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    भाजपा के सहयोगी अपना दल ने की जाति आधारित जनगणना व अलग ओबीसी मंत्रालय की मांग

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- जदयू के बाद अपना दल (एस) सत्तारूढ़ भाजपा की दूसरी ऐसी सहयोगी पार्टी है, जिसने जाति आधारित जनगणना की मांग उठाई है। यह मांग ऐसे समय में की गई है। जब उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी जैसे विपक्षी दल भी यह मांग करते रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी अपना दल (एस) ने रविवार को अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए एक अलग केंद्रीय मंत्रालय और पूरे देश में जाति आधारित जनगणना की मांग की ताकि समुदाय की सटीक आबादी का पता लगाया जा सके।

    अपना दल (एस) ने यह मांग ऐसे समय में की है जब उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। जहां मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा ओबीसी वर्ग का है। अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल ने कहा, ‘जाति आधारित जनगणना प्रत्येक वर्ग, विशेष रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सटीक आबादी का पता लगाने के लिए समय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद की सभी जनगणनाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी की गणना की गई, लेकिन ओबीसी की नहीं। उन्होंने कहा, ‘इसके परिणामस्वरूप, ओबीसी आबादी का कोई उचित अनुमान नहीं है. इसलिए मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि अगली जनगणना जाति-आधारित होनी चाहिए ताकि प्रत्येक वर्ग, विशेष रूप से ओबीसी की सटीक आबादी का पता लगाया जा सके।
                        अपना दल (एस) 2014 से राजग का घटक है। पार्टी के संस्थापक स्वर्गीय सोनेलाल पटेल की बेटी अनुप्रिया पटेल को नरेंद्र मोदी सरकार के हालिया मंत्रिपरिषद विस्तार में केंद्रीय मंत्री बनाया गया था। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति आशीष पटेल ने कहा, ‘इससे यह सुनिश्चित होगा कि एक विशेष जाति वर्ग का हिस्सा, उनकी आबादी पर आधारित हो। आशीष पटेल ने कहा, ‘केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की तर्ज पर ओबीसी के कल्याण के लिए एक अलग और समर्पित मंत्रालय होना चाहिए.। उत्तर प्रदेश की लगभग 50 विधानसभा सीटों पर उनकी पार्टी का प्रभाव है, जो ज्यादातर पूर्वी उत्तर प्रदेश में हैं।
                        विभिन्न राजनीतिक दलों के अलावा, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने इस साल अप्रैल में सरकार से भारत की जनगणना 2021 कवायद के तहत ओबीसी की आबादी पर आंकड़े एकत्र करने का आग्रह किया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में 2021 की जनगणना में पहली बार ओबीसी पर आंकड़े एकत्र करने की परिकल्पना की थी। हालांकि, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इस साल 10 मार्च को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा था कि स्वतंत्रता के बाद, भारत ने नीतिगत रूप में निर्णय लिया था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को छोड़कर आबादी की जाति-वार गणना नहीं की जाएगी।
                        समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक,  जनगणना में संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 के अनुसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के रूप में विशेष रूप से अधिसूचित जातियों और जनजातियों की गणना की जाती है। 2021 की जनगणना पिछले साल अप्रैल से शुरू होने वाली थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे शुरू नहीं किया जा सका।

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