भारत की एसएफएफ ने पैंगोंग में चटाई चीन को धूल

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031  
December 27, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

भारत की एसएफएफ ने पैंगोंग में चटाई चीन को धूल

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर पर सेना के साथ मिलकर स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) ने चीन को धूल चटाई है। एसएफएफ को दुश्मन इलाके में तेजी से वार करने में माहिर माना जाता है।
विकास रेजिमेंट के नाम से भी जानी जाने वाली एसएफएफ सेना नहीं बल्कि खुफिया एजेंसी रॉ (कैबिनेट सचिवालय) के तहत काम करती है। इसके अधिकारी सेना के होते हैं और जवान खास वजहों से तिब्बत के शरणार्थियों में से चुने जाते हैं। इस रेजिमेंट का गठन 1962 में भारत चीन युद्ध के बाद हुआ था। 1971 की जंग में चटगांव की पहाड़ियों को ऑपरेशन ईगल के तहत सुरक्षित करने में, 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार और 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन विजय में एसएफएफ की अहम भूमिका थी। इस फोर्स को अक्सर इस्टैब्लिशमेंट 22 भी कहा जाता है।

शुरुआत में पांच हजार थे जवान, सीआईए ने भी दी थी ट्रेनिंग
स्पेशल फ्रंटियर फोर्स 1962 की जंग के बाद बनाई गई थी। दरअसल, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आखिरकार यूनिट के गठन के आदेश दिया और तिब्बती लड़ाकों को बहुतायत से इसमें शामिल किया गया। शुरू में इसमें 5,000 जवान थे जिनकी ट्रेनिंग के लिए देहरादून के चकराता में नया ट्रेनिंग सेंटर बनाया गया। शुरुआत में पहाड़ों पर चढ़ने और गुरिल्ला युद्ध के गुर सीखे। इनकी ट्रेनिंग में भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के अलावा अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का भी अहम रोल था।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox