तेल अवीव/शिव कुमार यादव/- फिलिस्तीनी संगठन हमास ने इजराइल पर लगातार 5 हजार रॉकेट दागकर कई लोगों व इलाकों का अपना निशाना बनाया है। हमास के हमलों के बाद इजाराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है। कैबिनेट के साथ इमरजेंसी मीटिंग के बाद उन्होंने कहा- इजराइल के नागरिकों, ये जंग है और हम इसे जरूर जीतेंगे। दुश्मनों को इसकी कीमत चुकानी होगी। इसके बाद इजराइली सेना ने हमास के ठिकानों पर फाइटर जेट्स से हमले किए हैं।
वहीं इजराइल में बिगड़ते हालातों के बीच इंडियन अम्बेसी ने वहां मौजूद अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। उन्हें सतर्क और सुरक्षित रहने को कहा गया है। इससे पहले हमास ने शनिवार सुबह करीब 6ः30 बजे इजराइल की राजधानी तेल अवीव समेत 7 शहरों में 5 हजार रॉकेट दागे। हालांकि, इजराइल की सेना का कहना है कि गाजा पट्टी से 2,200 रॉकेट फायर किए गए। अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, ये रॉकेट रिहायशी इमारतों पर गिरे। अब तक 22 लोगों की मौत हो गई है और 545 घायल हुए हैं।
इजराइल का ऑपरेशन ’अल-अक्सा फ्लड’ के खिलाफ ऑपरेशन ’आयरन स्वॉर्ड’
हमास ने इस ऑपरेशन को ’अल-अक्सा फ्लड’ नाम दिया है। इधर, इजराइल की सेना ने हमास के खिलाफ ’ऑपरेशन आयरन स्वॉर्ड’ शुरू कर दिया है। हमास के सैन्य कमांडर मोहम्मद दीफ ने कहा- ये हमला येरूशलम में अल-अक्सा मस्जिद को इजराइल की तरफ से अपवित्र करने का बदला है। सेना हमास के ठिकानों पर हमले कर रही है।
दरअसल, इजराइली पुलिस ने अप्रैल 2023 में अल-अक्सा मस्जिद में ग्रेनेड फेंके थे। वहीं हमास के प्रवक्ता गाजी हामद ने अल जजीरा से कहा- ये कार्रवाई उन अरब देशों को हमारा जवाब है, जो इजराइल के साथ करीबी बढ़ा रहे हैं। हाल ही के दिनों में मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि अमेरिका की पहल पर सऊदी अरब इजराइल को देश के तौर पर मान्यता दे सकता है।
सोशल मीडिया पर हमले की तस्वीरें वायरल
हमले से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। अश्कलोन शहर में हुए हमले के एक वीडियो में इमारत और सड़कों पर खड़ी गाड़ियों को जलते देखा जा सकता है। हमले में 5 लोगों की मौत हो गई है। मरने वालों में 70 साल की बुजुर्ग महिला भी है।
सड़कों पर घूमते दिख रहे हमास के लड़ाके
इजराइल हमास को आतंकी संगठन कहता है इसलिए शनिवार को हुए हमले को इजराइल ने आतंकी हमला बताया है। सोशल मीडिया पर कई वीडियो सामने आ रहे हैं, जिनमें लड़ाकों को घूमते देखा जा सकता है। हालांकि इन वीडियोज की पुष्टि नहीं हो पाई है। अश्कलोन और तेल अवीव में सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई है।
सऊदी देने वाला था इजराइल को मान्यता, इसी बीच हमास ने किया हमला
ये हमला ऐसे समय हो रहा है जब अमेरिका, सऊदी अरब और इजराइल के बीच समझौता करवाकर इजराइल को मान्यता दिलाने की कोशिश कर रहा है। दरअसल, कुछ दिन पहले ही सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा था कि वो इजराइल के साथ रिश्ते सामान्य करने के बेहद करीब हैं
क्राउन प्रिंस ने उन रिपोर्ट्स को भी खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि फिलिस्तीन के मुद्दे को लेकर सऊदी अरब ने इजराइल के साथ रिश्ते सुधारने की बातचीत को रोक दिया है। हालांकि एमबीएस ने कहा- हमारे लिए ये मुद्दा बेहद अहम है। इस मसले को सुलझाना बहुत जरूरी है, जिससे फिलिस्तीनियों का जीवन आसान हो सके।
3 महीने पहले इजराइली हमले में 12 फिलिस्तीनियों की मौत हुई थी
इजराइल और फिलिस्तीन के बीच जेनिन शहर में 2 दिन के ऑपरेशन में करीब 12 फिलिस्तीनियों की मौत हुई थी। इस रेड के दौरान एक इजराइली सैनिक की भी मौत हो गई थी। इस बीच तेल अवीव में एक हमास सपोर्टर अपनी कार लेकर बस स्टॉप में घुस गया और लोगों पर चाकू से हमला करने लगा था।
इजराइल और फिलिस्तीन के बीच क्यों है विवाद
मिडिल ईस्ट के इस इलाके में यह संघर्ष कम से कम 100 साल से चला आ रहा है। यहां वेस्ट बैंक, गाजा पट्टी और गोलन हाइट्स जैसे इलाकों पर विवाद है। फिलिस्तीन इन इलाकों समेत पूर्वी यरुशलम पर दावा जताता है। वहीं, इजराइल यरुशलम से अपना दावा छोड़ने को राजी नहीं है।
गाजा पट्टी इजराइल और मिस्र के बीच में है। यहां फिलहाल हमास का कब्जा है। ये इजराइल विरोधी समूह है। सितंबर 2005 में इजराइल ने गाजा पट्टी से अपनी सेना वापस बुला ली थी। 2007 में इजराइल ने इस इलाके पर कई प्रतिबंध लगा दिए। फिलिस्तीन का कहना है कि वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में स्वतंत्र फिलिस्तीन राष्ट्र की स्थापना हो।
हमासः कैसे और क्यों बना
1948 में इजराइल के जन्म के बाद भी फिलिस्तीन से उसका संघर्ष हर स्तर पर जारी रहा। इजराइल को जब लगा कि डिप्लोमैटिक लेवल पर वो फिलिस्तीन के सामने कमजोर पड़ रहा है, तो 1970 के दशक में उसने फिलीस्तीन के एक कट्टरपंथी संगठन को उदारवादी फिलिस्तीन नेताओं के विरोध में खड़ा कर दिया। इसको नाम दिया गया हमास। हालांकि, हमास की औपचारिक स्थापना 1987 में मानी जाती है।
इजराइल के पूर्व जनरल यित्जाक सेजेव ने कहा था- जहर से जहर मारने की यह नीति एक ऐतिहासिक गलती थी। इजराइली सरकार ने मुझे हमास के लिए बजट भी दिया था। इसका अफसोस हमें आज भी है। सेजेव 1980 के दशक में गाजा के गवर्नर भी रहे।
हमास ने फिलिस्तीन के लिबरल लीडरशिप को धीरे-धीरे किनारे कर दिया और खुद फिलीस्तीन आंदोलन का झंडाबरदार बन गया। इसमें 90 फीसदी युवा फिलिस्तीनी हैं। हमास को तुर्किये और कतर से फंडिंग मिलती है। हमास के एक नेता खालिद मेशाल ने तो कतर में इसका दफ्तर भी खोला था। ईरान भी हमास को हथियार और पैसा देता है। हालांकि, ईरान शिया मुल्क है, जबकि अरब वर्ल्ड सुन्नी है।
हमास में करीब 27 हजार लोग हैं
‘टाइम्स ऑफ इजराइल’ के मुताबिक, हमास में करीब 27 हजार लोग हैं। इन्हें 6 रीजनल ब्रिगेड में बांटा गया है। इसकी 25 बटालियन और 106 कंपनियां हैं। इनके कमांडर बदलते रहते हैं। हमास में 4 विंग हैं। मिलिट्री विंग के चीफ हैं- इज अद-दीन अल कासिम। पॉलिटिकल विंग की कमान इस्माइल हानिया के हाथों में हैं। इस विंग में नंबर दो पर हैं मूसा अबु मरजूक। एक और नेता हैं खालिद मशाल। इंटरनेशनल अफेयर्स के लिए यह मुस्लिम ब्रदरहुड पर निर्भर है। एक सोशल विंग भी है। इजराइल के उन हिस्सों पर कब्जा करना, जिनमें ज्यादातर फिलीस्तीनी हैं। एक स्वतंत्र देश के रूप में खुद को स्थापित करना। कई साल बाद अब हमास इजराइल को परेशान कर पाया है। इसके सदस्य आम लोगों की भीड़ में शामिल होकर इजराइली सैनिकों पर हमले करते हैं। इजराइल की ताकत के चलते अब ज्यादा मदद नहीं मिल पा रही। हर बार झड़प में हमास को ही नुकसान हुआ।
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