दो होनहार बच्चों ने बनाया वेंटीलेटर और स्वचालित हैंड सैनिटाइजर मशीन

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

October 2024
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
28293031  
October 25, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

दो होनहार बच्चों ने बनाया वेंटीलेटर और स्वचालित हैंड सैनिटाइजर मशीन

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- चिकित्सा कर्मचारी एवं कोविड-19 मरिजों के बीच सम्पर्क कम से कम हो इसलिए हरियाणा के पुराने अंबाला में रहनेवाले दो होनहार बच्चें विनायक और कार्तिक तारा, ने वेंटीलेटर और स्वयंचलित वॉटर/सैनिटाइजर डिस्पेन्सर तैयार किया है। विनायक की उम्र सिर्फ 8 साल और कार्तिक सिर्फ 12 साल का है।
कम से कम लागत में तैयार होनेवाला यह सैनिटाइजर मशीन अस्पताल, सब्जी मंडी, किराना दुकान, पुलिस थाने तथा पुलिस की व्हैन में भी लगाया जा सकता है। ये दोनो भाई चंडीगढ के एज्युटेक स्टार्टअप रोबोचॅम्प्स में रोबोटिक्स विषय का एक 4 साल का कोर्स कर रहे हैं। देशभर में कोविड के मरीजों का इलाज करते वक्त बहुत सारे डाक्टर, नर्सों और अन्य चिकित्सा कर्मचारियों में कोविड विषाणू का संक्रमण हुआ है। रोजमर्रा की चीजे खरीदने के लिए रस्ते पर आनेवाले लोगों के माध्यम से भी इस विषाणु का समाज संक्रमण हो सकता है, इसलिए इस संक्रमण को रोकने के लिए तथा फ्रंटलाइन कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए इन दोनों ने स्वयंचलित सैनिटाइजर डिस्पेन्सर का प्रोटोटाइप तैयार किया है, जो 2 सेंटीमीटर की दूरी से ही उसके सामने आए हाथ हो भाँप लेता है। मॉल के ऑटोमैटिक नल जिस तरह काम करतें है ठीक उसी तरह यह काम करता है लेकिन इसकी विशेषता यह है की इसे बनाने में ज्यादा से ज्यादा 850 रुपए लगते हैं। इन बच्चों को मार्गदर्शन करनेवाली संस्था रोबोचॅम्प्स जल्द से जल्द ऐसे हजारों उत्पाद बनाना चाहता है और इस के लिए भारत सरकार के समर्थन की अपेक्षा करता है।

विनायक और कार्तिक तारा, ने वेंटीलेटर और स्वयंचलित वॉटर/सैनिटाइजर डिस्पेन्सर तैयार किया है।


उसी तरह से अस्पतालों में आगे रहकर काम करनेवाले चिकित्सा कर्मचारियों के लिए इन बच्चों ने मोबाइल ऐपसे जोडकर चलनेवाला वेंटीलेटर भी तैयार किया है। ऐप के उपयोग से वेंटीलेटर पर ध्यान रखना तथा उसका नियमन करना बहुतही आसान हो जाता है। इस वेंटीलेटर का पूरा डिजाइन इस तरह बनाया गया है जो बहुतही किफायती यानी ज्यादा से ज्यादा 1560 रुपए में तैयार हो जाता है. इसके वर्किंग प्रोटोटाइप का सफलता से परीक्षण हो चुका है और वह चिकित्सा कर्मचारी एवं अस्पतालों के लिए बहुतही मददगार रहेगा। इन ऑटोमेटेड मशीनों की कल्पना, डिजाइन और उन्हे तैयार करने में रोबोचॅम्प्स के संस्थापक अक्षय अहूजाने इन दो भाईयों मार्गदर्शन किया है।
‘लॉकडाउन से पहले हम ठ2ठ मॉडल में काम कर रहे थे जिसके तहत हम स्कूलों में लैब बनाकर बच्चों को रोबोटिक्स और कोडिंग के कोर्स उपलब्ध कराते थे। लेकिन हमारे ऑफलाइन मॉडल होने के कारण कोरनो लॉकडाउन में हम अपने बच्चों को सीखा नही पा रहे थे। इसलिए उनकी पढाई जारी रखने के लिए हमने उन्हे वीडिओ कॉन्फरन्सिंगद्वारा पढाना शुरू किया। लॉकडाउन की वजह से ये दोनों बच्चे बोर हो गए। तो हमने सोचा की क्यूँ ना हम ऐसा रोबोट बनाए जो कोरोनो की लडाई मे मददगार हो। इस तरह से हमनेइनोवेटीव तरीकों से सोचना शुरू किया और उसी कारण इस रोबोट प्रोटोटाइप की कल्पना हमारे ध्यान में आयी। रोबोचॅम्प्स के संस्थापक अक्षय अहूजा ने बताया कि दोनो भाई जुटे हैं और 2 रोबोट प्रोटोटाइप बनाने में।

पहले मॉडल के माध्यम से बिना किसी मानव हस्तक्षेप केकोविड 19 के मरीज का ेखाना दिया जा सकेगा। अस्पताल के बेड की रचना के अनुसार इस रोबोट का संचालन किया जा सकेगा और यह रोबोट ऑटोमेटिक तरीके से हर एक मरीज तक खाना पहुँचा देगा। फैन्सी रेस्टॉरंट में इस तरह के रोबोट टेबल पर खाना पहुँचाते हैं. लेकिन वो ऐसे रोबोट बहुतही कम यानी 2300 रुपयों की लागत में बना रहे हैं जो चिकित्सा कर्मचारी एवं अस्पतलों के लिए बहुतही मददगार साबित होंगे।

दूसरा मॉडल ऐसा है जिससे गुजरने भरसेही किसी भी व्यक्ती का पूरा शरीर सैनिटाइज हो जाएगा। यह स्ट्रक्चर लॉकडाउन उठने के बाद स्कूल, मॉल और सभी भीडवाली जगाहों पर इस्तेमाल किया जा सकेगा।

आठवी कक्षा में पढनेवाले12 वर्षीय कार्तिकने कहा,‘लॉकडाउन के बाद हमने इंटरनेट, टीवी और समाचारों में देखा की किस तरह कोरोना विषाणू महामारीने देश, लोग और अर्थव्यवस्थाओं को अपनी चपेट में ले लिया हैं। कोरना से लडने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीने तथा अन्य स्टार्टअपने किए प्रयासों से हमें प्रेरणा मिली। मैं समाज के लिए काम करना तथा स्कील इंडिया को बल देना चाहता हूँ.।’ उसने आगे कहा,‘ मैं एक दिन आंत्रप्रेन्युअर बनना चाहता हूँै। अक्षय सर ने इस प्रोजेक्ट के दरमियाँ वीडिओ कॉन्फरन्सिंग के माध्यम से हमें मार्गदर्शन किया है। भविष्य के लिए भी हम और रोबोट बनाने के लिए अथक परिश्रम करते रहेंगे।’

चैथी कक्षा में पढनेवाला विनायक तारा ने उत्साह से बताया, ‘मुझे वाकई में बहुत खुशी हो रही है की हमने अस्पताल और सार्वजनिक जगाहों पर इस्तेमाल हो सके ऐसा उत्पाद बनाया है। अक्षय सर ने वीडिओ कॉल के जरिए हमें मार्गदर्शन किया है और इस प्रोजेक्ट के लिए उन्होंने किए। सभी परिश्रमों के लिए मैं उन्हे धन्यवाद देता हूँ.।’

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox