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    मालिकाना हक को लेकर भूमिहीनों ने भरी नजफगढ़ में हूंकार

    नजफगढ़ मेट्रो न्यूज़/ द्वारका /नई दिल्ली/ शिव कुमार यादव/ भावना शर्मा/- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के भूमिहीन गरीबों दलितों व पूर्व फौजियों को 20 सूत्री कार्यक्रम के तहत मिली जमीनों का मालिकाना हक नहीं मिलने को लेकर उक्त वर्गों में काफी रोष व्याप्त है । हालांकि उक्त वर्गों के लोग पिछले काफी समय से जमीनों के मालिकाना हक को के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल, सीएम, केंद्रीय गृहमंत्री, प्रधानमंत्री व महामहिम राष्ट्रपति से मुलाकात कर चुके हैं लेकिन वर्षों से चली आ रही उनकी समस्या का अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है । ग्रामीण अब आर पार के मूड में दिखाई दे रहे हैं , जिसके चलते पूरी दिल्ली से आए भूमिहीन ग्रामीणों ने नजफगढ़ देहात के खरखारी नहर में महापंचायत कर न केवल अपने हकों की हूंकार भरी बल्कि अपनी मांगों को लेकर प्रशासन व सरकार पर दबाव बनाने के लिए नेताओं का बहिष्कार करने का फैसला भी सर्वसम्मति से लिया।


    इस अवसर पर महापंचायत में लोगों को संबोधित करते हुए दिल्ली देहात जन कल्याण मंच के महासचिव अशोक अहलावत ने बताया कि दिल्ली व केंद्र सरकार की मंशा 74/4 अधिनियम के तहत दी गई जमीनों से गरीबों व दलितों को बेदखल करने की बनी हुई है जबकि उक्त भूमि के लिए गरीब व दलित काफी संघर्ष कर रहे हैं । दिल्ली सरकार ने 21 मई 2012 को अपने फैसला नंबर 1891 में सभी भूमिहीन अलाठियोर को आवंटित जमीनों का मालिकाना हक प्रदान करने का निर्णय लिया था और इस निर्णय को लागू करने के लिए उपराज्यपाल के पास फाइल भेज दी थी लेकिन महामहिम उपराज्यपाल ने उक्त फाइल का अनुमोदन करने की बजाय उसे केंद्र सरकार के पास भेज दिया जिसके बाद से यह मामला लटकता चला आ रहा है । कभी केंद्र इसे राज्य सरकार के पाले में डाल देता है तो कभी राज्य सरकार इस पर केंद्र के रवैया को लेकर सवाल उठाती दिखाई देती है। यहां यह भी बताना जरूरी है कि हजारों गरीब दलितों वह छोटे किसान लगातार आवंटित जमीन के मालिकाना हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं फिर भी मंत्रियों व नेताओं पर कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है और गरीब दिल्ली व केंद्र सरकार की मनमानी यों के बीच लगातार पिस रहे हैं।
    वहीं मंच के अध्यक्ष स्वरूप सिंह ने बताया कि उनके मंच ने इस मामले ने मंत्रियों से लेकर प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति तक से भूमिहीनों को मालिकाना हक दिए जाने की मांग की है। इस समय मामला गृह मंत्रालय के पास विचाराधीन है, जिसके लिए मंच लगातार दिल्ली सरकार व केंद्र सरकार से संपर्क कर रहा है ताकि गरीबों व दलितों को उनका वाजिब हक मिल सके।
    यहां यह बात भी सोचनीय है कि देश के कई राज्यों में 20 सूत्री कार्यक्रम के तहत मिली जमीनों का मालिकाना हक गरीबों व दलितों को दिया जा चुका है लेकिन दिल्ली एक ऐसा राज्य है जहां 10 हजार लोगों को इस तरह की जमीन आवंटित की गई थी। जिसमें से करीब 25 सौ भूमिहीनों को आवंटित जमीनो का भूमिधर किया जा चुका है जबकि सरकार को चाहिए था कि 10 हजार गरीबों को विशेष खसरा नंबर के तहत उन्हें भूमिधर की बजाय जमीनों का पूर्ण मालिकाना हक देना चाहिए था लेकिन सरकार के टालमटोल के रवैया से यही प्रतीत हो रहा है कि सरकार उक्त जमीनों को आवनटियों को देना नहीं चाहती है और इसमें से भी कई जगह तो दिल्ली सरकार ने आवंटी जमीन वापस लेकर उनपर दूसरे कार्य आरंभ कर दिए हैं, जिसका मंच ने पुरजोर विरोध किया है और यह फैसला लिया है कि सरकार को इन जमीनों का मालिकाना हक लोगों को देना ही होगा वरना भूमिहीन किसान नेताओं व मंत्रियों का हर स्तर पर विरोध करेंगे।
    रविवार को नजफगढ़ के खरखड़ी नाहर में हुई। महापंचायत में पूरी दिल्ली से आए किसानों ने सर्वसम्मति से नेताओं का बहिष्कार करने व जंतर मंतर पर बड़ा आंदोलन चलाने के प्रस्ताव को पास किया है। इस अवसर पर प्रीत सिंह घुम्मनहेड़ा, विनोद कुमार, दयाराम ,भगवान सिंह, गंगाराम व प्रेम कुमार ने भी लोगों को संबोधित किया । महापंचायत में पूरी दिल्ली से करीब 20 गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने भाग लिया।

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