हरियाणा सरकार का पर्यावरण विरोधी चेहरा बेनकाब

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

September 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30  
September 8, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

हरियाणा सरकार का पर्यावरण विरोधी चेहरा बेनकाब

अनूप कुमार सैनी/रोहतक/नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/- हरियाणा सरकार का पर्यावरण विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया है। प्रदेश में बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के लिए वर्ष 2020-21 के प्रस्तावित बजट में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। यह कहना है पर्यावरण सूरक्षा समिति के प्रधान जीवन सिंह का। उन्होंने कहा कि प्रदूषित शहरों की संख्या बढ़ रही है। वनीकरण का कार्य खस्ता हाल, साधनहीन पंचायती राज संस्थानों/जिला परिषदों के हवाले करने का बजट प्रस्ताव लेकर आई है।          

उन्होंने कहा कि स्थानीय निकायों व पंचायती राज को शक्तियां देने के नाम अब सरकार सार्वजनिक व मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी से पीछा छुड़वाना चाहती है। पंचायती राज एक्ट व मनुसिपलटी एक्ट के तहत वित्तिय आयोग गठित कर आर्थिक संशाधन जुटाने के दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। गांवों में पहले ही तंगहाल जीवन जी रहे किसानों, मजदूरों पर पंचायत क्या टैक्स लगाएगी।      पर्यावरण सूरक्षा समिति के प्रधान का कहना था कि सार्वजनिक सेवा उपलब्ध कराने वाले बिजली व परिवहन के बजट में कटौती दर्शाता है कि सरकार जनसेवाओं का निजीकरण करना चाहती है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में पेश  बजट से पर्यावरण को जो हानि होगी उसका खामियाजा प्रदेश ही नहीं देश की जनता को भी भुगतना पड़ेगा।      जीवन सिंह ने कहा कि प्रदेश का वन क्षेत्र लगातार घट रहा है। 6 प्रतिशत वन क्षेत्र मे कृषि क्षेत्र में उगाए पेड़ व सडक़ों का पक्का  तल, नहरों का पानी बहाव क्षेत्र व रेलवे लाइनों की ट्रैक के लिए प्रयोग होने वाली भूमि भी शामिल है। वन क्षेत्र के गलत आंकड़े दिए जा रहे है। पर्यावरण के अन्य घटकों की भी अनदेखी की गई है।     समिति के प्रधान जीवन सिंह व वरिष्ठ उपप्रधान खेमचंद गहलावत ने वनीकरण के लिए अधिक बजट उपलब्ध कराने, शिवालिक क्षेत्र में  भी बिना स्वीकृति बने निर्माणों को नियमित करने के बजाए गिराने, अवैध खनन पर अंकुश लगाने व खनन क्षेत्र की जीपीएस से सीमांकन करवाने व हरियाणा वन विकास निगम को भंगकर पुन: विभाग की उत्पादन शाखाा सृजित करने की मांग की है।         समिति ने सरकार पर वन विभाग की भूमि को नियमों की अनदेखी कर वन विकास निगम को देने से हो रही राजस्व की हानि, वन भूमि की पैमाईश करवा कर अवैध कब्जे छुड़वाने के बजाए कब्जे करवाने का आरोप लगाया।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox