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    फार्मा व हेल्थकेयर से जुड़ी 30 कंपनियों ने खरीदे 900 करोड़ से ज्यादा के चुनावी बॉन्ड

    -गुरूवार को चुनाव आयोग ने डेटा वेबसाइट पर किया प्रकाशित

    नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- पांच बड़ी कंपनियों के बाद फार्मा व हेल्थकेयर से जुड़ी 30 कंपनियों ने भी 900 करोड़ रूपये से ज्यादा के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं। जिनमें टॉप खरीदारों में यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (162 करोड रुपये), हैदराबाद की डॉ रेड्डीज प्रयोगशाला (80 करोड़ रुपये), अहमदाबाद मुख्यालय वाली टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स (77.5 करोड़ रुपये), हैदराबाद स्थित नैटको फार्मा (69.25 करोड़ रुपये) और हैदराबाद- हेटेरो फार्मा और इसकी सहायक कंपनिया शामिल है। गुरूवार को चुनाव आयोग ने इन सभी का डेटा अपनी बेवासइट पर प्रकाशित कर दिया।

    चुनावी बॉन्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि कम से कम 30 फार्मा और हेल्थकेयर कंपनियों ने 5 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड खरीदे, जो लगभग 900 करोड़ रुपये है। यह कुल 12,155 करोड़ रुपये की राशि का लगभग 7.4 फीसदी है, जिसके लिए डेटा जारी किया गया था। टॉप खरीदारों में यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (162 करोड़ रुपये हैदराबाद की डॉ रेड्डीज प्रयोगशाला (80 करोड़ रुपये), अहमदाबाद मुख्यालय वाली टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स (77.5 करोड़ रुपये), हैदराबाद स्थित नैटको फार्मा (69.25 करोड़ रुपये) और हैदराबाद-हेटेरो फार्मा और इसकी सहायक कंपनियां शामिल हैं। बायोकॉन लिमिटेड की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ ने भी 6 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। उद्योग जगत से पोल बांड के अन्य बड़े खरीदार सिप्ला (39.2 करोड़ रुपये) हैं।
              सबसे बड़े खरीददार यशोदा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल ने अप्रैल 2022 में छह ट्रेंच में 80 बांड खरीदे। जो सबसे अधिक 80 करोड़ रुपये था। प्रकाशन के समय, यह पता नहीं लगाया जा सका कि खरीददार हैदराबाद स्थित अस्पताल था या गाजियाबाद स्थित अस्पताल था। क्योंकि दोनों का नाम एक ही है। आईटी छापे के बाद हेटेरो फार्मा ने अप्रैल 2022 और जुलाई और अक्टूबर 2023 में चुनावी बांड खरीदे, जिसमें कथित तौर पर फर्म से जुड़ी 550 करोड़ रुपये की बेहिसाब आय का पता चला था। हेटेरो फार्मा हृदय रोगों, कैंसर और मधुमेह सहित अन्य बीमारियों के लिए दवाओं के साथ-साथ सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री के निर्माण के लिए जाना जाता है।
             डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरी जेनेरिक, ब्रांडेड जेनेरिक और बायोलॉजिक्स का काम करती है। हालांकि, यह सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (एपीआई) बनाने वाली बड़ी कंपनियों में से एक हैं। गौरतलब है कि महामारी के दौरान सरकार ने एपीआई के स्वदेशी विनिर्माण पर जोर दिया और अपनी उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना के माध्यम से इसका निर्माण करने वाली कंपनियों को वित्तीय सहायता दी। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से छठा सबसे बड़ा डोनर, डिविज़ लेबोरेटरी दुनिया के सबसे बड़े एपीआई निर्माताओं में से एक है। इसके अलावा, नैटको और टोरेंट दोनों फार्मास्यूटिकल्स अपनी हृदय और मधुमेह दवाओं के लिए जाने जाते हैं। हैदराबाद स्थित वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक (10 करोड़ रुपये) और बायोलॉजिकल ई (5 करोड़ रुपये), जिन्हें कोविड-19 टीकों के लिए सरकारी मंजूरी मिली थी। वो भी इस सूची में शामिल हैं।

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