शरद पवार ने अजित पर कर दी दोहरी मार, रांकापा में बढ़ सकती है दरार

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031  
December 23, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

शरद पवार ने अजित पर कर दी दोहरी मार, रांकापा में बढ़ सकती है दरार

-सुप्रिया सुले भी ‘दादा’ को घर में चुनौती देने को तैयार

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने मई की शुरुआत में कहा कि वह अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले हैं। वहीं, जून के दूसरे सप्ताह में उन्होंने ऐलान कर दिया कि बेटी सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल राकंपा के कार्यकारी अध्यक्ष होंगे। अब बैक टू बैक हुईं दो बड़ी घोषणाओं से महाराष्ट्र की सियासत भी गर्मा गई है। एक ओर जहां इसे सीनियर पवार के भतीजे अजित के भविष्य से जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं, कुछ नेता यह भी दावा कर रहे हैं कि सुले की नई भूमिका राकंपा में दरारें और बढ़ा सकती है।

कैसे हो सकता है अजित के लिए दोहरा झटका
इस नियुक्ति के साथ ही सुले को अजित के गढ़ माने जाने वाले महाराष्ट्र की जिम्मेदारी भी मिली है। उन्हें पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति का अध्यक्ष भी बनाया गया है, जिसका सीधा मतलब है कि पार्टी उम्मीदवारों के चयन में सुले की भी भूमिका होगी। साथ ही नई भूमिका इस बात के भी संकेत दे रही है कि सुले ही पवार की राजनीतिक उत्तराधिकारी होने जा रही हैं। सीनियर पवार की तरफ से ऐलान किए जाने के समय अजित दिल्ली में थे और उन्होंने इस पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया था, जिसकी वजह से अफवाहों का नया दौर शुरू हो गया था। हालांकि, उन्होंने बाद में परेशान होने की बात से इनकार कर दिया और कहा कि वह संतुष्ट हैं।
                   खास बात है कि दोनों घोषणाएं ऐसे समय पर आईं, जब अटकलें थीं कि अजित भारतीय जनता पार्टी के साथ जाने का मन बना रहे थे। जब पवार ने अध्यक्ष पद छोड़ने की बात की तो बैठक के दौरान केवल अजित ही उनके फैसले का समर्थन कर रहे थे। जबकि, बड़ी संख्या में नेता उन्हें पद पर बने रहने के लिए मना रहे थे। यह बात एनसीपी तक ही सीमित नहीं थी, कई और राजनीतिक दल भी पवार को फैसले पर विचार के लिए कह रहे थे। कहा जाता है कि इस पूरे सियासी ड्रामे ने पार्टी पर पवार की पकड़ को और मजबूत किया है।

पटेल की नियुक्ति का असर
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि दो कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति पार्टी में दो गुटों के बीच संतुलन के लिए की गई है। एक समूह को पवार का वफादार माना जाता है। वहीं, अन्य गुट अजित के साथ है और भाजपा के साथ जाना चाहता है। कहा जाता है कि पटेल इसी समूह में हैं। अब अजित के पास पर्याप्त विधायकों का समर्थन होने के चलते यह साफ हो गया है कि पवार को भतीजे को भी साथ  लेकर चलना होगा।

अजित से बात कर लिया फैसला?
रिपोर्ट में एनसीपी पदाधिकारी के हवाले से बताया गया कि दोनों नियुक्तियों के फैसले अजित से बात कर लिए गए हैं। उन्होंने कहा, ’उन्हें राष्ट्रीय भूमिका की कोई महत्वकांक्षा नहीं है। उन्होंने कभी भी महाराष्ट्र के बाहर काम नहीं किया। मुख्यमंत्री बनने की इच्छा के चलते उनका ध्यान महाराष्ट्र की ओर है।’ इधर, एनसीपी के विरोधियों का दावा है कि सुले और पटेल की एंट्री पार्टी में दरार को बढ़ा सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, शिवसेना विधायक संजय शिरसत ने कहा, ’इस नियुक्ति के बाद एनसीपी के दो गुटों में तनाव और बढ़ सकता है।’ उन्होंने दावा किया, ’कयास लगाए जा रहे थे कि पटेल और अजित पार्टी को तोड़कर भाजपा कके साथ जाना चाहते हैं। (शरद पवार) अजित को कमजोर करने के लिए शायद पटेल को अपने साथ रख रहे हैं।’ साथ ही उन्होंने एनसीपी में जल्दी टूट होने का दावा भी किया है।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox