यवाही की। आज भी ये आईजी शान से अपने बयान पर कायम हैं जोकि महान फोर्स सीआरपीएफ के प्रति दिया गया। केंद्रीय गृहमंत्री जी ने कोई कार्रवाई नहीं की बेहतर होता कि उसको निलंबित कर जांच शुरू की जाती ताकि फोर्स के जवानों का मनोबल बढ़ता।
महासचिव रणबीर सिंह ने कहा कि जो राष्ट्र अपने शहीदों का सम्मान नहीं करते उनका हश्र कैसा होगा, आने वाली भावी पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेगी। हमें सुशांत राजपूत से कोई गिला नहीं लेकिन केंद्र सरकार द्वारा हमारे अर्ध-सेैनिक बलों के जवानों के साथ जो बराबर भेदभाव हो रहा है खास कर शहादत व सुविधाओं को लेकर उसका हम कड़ा विरोध करते हैं। आज एक आम प्रचलन सा बन गया है कि ट्वीट किया ओर पल्लू झाड़ लिया। याद दिलाना चाहेंगे जब ऊंची जाति के दबंगों द्वारा फिरोजाबाद जिले के सीआरपीएफ शहीद सिपाही वीर सिंह के अंतिम संस्कार के लिए दो गज जमीन के लाले पड़ गए थे। इससे बड़ी देश के लिए शर्म की बात ओर क्या हो सकती है। देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाड़ी को करोड़ों रुपए ईनाम और जो देश के लिए जान कुर्बान करें उसको पांच से दस लाख। ढाई दिन के सांसद को पैंशन अैेर जो देश की संसद व भगवान रामलीला को आतंकी हमले से बचाए उन जवानों की पैंशन बंद। आखिर जवानों के साथ यह भेदभाव कब तक, देश के सामने यह एक गंभीर सवाल जिसका सरकार को जवाब देना ही होगा।
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