नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- अप्रैल में थोक सेल में उतार-चढाव से लगातार दूसरे महीने थोक मंहगाई दर बढ़कर 13 महीने के रिकॉर्ड लेवल 1.26 प्रतिशत पर पहुंच गई है। ईंधन और बिजली के साथ खाद्य पदार्थों खासकर सब्जियों के दाम बढ़ने से महंगाई दर बढ़ी है। थोक मूल्य सूचकांक बेस्ड महंगाई में लगातार दो महीने से तेजी जारी है। फरवरी में यह 0.20 प्रतिशत थी, जो मार्च में बढ़कर 0.53 प्रतिशत हो गई। अप्रैल, 2023 में यह 0.79 प्रतिशत थी।
मार्च में जीरो से 0.77 प्रतिशत नीचे रही थी महंगाई दर
मार्च, 2023 में यह 1.41 प्रतिशत पर थी। मिनिसि्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने बयान में कहा कि ‘अप्रैल, 2024 में खाद्य वस्तुओं, बिजली, कच्चे पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस, खाद्य उत्पाद विनिर्माण, अन्य विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादों के दाम बढ़ने से थोक महंगाई दर बढ़ी है।’ आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर बढ़कर 7.74 प्रतिशत हो गई, जो मार्च में 6.88 प्रतिशत थी। ईंधन और बिजली में महंगाई दर अप्रैल में 1.38 प्रतिशत रही, जो मार्च में शून्य से 0.77 प्रतिशत नीचे थी।
मई-जून में 2 प्रतिशत के पार जाने का अनुमान
इक्रा की मुख्य इकोनॉमसि्ट अदिति नायर ने कहा कि थोक महंगाई दर वैश्वकि जिंस कीमत के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, जिसमें साल दर साल बढ़ोतरी हो रही है। नायर ने कहा, ‘पिछले कुछ महीने में कई जिंसों की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई है। इसमें कच्चे तेल की कीमतें भी शामिल हैं जो अप्रैल में बढ़ीं। अभी तक जिंस कीमतों का रुख देखते हुए डब्ल्यूपीआई के मई और जून में दो प्रतिशत के पार जाने का अनुमान है।’
इक्रा ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए औसत थोक मूल्य सूचकांक बेस्ड महंगाई दर के 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। सब्जियों की महंगाई दर 23.60 प्रतिशत रही, जो मार्च में 19.52 प्रतिशत थी। आलू की महंगाई दर मार्च के 52.96 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल में 71.97 प्रतिशत हो गई। प्याज में यह 59.75 प्रतिशत रही जबकि मार्च में यह 56.99 प्रतिशत थी। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने कहा, ‘भविष्य में सितंबर/अक्टूबर, 2024 तक खाद्य वस्तुओं की महंगाई में नरमी आने की उम्मीद है क्योंकि कई खरीफ फसलें मंडियों में आना शुरू करेंगी और मौजूदा आपूर्ति की स्थिति सुधरेगी।’
आंकड़ों के अनुसार, विनिर्मित उत्पादों में अप्रैल में महंगाई दर में कमी आई और यह 0.42 प्रतिशत रही. मार्च में यह 0.85 प्रतिशत थी। अप्रैल में थोक मुद्रास्फीति में वृद्धि इस महीने के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के उलट है। आरबीआई मौद्रिक नीति बनाते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है। अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 11 महीने के निचले स्तर 4.83 प्रतिशत पर आ गई। आरबीआई ने पिछले महीने लगातार सातवीं बार नीतिगत ब्याज दर रेपो को यथावत रखा था। आरबीआई की अगली मौद्रिक नीति की बैठक पांच से सात जून को होनी है।
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