नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- नजफगढ़ विधानसभा में पिछले एक साल भूमाफियां खेती की जमीनों पर अवैध कालोनियां बसाते आ रहे है और करीब 100 एकड़ जमीन पर नई अवैध कालोनिया बस भी गई है लेकिन अभी तक प्रशासन इस और से आंखें ही मूंदे बैठा दिखाई दे रहा था। जबकि नजफगढ़ एसडीएम सतीश कुमार गुप्ता को इस सारे मामले की जानकारी भी मिल चुकी थी लेकिन इन कालोनियों में कार्यवाही तो हुई वो भी सिर्फ खानापूर्ति के लिए। लेकिन अब प्रशासन ने अवैध कालोनियों के खिलाफ कड़ा रूख अपनाते हुए नजफगढ़ विधानसभा के पांच गांवों झाड़ौदा, हैबतपुरा, दिचाउं, नजफगढ़ और मित्राउ में खेती की जमीन पर बसाई गई अवैध कालोनियों के खिलाफ कार्यवाही करने का मन बना लिया है। जिसके तहत इन गांवों की जमीनों के 88 खसरा नंबरों को चिंहित किया गया है जिनपर 26 मई से 10 जून तक अवैध निर्माण को गिराने की कार्यवाही की जायेगी।
यहां बता दें कि पिछले करीब एक साल से नजफगढ़ के चारों तरफ अवैध कालोनियां कटने का सिलसिला पूरे जोर-शोर से चल रहा था। भू-माफिया खेती की जमीन को न केवल झौपड़-पट्टी में तबदील करने मे लगे हुए थे बल्कि दिल्ली के पर्यावरण को भी नुकसान पंहुचा रहे थे। भू-माफिया ग्रीन जोन व आर जोन में खुले आम प्लाॅट काटकर लोगों को बेच रहे थे। इतना ही नही उक्त प्लाॅटों के कागजात भी बैक डेट के बनवाये जा रहे है। यहां सबसे बड़ी आश्चर्य की बात तो यह है कि पुलिस व रेवेन्यू प्रशासन तो इन भू-माफियाओं से मिला ही हुआ था, बीएसईएस बिजली कंपनी भी इनके साथ खड़ी नजर आ रही है। क्योंकि जहां अवैध कालोनियां बसाई जा रही है वहां बीएसईएस तुरंत खंबे व तार डालकर अवैध प्लाॅट धारकों को बिजली के कनेक्शन मुहैया करा रही है। इस संबध्ं में बीएसईएस के एक अधिकारी ने बताया कि हम सिर्फ कागजात देखते है। अगर वह 2011 से पहले के है तो हम मीटर लगा देते है। हालांकि दिल्ली में अवैध कालोनियां काटना कानून जुर्म है और रेवेन्यू व ग्रीन ट्रिब्यूनल सेटेलाईट से पूरे क्षेत्र पर नजर रखते है फिर भी इस ओर किसी का भी ध्यान नही जाना, एक तरह से प्रशासनिक भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। भू-माफिया न केवल नजफगढ़ को स्लम बस्ती में तब्दील कर रहे है बल्कि लोगों को आग की भट्ठी में भी झोकने का काम कर रहे है। और प्रशासन भी इनके साथ ही खड़ा नजर आ रहा है।
जब से कोरोना महामारी का संकट सामने आया तब से इन कालोनियों में काम बंद था और जैसे ही लाॅक डाउन में थोड़ी ढील मिली उसी समय इन कालोनियों में फिर से निर्माण कार्य तेजी से आरंभ हो गया। लेकिन अब प्रशासन ने उक्त अवैध कालोनियों के खिलाफ कार्यवाही करने का मन बना लिया है। इस संबंध में नजफगढ़ एसडीएम सौम्या शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि कोरोना काल में हमने उक्त कालोनियों के खिलाफ जांच बैठाई थी और अधिकारियों को सभी अवैध कालोनियों की खसरावार एक लिस्ट बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जिसमें करीब पांच गांवों की जमीन पर अवैध कालोनियां काटे जाने का मामला सामने आया है। जिन पर हम कार्यवाही कर रहे है। उन्होने बताया कि करीब 88 खसरा नंबर चिंहित किये गये है। हालांकि अभी कुछ और कालोनियां भी है जिनकी जांच चल रही है। उक्त कालोनियों में अवैध निर्माण गिराने का काम 26 मई से 10 जून तक किया जायेगा। इसके लिए सभी अधिकारियों व संबंधित विभागों को सूचित कर दिया गया है। यहां बता दें कि उक्त कालोनियों में खानापूर्ति के लिए पहले भी डेमोंलेशन का काम हो चुका है लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या कार्यवाही सही व निष्पक्ष ढंग से की जायेगी या फिर पहले की तरह खानापूर्ति कर प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेगा। हालांकि एसडीएम ने उक्त कालोनियों के खिलाफ अवैध निर्माण गिराने का नोटिस जारी कर दिया है। लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नही हो पाया की उक्त कालोनियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही क्या की जा रही है। क्या भू-माफिया के साथ-साथ दूसरे विभागों की संलिप्तता की भी कोई जांच होगी या नही इस पर कोई जवाब नही दे रहा है।
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