
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/बठिंडा/शिव कुमार यादव/- बठिंडा मिलिट्री स्टेशन में 12 अप्रैल को 4 जवानों पर फायरिंग साथी गनर ने ही की थी। पुलिस ने सोमवार को आरोपी गनर देसाई मोहन को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने बताया कि जिन जवानों पर उसने गोलियां चलाईं, वह उसका शारीरिक शोषण करते थे। फायरिंग के दौरान सागर बन्ने, कमलेश आर, योगेश कुमार जे, संतोष कुमार नागराल मारे गए थे। इस घटना के बाद देसाई ने अफसरों को गुमराह भी किया था। देसाई ने कहा था कि उसने कुछ संदिग्ध लोग देखे हैं, जो जंगल की तरफ भाग गए। उसके बयानों के आधार पर जब जांच की गई तो इस पूरे मामले का खुलासा हुआ।

बठिंडा एसएसपी गुलनीत सिंह ने बताया कि आरोपी ने एलएमजी राइफल के 8 कारतूस, इंसास राइफल, और एक 20 कारतूस वाली मैगजीन चोरी की। वारदात में इस्तेमाल हथियार बरामद कर लिया गया है। आरोपी के मोबाइल की फोरेंसिक जांच हो रही है। उन्होंने कहा कि आरोपी जवान अनमैरिड है। जिन जवानों की हत्या की गई, वह भी अनमैरिड थे।
देसाई ने अफसरों को गुमराह किया था, कहा था- फायरिंग करने वाले कुर्ता-पायजामा पहने थे
देसाई मोहन ने फायरिंग के बारे में 80 मीडियम रेजिमेंट के मेजर आशुतोष शुक्ला को सबसे पहले जानकारी दी थी। उसने कहा था, “सुबह 4.30 बजे मेस की बैरक में फायरिंग हुई है। वहां 2 अज्ञात व्यक्ति आए। जिन्होंने सफेद रंग के कुर्ते-पायजामे पहने हुए थे। उनके मुंह-सिर कपड़े से ढके हुए थे।
यह दोनों फायरिंग के बाद अफसर मेस में गनर के सोने वाली जगह से बाहर आ रहे थे। इनमें से एक के हाथ में इंसास राइफल और दूसरे के हाथ में कुल्हाड़ी थी। वह मुझे देख जंगल की तरफ भाग निकले।“

इन 5 वजहों से देसाई मोहन का झूठ पकड़ में आया
1. कुल्हाड़ी से चोट के निशान नहीं थे
पुलिस सूत्रों के मुताबिक गनर देसाई ने कहा कि संदिग्धों में एक के हाथ में राइफल और दूसरे के हाथ में कुल्हाड़ी थी। हालांकि, मरने वाले चारों जवानों के शरीर पर कुल्हाड़ी से चोट का कोई निशान नहीं था। सिर्फ राइफल से गोलियां मारी गई थीं, जिसकी वजह से पुलिस को देसाई पर शक हुआ।
2. सीसीटीवी में कोई संदिग्ध नजर नहीं आया
देसाई ने दावा किया कि 2 हत्यारे सादे कपड़ों में आए थे। हालांकि आर्मी कैंट के भीतर या बाहर से ऐसा कोई संदिग्ध नहीं नजर आया। सीसीटीवी कैमरों में भी संदिग्धों का पता नहीं चला था।
3. सर्च ऑपरेशन में देसाई की बात झूठी निकली
देसाई ने संदिग्धों के जंगल की तरफ भागने का दावा किया था। आर्मी ने सर्च ऑपरेशन भी चलाया, लेकिन इसके बावजूद कोई संदिग्ध नहीं मिला, जिससे देसाई का दावा सही साबित हो सके।
4. केवल राइफल की गोलियों के निशान बॉडी पर मिले
अफसर जब फायरिंग वाली जगह पर गए तो पहले कमरे में गनर सागर बन्ने व योगेश कुमार और दूसरे कमरे में संतोष व कमलेश की बॉडी पड़ी थी। इनके शरीर पर गोलियों के निशान थे। पास ही गोलियों के बहुत सारे खोखे बिखरे थे। यूनिट के लांस नायक हरीश के नाम पर अलॉट हुई एक इंसास राइफल 9 अप्रैल को गुम हो गई थी। जांच में पता चला कि इसी इंसास राइफल से जवानों पर गोलियां चलाई गईं।
5. आरोपी को शक न हो, इसलिए 12 को नोटिस भेजा
इस मामले में सिर्फ देसाई ही नहीं, 12 जवानों को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया गया था। ऐसे में देसाई मोहन को लगा कि उसे मुख्य गवाह होने की वजह से बुलाया गया है। जब सभी जवान पूछताछ में शामिल होने आए तो देसाई मोहन को अरेस्ट कर लिया गया। इसके बाद देर रात तक उससे पूछताछ चली।

मारे गए जवान नाइट वॉचमैन की ड्यूटी भी करते थे
पुलिस को बताया गया कि अफसर मेस के सामने जवानों के रहने के लिए बैरक बनी हुई है। अफसर मेस में काम करने वाले जवान और गार्ड यहीं रहते हैं। निचले कमरे में गनर नागा सुरेश रहता है। ऊपर के 2 कमरों में से एक में गनर सागर बन्ने, गनर योगेश कुमार और दूसरे कमरे में गनर संतोष व गनर कमलेश रहते थे। जो 2-2 घंटे बिना हथियार के नाइट वॉचमैन की भी ड्यूटी करते थे। 12 अप्रैल की रात सभी जवान ड्यूटी खत्म कर कमरे में चले गए थे।
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