• DENTOTO
  • दूध के दाम होंगे 100 लीटर, डीजल के दाम के विरोध में किसान महापंचायत का ऐलान

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    July 2025
    M T W T F S S
     123456
    78910111213
    14151617181920
    21222324252627
    28293031  
    July 14, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    दूध के दाम होंगे 100 लीटर, डीजल के दाम के विरोध में किसान महापंचायत का ऐलान

    -किसान आंदोलन का दायरा बढ़ा रही किसान यूनियने, सरकार को चैतरफा घेरने की कोशिश -किसान और सरकार के बीच पिस रहे आम आदमी, रास्ते बंद होने से झेल रहे परेशानी

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कृषि कानूनों के खिलाफ एकबार फिर किसान एकजुट होने शुरू हो गये हैं। दिल्ली सीमा पर किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं तो किसान नेता महापंचायतें कर आमजन का भी समर्थन जुटाने का प्रयास कर रहे है। हालांकि अभी तक सरकार ने किसानों की बात नही मानी है जिसे देखते हुए किसानों ने विरोध का दायरा बढ़ाना शुरू कर दिया है। जिसके तहत किसानों ने सरकार को चैतरफा घेरने के लिए एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि किसान सरकार के डीजल के दामों मे बढ़ोतरी के खिलाफ दूध के दाम 50 रूपये से 100 रूपये कर इसका जवाब देगी। भारतीय किसान यूनियन के जिला प्रधान मलकीत सिंह ने बताया कि दूध के साथ-साथ सब्जियों के भी दामों में बढ़ोतरी की जायेगी ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके।
    इससे पहले किसानों की तरफ से खड़ी फसल को बर्बाद करने का सिलसिला शुरू किया गया था। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सरकार को चेतावनी देते हुए फसल तक को जला देने की बात कही तो किसानों ने अपनी फसलों की जुताई करनी शुरू कर दी थी। अब किसान नेताओं को फसलों को नष्ट नहीं करने की अपील करनी पड़ रही है और फसल जलाने का मतलब फसल की देखरेख नहीं करने की बात कहकर समझाना पड़ रहा है। किसानों को बैठक में बताया जा रहा है कि उनको फसलों की जुताई नहीं करनी है, क्योंकि उससे सरकार की जगह किसानों का नुकसान होगा।
    ढांसा बार्डर पर बैठे भारतीय किसान यूनियन के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विरेन्द्र डागर ने कहा कि राकेश टिकैत के फसलों को जलाने का गलत अर्थ निकाला जा रहा है। उन्होने फसल नष्ट करने के लिए नहीं कहा था। बल्कि उनका कहने का मतलब था कि सरकार मांग पूरी नहीं करती है तब भी किसान बार्डर पर डटें रहेगे और फसलों को नष्ठ करने की बजाये उनकी देखरेख दूसरे साथी करेंगे। वहीं कुंडली बार्डर पर महासचिव शमशेर दहिया ने कहा कि किसानों को खुद भी फसल नष्ट नहीं करनी है और अपने गांवों के किसानों को ऐसा नहीं करने की बात समझानी है। इसके साथ ही किसानों से बॉर्डर पर पहुंचकर आंदोलन मजबूत बनाए रखने का आह्वान करना है।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox