• DENTOTO
  • शरीर में कम या ज्यादा पोटैशियम से अचानक हार्ट अटैक का खतरा

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    July 2025
    M T W T F S S
     123456
    78910111213
    14151617181920
    21222324252627
    28293031  
    July 8, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    शरीर में कम या ज्यादा पोटैशियम से अचानक हार्ट अटैक का खतरा

    -पोटैशियम लेवल बताता है कि खतरे में है जान, केला-आलू सेहत के संकटमोचक

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/हैल्थ डेस्क/भावना शर्मा/- स्वस्थ रहने के लिए हमारे शरीर को कई तरह के पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है और जब भी शरीर में किसी पोषक तत्व की कमी होती है तो हमारा शरीर इसके लक्ष्ण देना शुरू कर देता है। हमारे शरीर के लिए एक ऐसा ही पोषक तत्व है पोटेशियम, शरीर में जिसकी कमी या अधिकता दोनों ही काफी नुकसान देह साबित होती हैं। पोटेशियम शरीर के कामकाज को बेहतर करने में असरदार है वहीं शरीर में इसकी कमी से हमारा शरीर कई बीमारियों से ग्रस्त होने का खतरा भी रहता है। हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक पोटेशियम की कमी से हाइपरटेंशन हार्ट, डिजीज, स्ट्रोक और हॉर्ट अटैक का तक का खतरा बढ़ जाता है। इतने जरूरी पोषक तत्व की कमी के लक्षण आमतौर पर लोग समझ नहीं पाते जिस कारण शरीर में इसकी पूर्ति नहीं हो पाती ऐसे में इसके लक्षणों को जानना बेहद जरूरी है।
                        ‘परिणीता’, ‘हेलिकॉप्टर ईला’ और ‘मर्दानी’ जैसी हिट फिल्मों के डायरेक्टर प्रदीप सरकार नहीं रहे। बीते शुक्रवार को मुंबई में उन्होंने अंतिम सांस ली। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रदीप का ’पोटैशियम लेवल’ कम हो गया था, जिसके बाद से वो डायलिसिस पर थे।
                        आज बात इसी पोटैशियम पर करते हैं, जिसके घटने या बढ़ने से पूरे शरीर में जैसे भूकंप आ जाता है। हमारे शरीर को पोटैशियम, सोडियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम और फॉस्फेट जैसे मिनरल्स की जरूरत होती है, जिन्हें इलेक्ट्रोलाइट्स कहा जाता है।

    हनुमान के बल’ की तरह होता है शरीर में पोटैशियम
    इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, ठभ्न् की डॉ. अनुश्रीयम कीर्ति ने बताया कि पोटैशियम ‘हनुमान के बल’ की तरह होता है। जैसे रामायण में हनुमान जी को समुद्र पारकर लंका पहुंचना नामुमकिन लग रहा था। लेकिन जब उन्हें उनका बल याद दिलाया गया तो वो लंका दहन करके लौटे।
                      लब्बोलुआब ये है कि इंसान में किसी भी काम को अंजाम तक पहुंचाने की क्षमता होती है, बशर्ते उसमें वो आत्मविश्वास हो। पोटैशियम मिनरल की मात्रा शरीर में कम ही होती है, मगर यह संतुलित रूप में जरूरी है। मेडिकल रिसर्च से जुड़ी संस्था ‘मेयो क्लीनिक’ के मुताबिक, यह मिनरल हमारे ब्रेन से सूचनाएं या आदेश लेकर शरीर के बाकी हिस्सों तक पहुंचाने वाली नसों, शरीर और दिल की मांसपेशियों के लिए बेहद जरूरी है। यह शरीर में इलेक्ट्रिक सिग्नल्स भेजने का काम करता है।

    किचन से पूरी करें पोटैशियम की कमी
    शरीर में पोटैशियम कम होने पर स्लाइन चढ़ाई जाती है। लेकिन किचन में ऐसी कई चीजें रहती हैं जिनसे po om में पोटैशियम का सही लेवल बना रहता है।
    डॉ. कीर्ति कहती हैं कि केला पोटैशियम का सबसे अच्छा सोर्स है। अगर आप लो फील करें, थकान महसूस करें या मांसपेशियों में खिंचाव हो तो सुबह नाश्ते के बाद केला खाएं।

    किसे और कितना लेना चाहिए पोटैशियम
    अमेरिका की नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, औसतन किसी महिला को रोजाना 2320 मिलीग्राम, जबकि किसी पुरुष को 3016 मिलीग्राम पोटैशियम लेना चाहिए। 14 से 18 साल की लड़कियों को हर दिन 2300 मिलीग्राम, जबकि 19 साल से ऊपर की महिलाओं को 2600 मिलीग्राम पोटैशियम लेना चाहिए। प्रेग्नेंट और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए यह मात्रा 2500 से 2900 के बीच होनी चाहिए। 14 से 18 साल के युवाओं के लिए पोटैशियम की मात्रा 3 हजार मिलीग्राम, जबकि 19 साल से ऊपर के पुरुषों के लिए यह मात्रा 3400 मिलीग्राम होनी चाहिए।

    हम आप क्या खाएं-पिएं कि रिस्क कम हो
    ज्यादा से ज्यादा ताजी सब्जियां और फल लें, जिनमें पोटैशियम ज्यादा और सोडियम होता है। ब्रेड, चीज, पिज्जा-बर्गर, कोल्ड ड्रिंक्स, चिप्स, पैक्ड और प्रॉसेस्ड फूड आइटम्स से बचना चाहिए, क्योंकि इनमें सोडियम की मात्रा ज्यादा होती है, जबकि पोटैशियम कम होता है।

    इंसान दिनभर बुझा-बुझा रहता है, मतलब पोटैशियम लेवल डाउन
    डॉ. कीर्ति कहती हैं कि अगर बॉडी में पोटैशियम कम हुआ तो आत्मविश्वास डगमगाने लगता है। काम को बेहतरीन तरीके से निपटाने के लिए पोटैशियम की जरूरत होती है। अगर शरीर में पोटैशियम कम हुआ तो इंसान दिनभर बुझा-बुझा सा रहता है। किसी ने कुछ बोल दिया तो बुक्का फाड़कर रोने का मन करता है। कई बार तो रोना आ ही जाता है।

    नया काम शुरू करने से पहले उसके बिगड़ने के ख्याल आते हैं
    पोटैशियम की कमी व्यक्ति को मानसिक स्तर पर कमजोर बनाती है। नया काम शुरू करने से सबसे पहले उसके नेगेटिव ख्याल आने लगते हैं और वो असफल होने के डर से परेशान हो जाता है। डॉ. कीर्ति कहती हैं कि शरीर के हर एक टिश्यू को पोटैशियम की जरूरत होती है। यह शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का काम करता है, क्योंकि यह छोटे इलेक्ट्रिकल चार्ज को लेकर चलता है, जो कोशिकाओं और नर्वस सिस्टम के कामकाज को एक्टिवेट करता है। पोटैशियम हमारे रोजमर्रा के खानपान और सप्लीमेंट्स में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। इसका एक बड़ा काम यह भी है कि यह हमारे शरीर की कोशिकाओं में मौजूद तरल पदार्थों का स्तर बनाए रखता है, जबकि सोडियम कोशिकाओं के बाहरी हिस्से में मौजूद फ्लूइड को मेंटेन रखता है। पोटैशियम मांसपेशियों के खिंचाव और ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखने में भी मददगार होता है।

    पोटैशियम लेवल बता देता है कि किसी की जान खतरे में है
    आम तौर पर एक लीटर ब्लड में पोटैशियम का लेवल 3.6 से 5.2 मिलीग्राम होना चाहिए। पोटैशियम लेवल 2.5 से नीचे होने पर जान जाने का खतरा रहता है और ऐसी स्थिति में मरीज को फौरन अस्पताल ले जाना चाहिए। डॉ. कीर्ति के अनुसार अंगुलियों का मुड़ना, हाथ-पैर मांसपेशियों में क्रैम्प यानी खिंचाव और तेज दर्द महसूस होना, ये सभी लक्षण शरीर में पोटैशियम की कमी के संकेत हैं। असल में, खून में पोटैशियम का स्तर कम होने पर मसल्स कमजोर हो जाती हैं। कई बार इनमें ऐंठन होती है या ये लकवे का शिकार हो जाती हैं। इससे दिल की धड़कनें तक अनियमित हो जाती हैं। ऐसी स्थिति को ‘हाइपोकैलेमिया’ कहते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि पोटैशियम का लेवल ब्लड में 6 ऊपर चला जाए। यह स्थिति भी जानलेवा है।

    किडनी में कोई प्रॉब्लम है या हाई पोटैशियम डाइट लेने से भी समस्या
    आप जो भी खाते-पीते हैं, आपकी किडनी खानपान से अतिरिक्त पोटैशियम फिल्टर कर देती है, जो मल-मूत्र से बाहर निकल जाता है। अगर किडनी में कोई प्रॉब्लम है या हाई पोटैशियम डाइट ले रहे हैं तो भी ब्लड में अतिरिक्त पोटैशियम जमा हो जाता है। क्योंकि किडनी उसे साफ नहीं कर पाती। जो लोग हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं और वो इसके लिए दवा ले रहे हैं तो ऐसे लोगों के खून में भी पोटैशियम की मात्रा बढ़ जाती है। इस वजह से हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है। इसके लक्षण हैं-पेट दर्द और डायरिया, सीने में दर्द, धड़कन तेज-तेज या धीमे हो जाना, मांसपेशियों में ऐंठन या सुन्न पड़ना, उल्टी या जी मिचलाना। ऐसी स्थिति में फौरन डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

    ज्यादा शराब पीने से भी हो सकती है पोटैशियम की कमी
    आम तौर पर हमारे शरीर में पोटैशियम की कमी नहीं होती। पोटैशियम ज्यादातर चीजों में पाया जाता है। शरीर अपनी रोजमर्रा की खुराक से इसे पूरा कर लेता है। बॉडी में पोटैशियम कम होने की वजह बार-बार यूरिन पास करना भी बन सकती है। हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों से पीड़ित लोगों को बार-बार यूरिन पास करने के लिए ऐसी दवाएं दी जाती हैं, जिससे बॉडी में अतिरिक्त पोटैशियम या सोडियम यूरिन के साथ बाहर निकल जाए। मगर, इससे कई बार शरीर में पोटैशियम की जरूरत से ज्यादा कमी हो जाती है। पोटैशियम की कमी ज्यादा अल्कोहल लेने, किडनी की बीमारी, डायबिटीज, फोलिक एसिड की कमी से भी होती है।

    पोटैशियम-सोडियम दोनों मिनरल मिलकर रखते शरीर का ख्याल
    पोटैशियम और सोडियम दोनों भाइयों की तरह शरीर में मिलकर काम करते हैं। दोनों ही शरीर के मेटाबॉलिज्म को बैलेंस करते हैं और दोनों ही गंभीर बीमारियों के खतरों से जुड़े भी हैं। खासकर दिल की बीमारियों से। जैसे ज्यादा नमक खाने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है और दिल की बीमारी होने की आशंका रहती है। जबकि, पोटैशियम की ज्यादा मात्रा दिल तक आने-जाने वाली नसों को रिलैक्स रखती है। सोडियम के बढ़ने पर ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है तो पोटैशियम उसे ब्लड से बाहर निकालकर ब्लड प्रेशर को नॉर्मल करता है।
                      अमेरिकी लोग हर दिन 2900 मिलीग्राम पोटैशियम के मुकाबले 3300 मिलीग्राम सोडियम ले रहे हैं, जिसका 75 फीसदी से ज्यादा हिस्सा पिज्जा-बर्गर, सैंडविचेज, हैमबर्गर जैसे प्रॉसेस्ड फूड से आता है। आर्काइव्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन की एक स्टडी में कहा गया है कि जो लोग अपने खानपान के जरिए ज्यादा सोडियम और कम पोटैशियम ले रहे हैं, उनको हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा है।

    पोटैशियम टेस्ट की जरूरत क्यों है? डायबिटीज के मरीज रखें ख्याल
    बॉडी में इलेक्ट्रोलाइट्स का लेवल देखने के लिए रुटीन ब्लड टेस्ट के दौरान पोटैशियम लेवल चेक किया जाता है। डायबीटिक पेशेंट को अपनी बॉडी में पोटैशियम लेवल की जांच कराते रहना जरूरी है। इसके कम या ज्यादा होने से किडनी, एड्रेनल ग्लैंड्स या डाइजेस्टिव सिस्टम पर असर पड़ सकता है।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox