नाइट कर्फ्यू पर विचार कर सकती है दिल्ली सरकार

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February 18, 2025

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नाइट कर्फ्यू पर विचार कर सकती है दिल्ली सरकार

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- दिल्ली हाईकोर्ट ने आज राजधानी में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर सरकार की क्या तैयारियां हैं उस पर सुनवाई की। इसके साथ ही अदालत ने दिल्ली सरकार को अपनी स्टेटस रिपोर्ट में पर्याप्त मात्रा में जानकारी उपलब्ध न कराने के लिए फटकार भी लगाई। साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार से नाइट कर्फ्यू और वीकेंड कर्फ्यू को लेकर उसका पक्ष जानना चाहा।
इस पर दिल्ली सरकार ने कोर्ट को अवगत कराया कि अभी सरकार किसी तरह के कर्फ्यू पर कोई विचार नहीं कर रही है लेकिन वह आगे कोरोना के हालात को देखते हुए कोई भी निर्णय ले सकती है।
मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच दिल्ली सरकार द्वारा प्रदत्त स्टेटस रिपोर्ट देखकर बुरी तरह लताड़ लगाई। अदालत ने कहा हम बेड की कुल संख्या भी नहीं पढ़ पा रहे हैं और जो जरूरी जानकारी है वह भी स्पष्ट नहीं है। प्रिंटिंग ठीक नहीं है जिससे हम बहुत मुश्किल से कुछ भी पढ़ पा रहे हैं। इस पर दिल्ली सरकार के वकील ने अदालत को कोविड केयर सेंटर और कोविड अस्पताल के अंतर के बारे में बताया। तब अदालत ने सरकार से राजधानी में उपलब्ध कुल आईसीयू बेड की संख्या और सभी हेल्थकेयर सेंटर के बारे में पूछा। अदालत ने पूछा कि ऐसे समय में जब इतने मामले सामने आ रहे हैं कोविड केयर सेंटर में बेड क्यों खाली पड़े हैं?
अदालत ने सरकार से पूछा कि आपने इन कोविड हेल्थकेयर सेंटर के बारे में प्रचार-प्रसार के लिए क्या-क्या किया है? तब सरकार ने जवाब दिया कि यह सारी जानकारी डेल्ही फाइट्स कोरोना वेबसाइट और हेल्थ बुलेटिन में उपलब्ध है। इसके बाद सरकार के वकील ने अदालत को बेड और हेल्थकेयर सेंटर का डाटा भी मुहैया कराया। तब अदालत ने कहा कि हर कोई टेक्नोलॉजी नहीं जानता, हम ये जानना चाहते हैं कि आपने बेड की उपलब्धता के बारे में प्रचारित करने के लिए हेल्पलाइन व अन्य माध्यमों से क्या-क्या कदम उठाए हैं।
अदालत ने याचिकाकर्ता को दिल्ली सरकार द्वारा दिए गए हेल्पलाइन नंबर को रैंडम तौर पर चेक करने को कहा। डीजी हेल्थकेयर सर्विस ने अदालत को बताया कि कोविड सेंटर केवल उन लोगों के लिए हैं जो बिना लक्षण वाले मरीज हैं और जो घर में आइसोलेट होने में असमर्थ हैं। इसके बाद अदालत ने 33 निजी अस्पतालों में बेड की उपलब्धता पर सवाल किया।

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