
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- भारत में करीब 5 करोड़ लोगों पर कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। आईएचएमई ने एक रिसर्च में इस बात का खुलासा किया है। आईएचएमई के शोधकर्ताओं ने बताया है कि भारत में करीब 5 करोड़ लोगों के पास हाथ धोने की सही व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की संभावना अधिक है। यही नहीं, इन लोगों से दूसरे व्यक्तियों में भी संक्रमण फैलने का खतरा हैं।
आईएचएमई के प्रोफेसर माइकल ब्राउऐर ने कहा है कि कोरोना के संक्रमण को रोकने के महत्वपूर्ण उपायों में हाथ धोना भी एक महत्वपूर्ण उपाय है। लेकिन, चिंताजनक बात है कि कई देशों में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। विश्व में करीब 2 अरब लोग साबुन से हाथ नहीं धो रहे है। अमेरिका में वाशिंगटन विश्वविद्यालय में इंस्टीट्यूट ऑफ हैल्थ मैट्रिक्स ऐंड इवेल्यूएशन के शोधकर्ताओं ने खुलासा करते हुए कहा कि दुनिया के निचले एवं मध्यम आय वाले देशों में करीब 2 अरब से अधिक लोग ऐसे है, जिनके पास साबुन और साफ पानी की व्यवस्था नहीं है। इसकी वजह से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं ने बताया, यह संख्या दुनिया की आबादी का एक चैथाई है। अध्ययन में कहा गया है कि घरों के अलावा दूसरी जगहों जैसे, सार्वजनिक स्थानों, बाजारों में हाथ धोने की सुविधाएं बहुत कम रहती हैं। वहीं कोरोना महामारी के बावजूद भी अभी भी 50 फीसदी लोग अच्छे से हाथ नहीं धोते।
जर्नल एन्वर्मेंटल हैल्थ पर्सपेक्टिव्ज में प्रकाशित अध्ययन के अुनसार, उप सहारा अफ्रीका और ओसियाना के 50 फीसदी से अधिक लोगों के पास अच्छे से हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में इनके और इनसे दूसरों लोगों में कोविड-19 के संक्रमण का जोखिम अधिक हैं। 46 देशों में हाथ धोने की व्यवस्था नहीं आईएचएमई के प्रोफेसर माइकल ब्राउऐर ने कहा, दुनिया के 46 देशों में हाथ धोने की सही व्यवस्था नहीं है। भारत, पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश, नाइजीरिया, इथियोपिया, कांगो और इंडोनेशिया में से प्रत्येक में पांच करोड़ से अधिक लोगों के पास हाथ धोने की सुविधा नहीं है। इन देशों में स्वास्थ्य सुविधा भी सीमित है। उन्होंने बताया कि कोरोना को रोकने में सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनने के अलावा हाथों को बार-बार धोना या सैनिटाइजर करना बेहद जरूरी है।
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