सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण अवमानना केस में फैसला रखा सुरक्षित

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

September 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30  
September 8, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण अवमानना केस में फैसला रखा सुरक्षित

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को प्रशांत भूषण अवमानना केस में सुनवाई के बाद मामले पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। इससे पहले सुनवाई के दौरान अदालत ने न्यायपालिका के खिलाफ ट्वीट पर खेद व्यक्त नहीं करने के अपने रुख पर विचार करने के लिए कार्यकर्ता-वकील भूषण को 30 मिनट का समय दिया।
अदालत ने अवमानना मामले में सजा दिए जाने पर प्रशांत भूषण के वकील, राजीव धवन से उनके विचार मांगे। इसपर वरिष्ठ वकील ने अदालत से कहा कि प्रशांत भूषण को दोषी ठहराने वाले फैसले को वापस लिया जाना चाहिए। उन्हें कोई सजा नहीं दी जानी चाहिए।
जब न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने भूषण के बयान पर उनके विचार जानने चाहे तो अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने वकील के लिए माफी मांगी। इसपर शीर्ष अदालत ने भूषण को एक और मौका दिया। वेणुगोपाल ने कहा कि वे अपने (भूषण) सभी बयान वापस लेंगे और खेद व्यक्त करेंगे। पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई और कृष्ण मुरारी भी शामिल थे। हालांकि उन्होंने न्यायपालिका के खिलाफ किए ट्वीट को लेकर सर्वोच्च न्यायालय से माफी मांगने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने जो कहा है वो उनके विचार को दर्शाता है। इसपर पीठ ने पूछा, भूषण कहते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय ध्वस्त हो गया है, क्या यह आपत्तिजनक नहीं है।
सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा, इंसान को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए, हमने भूषण को समय दिया, लेकिन उनका कहना है कि वह माफी नहीं मांगेंगे। प्रशांत भूषण को बोलने की स्वतंत्रता है, लेकिन उनका कहना है कि वह अवमानना के लिए माफी नहीं मांगेंगे। वहीं अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने न्यायालय से कहा कि अवमानना के लिए दोषी ठहराए गए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को माफी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अदालत को भूषण को चेतावनी देनी चाहिए और दयापूर्ण रुख अपनाना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि अदालत केवल अपने आदेश के जरिए अपनी बात रख सकती है। अपने हलफनामे में भी प्रशांत भूषण ने अपमानजनक टिप्पणी की है।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox