
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नजफगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- द्वारका एसटीएफ टीम ने कोरोना महामारी पैरोल पर छूटने के बाद फरार हुए दो बदमाशों को एक मुठभेड़ के बाद पकड़ने में सफलता प्राप्त की है। यहां बता दें कि आरोपियों पर कई आपराधिक मामले दर्ज है लेकिन पैरोल मिलने के बाद दिनेश उर्फ बंदर व परवेश उर्फ तोतू ने आत्मसमर्पण नही किया। जिनकी पुलिस तलाश में जुटी थी। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है।
इस संबंध में द्वारका डीसीपी संतोष कुमार मीणा ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि दो बदमाश हथियारों के साथ क्षेत्र में घूम रहे हैं। एसटीएफ ने इस सूचना पर जांच शुरू की। एसटीएफ प्रभारी पवन तोमर के नेतृत्व में एसआई विवेक मेनडोला, एएसआई रंधावा, अशोक, विनोद, धर्मेन्द्र, राकेश व सिपाही आजाद, शंभू और अनिल ने जानकारी इक्ट्ठा की और कार्यवाही को अंजाम दिया। पुलिस ने बताया कि सूचना के अनुसार अशोक गैंग के दो आरोपी दिनेश उर्फ बंदर व परवेश उर्फ तोतू मुंढेला खुर्द से नजफगढ़ की तरफ आयेंगे। टीम ने सुरहेड़ा मोड़ पर अपना जाल बिछाया। रात करीब साढे 11 बजे सफेद स्विफ्ट कार आई जिसमें दो लोग सवार थे। पुलिस ने उन्हे रूकने का इशारा किया लेकिन वो रूकने की बजाये वहां से भागने की कोशिश करने लगे। जब पुलिस पास आई तो उन्होने पुलिस टीम पर गोली चला दी लेकिन जब पुलिस ने कार पर गोली चलाई तो उसका टायर फट गया और दूसरी गोली बंपर में लगी। इसके बाद कार अनियंत्रित हो गई और टकरा कर रूक गई। जिसपर पुलिस ने आरोपियों को दबोच लिया। पुलिस ने आरोपियों से दो पिस्टल व तीन जिंदा कारतूस तथा 3 खाली कारतूस के खोल बरामद किये। पुलिस ने आरोपियों की पहचान दिनेश उर्फ बंदर पुत्र अजीत निवासी गांव बुपनिया बहादुरगढ़ हरियाणा व परवेश उर्फ तोतू पुत्र होशियार सिंह निवासी गांव बुपनिया बहादुरगढ़ हरियाणा के रूप में की है।
पूछताछ में पुलिस ने बताया कि दोनो आरोपी एक ही गांव के है और अशोक प्रधान गैंग से जुड़े है। 2015 में दोनों ने अक्षय डागर उर्फ शक्ति के साथ मिलकर ग्राम पोचनपुर में एक धर्मकांटा कर्मचारी की हत्या की थी। इस दौरान उन्होंने 2015 और 2016 में प्रतिद्वंद्वी गिरोह के सदस्यों की हत्या भी की थी। जिसके बाद उन्हें 2016 में सोनीपत सीआईए द्वारा गिरफ्तार किया गया था। 2020 में दोनों आरोपी व्यक्ति कोविड महामारी के कारण मई 2020 और जुलाई 2020 में पैरोल पर बाहर निकले लेकिन पैरोल की अवधि समाप्त होने पर भी उन्होने जेल में आत्मसमर्पण नहीं किया। दिल्ली से भागने के बाद दोनो आरोपी आसपास के राज्यों में छुपते फिर रहे थे लेकिन अब पैसे की कमी के चलते फिर अपराध करने के लिए दिल्ली आये थे। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है ताकि और मामलो का खुलासा हो सके।
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