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    अजय देवगन फिर छाए, देखें ‘रेड 2’ का रिव्यू

    -2018 में आई थी पहली फिल्म 'रेड'

    नई दिल्ली/सिमरन मोरया/- फ्रेंचाइजी फिल्‍में अब बॉलीवुड में एक सेट फॉर्मूला बन चुकी हैं। फिल्म की सफलता का लाभ लेने के लिए हिट फिल्म के अलग-अलग भाग बनाए जाते हैं। राज कुमार गुप्ता के डायरेक्शन में बनी ‘रेड 2’ भी इसी कड़ी में आज से 7 साल पहले 2018 में आई सुपरहिट फिल्म ‘रेड’ का दूसरा भाग है। हालांकि, यह जरूर कहना पड़ेगा कि इस बार भी डायरेक्टर राज कुमार गुप्ता और अजय देवगन की जुगलबंदी, रितेश देशमुख, वाणी कपूर, अमित स‍ियाल और सौरभ शुक्‍ला जैसे कलाकरों की मौजूदगी, एक अच्‍छी क्राइम थ्रिलर-ड्रामा के साथ पेश हुई है।

    ‘रेड 2’ की कहानी
    पिछली ‘रेड’ से परिचित दर्शक जानते हैं कि आयकर आयुक्त अमय पटनायक (अजय देवगन ) भ्रष्टाचार का काला धंधा करने वालों के लिए काल हैं। वह अतीत में भी टैक्स की चोरी करने वालों के छक्के छुड़ा चुका है और कहानी फिर वहीं से शुरू होती है। अमय अपने खास अंदाज में रात को राजा साहब (गोविंद नामदेव) के यहां रेड मारता है और राजा साहब का कालाधन बरामद करने में कामयाब भी हो जाता है। लेकिन अगले दिन खबर आती है कि अमय ने इस छापे में 2 करोड़ की घूस खाई है। ईमानदार अमय की ऐसी हरकत किसी के लिए भी विश्वास के लायक नहीं है, मगर रेड के बाद तबादलों के लिए मशहूर अमय का 74वां ट्रांसफर कर दिया जाता है।

    अमय को अब भोज में ऐसे इलाके में भेजा जाता है, जहां कैबिनेट मंत्री दादाभाई (रितेश देशमुख) का राज चलता है। अमय यहां अपनी बेटी और पत्नी (वाणी कपूर) के साथ आ जाता है। भोज में बेदाग और गरीबों का मसीहा कहलाने वाला दादाभाई एक परोपकारी फाउंडेशन चलाता है, जहां वह रोजाना अपनी मां (सुप्रिया पाठक) के चरण धोकर अपने दिन की शुरुआत करता है। मगर भोज में आने के बाद अमय को दादाभाई की इस जरूरत से ज्यादा साफ-सुथरी छवि पर शक होता है। वह दादाभाई की ब्लैक मनी का पता लगाने के लिए अपने तौर पर इन्वेस्टिगेशन शुरू करता है और उसे पता चल जाता है कि दादाभाई आम लोगों के भगवान के रूप में एक ऐसा शैतान है, जिसने अवैध जमीन और सोने की काला बाजारी ही नहीं, बल्कि कई मासूम लड़कियों का यौन शोषण भी किया है। अब इससे पहले कि अमय, दादाभाई को बेनकाब करता, दादाभाई अपना सारा कालाधन छुपा लेता है और इस बार अमय का तबादला नहीं, बल्कि सस्पेंशन का ऑर्डर आ जाता है। अब समय क्या करेगा? कैसे सफेदपोश दादाभाई की काली करतूतों को उजागर करेगा? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

    ‘रेड 2’ मूवी रिव्यू
    निर्देशक राज कुमार गुप्ता के लिए प्लस पॉइंट ये था कि फिल्म की बैक स्टोरी और मेन किरदार अमय पटनायक की बेखौफ करतूतों से दर्शक परिचित हैं। यही वजह है कि ऑडियंस इस किरदार से तुरंत कनेक्ट हो जाती है, मगर फर्स्ट हाफ में राज कुमार माहौल को सेट करने में काफी वक्त लगा देते हैं। इसलिए फिल्म का पहला भाग सुस्त मालूम होता है, पर इंटरवल पॉइंट और उसके बाद सेकंड हाफ में कहानी एंगेजिंग, मजेदार और थ्रिल से भरपूर बन जाती है। अजय देवगन और रितेश देशमुख आमने-सामने शतरंज की बिसात की तरह शह और मात का खेल खेलने लगते हैं।

    साल 1980 के दशक को पर्दे पर उतारने में राज कुमार गुप्‍ता कामयाब रहे हैं, जहां मोबाइल फोन की दुनिया से दूर लैंडलाइन फोन का बोलबाला है। छापा मारने के लिए निर्देशक ने उसी पुराने टेम्पलेट का इस्तेमाल किया है, जहां आपको लाइन से दौड़ती-भागती एम्बेस्डर कारों का रेला दिखता है। अमित त्रिवेदी का बैकग्राउंड स्कोर कहानी के तनाव को बनाए रखता है, मगर फिल्म का संगीत इस बार वो जादू नहीं जमा पाया। योयो हनी सिंह का गाना, ‘मनी मनी’ भी खास नहीं है। हां, पुराने गानों जैसे- ‘पैसा ये कैसा’ और ‘तुम्हें दिल्लगी’ को कहानी में खूबसूरत तरीके से मिक्स किया गया है। सुधीर के. चौधरी की सिनेमैटोग्राफी कुछ दृश्यों में खूब खिलती है। संदीप फ्रांसिस की एडिटिंग थोड़ी और पैनी होती, तो मजा आ जाता।

    अमय पटनायक की भूमिका में अपने सनग्लासेस, स्वैग और बॉडी लैंग्वेज के साथ अजय देवगन शानदार लगे हैं। सटल तरीके से की गई उनकी कॉमिक टाइमिंग मजेदार है। अलबत्ता, वाणी कपूर को अपने रोल में कुछ खास करने को नहीं मिला। वो प्यारी लगी हैं, मगर उनकी भूमिका का समुचित विकास नहीं हो पाया। रितेश देशमुख पहले भी नकारत्मक किरदारों में अपनी छाप छोड़ चुके हैं और यहां भी उनकी परफॉर्मेंस जानदार रही है। एक परोपकारी, मातृभक्त सफेदपोश नेता को उन्होंने अपने स्टाइल में जिया है। आयकर अधिकारी के रूप में अमित सियाल का किरदार खूब मजे करवाता है, जबकि जेल पहुंच चुके सौरभ शुक्ला भी मनोरंजन के पल जुटाने न कामयाब रहे हैं। यशपाल शर्मा का छोटा मगर प्रभावशाली किरदार कहानी को नया मोड़ देता है, वे थोड़े से दृश्यों में भी छाप छोड़ जाते हैं। ठीक उसी तरह बृजेंद्र काला भी अपने अभिनय से अपने किरदार को यादगार बनाते हैं। मां के रोल में सुप्रिया पाठक भी खूब जमी हैं। अजय और वाणी की बेटी के रूप में नन्ही बाल कलाकार ने मासूम अभिनय किया है।

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