सांस्कृतिक चेतना का आधार है हिन्दी-डॉ रामचंद्र

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सांस्कृतिक चेतना का आधार है हिन्दी-डॉ रामचंद्र

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय एकता की सूत्रधार हिन्दी विषय पर ऑनलाइन आर्य गोष्ठी का आयोजन गूगल मीट पर किया गया साथ हीं आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती के गुरु स्वामी विरजानन्द की 152वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।यह कॅरोना काल मे परिषद का 89वा वेबिनार था।
मुख्य वक्ता डॉ रामचंद्र (अध्यक्ष, संस्कृत विभाग,कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय) ने कहा कि महर्षि दयानन्द सरस्वती पहले महामानव थे जिन्होंने गुजराती होते हुए भी वेद व संस्कृत के ग्रन्थों का हिन्दी में अनुवाद किया व अपने प्रवचन हिन्दी मे देकर हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार में योगदान दिया।उन्होंने कहा कि आज न्याय व चिकित्सा के क्षेत्र में हिन्दी का अभाव दिखाई देता है जिसे दूर करने की आवश्यकता है।यदि हम सही अर्थों में हिन्दी को राजभाषा बनाना चाहते हैं तो हमे हिन्दी को सम्पूर्ण देश के चिन्तन का विषय बनाना होगा।हिन्दी राष्ट्र की सांस्कृतिक चेतना का आधार है।आज का दिन हमारे हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए गहन चिंतन करने का दिन है।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि आज आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती के गुरु स्वामी विरजानन्द की 152वीं पुण्यतिथि है वे संस्कृत व वेदों के प्रकाण्ड विद्वान थे।उन्होंने महर्षि दयानन्द जैसे वेदोप्रचारक तैयार किये।यदि स्वामी दयानन्द ने आर्ष ग्रंथों व हिन्दी भाषा का प्रचार प्रसार न किया होता तो आज हिन्दी को जो सम्मान मिला है वह संम्भव न था।उन्होंने कहा कि हिन्दी हीं राष्ट्र को एकता अखंडता के सूत्र में बांध सकती है। मुख्य अतिथि कवयित्री सविता चड़ढा ने कहा कि हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिलवाने में राजभाषा समिति व संविधान निर्माताओं का विशेष योगदान रहा है लेकिन आज हम इसे आचरण में अपना कर जन जन की भाषा बनाने का संकल्प लेना है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व महापौर, डॉ महेश चंद शर्मा ने कहा कि विश्व मे कोई भी ऐसा देश नही है जिसने अपनी मातृभाषा को छोड़ विदेशी भाषा को अपनाया हो।हिन्दी हमारी अस्मिता व स्वाभिमान का प्रतीक है। हिन्दी के लिए महर्षि दयानन्द सरस्वती को स्मरण करते हुए हिन्दी को स्थापित करने के लिए आर्य समाज के द्वारा किए गए संघर्ष को भी स्मरण कराया।आजादी की लड़ाई हिन्दी के आधार पर लड़ी गयी। हिन्दी को नहीं जानने वाले हमारे युवक जो अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ते हैं उन्हें हमारी संस्कृति का बोध कैसे होगा। हिन्दी को अनिवार्य कर उन्हें सुसंस्कार देने का प्रयास किया जाना चाहिए। प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि हिन्दी मात्र एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है। हिंदी हमारे राष्ट्र की एकता और अखण्डता की महत्वपूर्ण कड़ी है। हम अपने दैनिक व्यवहार में हिन्दी भाषा का अधिक से अधिक उपयोग कर इसके गौरव को बढ़ाने में योगदान दें।
कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने सभी का आभार व्यक्त किया व विश्व हिन्दू परिषद के नेता गुरदीन प्रसाद रस्तोगी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई। गायिका संगीता आर्या, नरेन्द्र आर्य सुमन, दीप्ति सपरा, प्रतिभा सपरा, सुमन चांदना आदि ने गीत संगीत से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। साहित्यकार ओम सपरा व डॉ सुषमा आर्या ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर मुख्य रूप से आचार्य महेन्द्र भाई, वीरेन्द्र आहूजा, अभिमन्यु चावला, प्रवीन भाटिया, विजय हंस, सुषमा बुद्धिराजा, देवेन्द्र गुप्ता सुनीता बुग्गा, ओम सपरा, शशी चोपड़ा, नित्यानंद (असम), डॉ करुणा चांदना, उर्मिला आर्या(गुरुग्राम), राजश्री यादव आदि उपस्थित थे।

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