• DENTOTO
  • 15 दिन में हुए ठीक महाप्रभु, आज से शुरू होगी जगन्नाथ रथ यात्रा

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    May 2025
    M T W T F S S
     1234
    567891011
    12131415161718
    19202122232425
    262728293031  
    May 10, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    15 दिन में हुए ठीक महाप्रभु, आज से शुरू होगी जगन्नाथ रथ यात्रा

    -रथ यात्रा में देवी लक्ष्मी जी का हुआ जिक्र -रासगुल्लों का है खास महत्व,मां लक्ष्मी से जुड़ी है पौराणिक कथा

    ओडिशा/नई दिल्ली/सिमरन मोरया/- ओडिशा में जगन्नाथ महाप्रभु की रथयात्रा 7 जुलाई से शुरू होने जा रही है। बीते 15 दिन से बीमार रहे महाप्रभु अब स्वस्थ हो गए हैं। इन 15 दिनों में वह अनासरा में रहेंगे। इस दौरान उनके दर्शन किसी को नहीं होंगे। वहीं अनासर एकांतवास के दौरान भगवान जगन्नाथ को फुलुरी तेल लेपन, घना-खली प्रसाद को लेप की तरह उन्के शरीर पर लगाया जाता है। अब इस रथयात्रा से जुड़ी रसगुल्ले की कथा बेहद प्रचलित है।

    रथयात्रा के बीच देवी लक्ष्मी का जिक्र किया जाता है, बल्कि पूरी कथा का समापन ही लक्ष्मी जी नाम के साथ होता है। ऐसा कहा जाता है कि जब बहन सुभद्रा ने श्रीकृष्ण-बलराम से कहीं घूमने चलने के लिए कहा तो वह तीनों अपने मौसी के घर चल पड़े। इस दौरान जगन्नाथजी ने लक्ष्मी जी से कहा था कि हम लोग दो दिन में लौट आएंगे। दो दिन बीता भगवान नहीं आए। शाम हुई,रात गहराई। तीसरा दिन फिर चौथा दिन भी निकल गया। लक्ष्मी जी तीन दिन से उनके आने का इंतजार कर रही थी। धीरे-धीरे पांचवां दिन आ जाता है। इसके बाद लक्ष्मी जी खुद पालकी तैयार करवा कर श्री मंदिर से निकलकर भगवान को खोजने चल देती है। इसके बाद लक्ष्मी जी थोड़े दूर चलने के बाद देखती है कि जगन्नाथ जी, सुभद्रा के साथ एक झूले पर बैठे हैं और मिठाई खा रहे हैं।

    इसलिए माता लक्ष्मी को लगाया जाता है भोग

    वहीं जब सब वापस घर आते है तो माता लक्ष्मी के क्रोध का सामना भगवान जगन्नाथ को करना पड़ता है। देवी लक्ष्मी को मनाने या प्रसन्न करने के लिए प्रभु जगन्नाथ उन्हें रसगुल्ला खिलाते हैं। इश विशेष अनुष्ठान के बाद भगवान जगन्नाथ के लिए मंदिर के द्वारा खोल दिए जाते हैं। माता लक्ष्मी इसलिए गुस्सा जाती हैं क्योंकि प्रभु जग्न्नाथ उन्हे साथ लिए बिना अपने भाई-बहन के साथ मौसी के घर चले जाते हैं। इसलिए भगवान जगन्नाथ को भोग लगाने से पहले माता लक्ष्मी को प्रसाद का भोग लगाया जाता है।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox