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    आईसीएमआर का दावा डबल म्यूटेंट पर भी असरदार है कोवैक्सीन

    -जानलेवा कोरोना के ज्यादातर वैरिएंट पर असरदार है, कोवैक्सिन के तीसरे फेज की अंतरिम क्लिनिकल ट्रायल के बाद रिपोर्ट की जारी
    NM News Covaxine

    ,नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/-इंडियन काउंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च ने एक अच्छी खबर देते हुए कहा कि कोवैक्सीन डबल म्यूटेंट के खिलाफ की काफी असरदार सिद्ध हो रही है। यह दावा आईसीएमआर ने थर्ड फेज के परिक्षण के बाद कही है। जानलेवा कोरोना वायरस ने पूरे देश में हाहाकार मचा कर रखा है। संक्रमण के नए मामले रोज रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच रहे हैं। ऐसे में सरकार ने भी टीकाकरण अभियान को तेज कर दिया है। मौजूदा समय में देश में सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड और भारत बायोटक की वैक्सीन लगाई जा रही है। अब तक 13 करोड़ से ज्यादा लोगों को टीका लगाया जा चुका है। इस बीच कोवैक्सीन को लेकर एक बड़ी और अच्छी खबर आई है। आईसीएमआर ने अपने रिसर्च में दावा किया है कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन ज्यादा वैरिएंट पर असरदार है।
                            आईसीएमआर ने यह भी बताया है कि ये वैक्सीन कोरोना के डबल म्यूटेंट से भी लड़ने में कारगर है। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा बनाई गई कोवैक्सीन अबतक स्वदेश में तैयार की गई एक मात्र वैक्सीन है। आपको बता दें कि इस समय देश में कोरोना के कई म्यूटेंट एक्टिव हो गए हैं। इनमें यूके, ब्राजील, अफ्रीकन स्ट्रेन से जुड़े कई मामले पहले से ही भारत में पाए जा चुके हैं। स्टडी में कहा गया है कि कोवैक्सीन इन सभी म्यूटेंट को मात देने में कारगर है। वहीं कोरोना के लगातार बढ़ते मामले को देखते हुए सरकार ने भी कोवैक्सीन की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए कदम बढ़ाया है।
                    कोरोना वैक्सीन बनाने वाली हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (प्ब्डत्) ने कोवैक्सिन के तीसरे फेज की अंतरिम क्लिनिकल ट्रायल रिपोर्ट जारी कर दी है। रिपोर्ट में भारत में निर्मित कोवैक्सिन को क्लिनिकली 78ः और कोरोना से गंभीर रूप से प्रभावित मरीजों पर 100ः तक प्रभावी बताया गया है। कंपनी ने अपने दूसरे विश्लेषण में कोरोना के 87 सिंप्टम्स पर रिसर्च किया था।
                     भारत बायोटेक ने कोवैक्सिन को ट्रेडिशनल प्लेटफॉर्म पर बनाया है। इसमें इनएक्टिवेटेड वायरस को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है, जो शरीर में बढ़ता नहीं है पर लड़ने के लिए एंटीबॉडी जरूर तैयार कर देता है। अच्छी बात यह है कि यह पूरे वायरस को निशाना बनाता है, जिससे उसमें होने वाले बदलावों पर भी यह कारगर है। सबसे अच्छी बात यह है कि कोवैक्सिन दुनिया का पहली ऐसी वैक्सीन है, जिसमें सभी वैरिएंट्स से लड़ने की शक्ति है।
                      स्वदेशी कोवैक्सिन के ट्रायल का नतीजा काफी बेहतर निकला है। फेज-3 के क्लिनिकल ट्रायल्स के आखिरी नतीजे के अनुसार यह वैक्सीन 81ः तक असरदार साबित हुई है। सरकार ने जनवरी के पहले हफ्ते में वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल दिया था। सरकार का यह फैसला विशेषज्ञों के निशाने पर था क्योंकि वे फेज-3 के नतीजे देखे बिना इमरजेंसी अप्रूवल के खिलाफ थे। हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (प्ब्डत्) के साथ मिलकर यह वैक्सीन डेवलप की है। खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई मंत्रियों ने हाल ही में कोवैक्सिन के ही डोज लिए हैं। प्ब्डत् के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि 8 महीने से भी कम समय में प्रभावी कोरोना वैक्सीन-कोवैक्सिन विकसित की है और यह आत्मनिर्भर भारत की सही तस्वीर पेश करती है।
                          भारत बायोटेक के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. कृष्णा एल्ला का कहना है कि क्लिनिकल ट्रायल्स के तीनों फेज में 27 हजार वॉलंटियर्स पर वैक्सीन का प्रयोग किया है। फेज-3 क्लिनिकल ट्रायल्स के नतीजों के साथ यह साबित हो गया है कि कोवैक्सिन कोरोनावायरस के खिलाफ असरदार है। यह वैक्सीन तेजी से सामने आ रहे कोरोनावायरस के अन्य वैरिएंट्स के खिलाफ भी कारगर है।

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