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    हरियाणा में ई-टेंडरिंग पर सीएम-सरपंच आमने-सामने, नाराज सरपंच आंदोलन करेंगे तेज

    -चौथे दौर की वार्ता के लिए सीएम ने नहीं दिया समय, सरपंचों में नाराजगी बढ़ी

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/चंडीगढ़/शिव कुमार यादव/- हरियाणा में ई-टेंडरिंग पर ब्ड मनोहर लाल और सरपंच फिर से आमने-सामने हो गए हैं। चौथे दौर की वार्ता के लिए मुख्यमंत्री के टाइम नहीं दिए जाने और सरकार की ओर से ई टेंडरिंग और राइट टू रीकॉल पर यू-टर्न से साफ मना करने पर सरपंच नाराज हो गए। देर शाम नाराज सरपंचों ने सरकार के साथ किसी भी मांग पर सहमति नहीं बनने पर चेतावनी देते हुए 17 मार्च को विधानसभा के घेराव का ऐलान कर दिया है।

    अब तक क्या हुआ?
    गुरुवार रात को मुख्यमंत्री मनोहर लाल और सरपंचों के साथ हुई मीटिंग में ज्यादातर मांगों पर सहमति बन गई थी। शुक्रवार सुबह 9.30 बजे फिर सरपंचों के साथ बैठक होनी थी। मुख्यमंत्री ने भी कहा था कि 10 मिनट के लिए वार्ता होगी और सब कुछ ठीक हो जाएगा, लेकिन सुबह पहले प्रस्तावित कार्यक्रमों के तहत मुख्यमंत्री पहले राजभवन चले गए और बाद में करनाल पहुंच गए।

    बजट सत्र में विधानसभा का करेंगे घेराव
    देर शाम तक सरपंचों ने मुख्यमंत्री से बैठक का इंतजार किया, लेकिन बात नहीं बनी। इसके बाद सरपंच एसोसिएशन ने एमएलए हॉस्टल में अपनी बैठक की और आंदोलन जारी करने का ऐलान कर दिया। सरपंचों ने 11 मार्च को करनाल में सीएम आवास घेराव का कार्यक्रम रद्द कर दिया है और अब सरपंच बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन 17 मार्च को विधानसभा घेराव की घोषणा कर दी है। बता दें कि 4 मार्च को हाईकोर्ट के निर्देश पर हरियाणा पुलिस ने सरपंचों का पक्का धरना समाप्त करवा दिया था। इसके बाद सरपंचों के साथ सीएम की 9 मार्च को मीटिंग हुई, लेकिन विफल रही।

    सरकार की दो टूक
    बैठक से पहले शाम को डीआईजी ला एंड ऑर्डर ओ पी नरवाल एमएलए हॉस्टल पहुंचे। यहां कमरा नंबर 105 में सरपंचों के साथ बैठक हुई। भंडारी ने सरपंचों से सहमति पत्र पर हस्ताक्षर के लिए कहा, लेकिन सरपंचों ने इनकार कर दिया। सरकार की तरफ से कहा गया कि अगर सरपंच सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करते हैं तो ही मुख्यमंत्री के साथ दोबारा बैठक होगी, वरना वह जा सकते हैं।

    इन मांगों पर फंसी बात
    एक तो सरकार की तरफ से साफ कर दिया गया कि राइट टू रीकाल एक्ट को वापस नहीं लिया जाएगा। दूसरा, मुख्यमंत्री ने सरपंचों को 2 लाख की बजाए पांच लाख रुपए की पावर देने पर भी सहमति जता दी थी। लेकिन इसमें शर्त लगा दी कि सरपंच साल में केवल पांच बार ही 5 लाख की शक्ति (25 लाख) का प्रयोग कर सकेंगे, जबकि सरपंच इसे 10 मौकों को (50) देने पर अड़े रहे। सुबह सरपंचों ने इसी पर फैसला करके सरकार को बताना था, लेकिन सरपंचों में इसको लेकर सहमति नहीं बन सकी।

    रणनीति का नहीं किया खुलासा
    सरपंचों ने 17 मार्च को विधानसभा घेराव का ऐलान तो कर दिया, लेकिन विधानसभा तक पहुंचेंगे इसका कोई खुलासा नहीं किया है। इससे पहले एक मार्च को सरपंचों ने सीएम आवास घेराव का ऐलान किया था, लेकिन पंचकूला में ही सरपंचों को रोक लिया गया और लाठीचार्ज करना पड़ा था। अब देखना यह है कि सरपंच चंडीगढ़ पहुंचते हैं या फिर दोबारा से पंचकूला में अपना डेरा डालेंगे।

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