नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों व उनके परिवारों के कल्याण संबंधी मुद्दों को लेकर कॉनफैडरेसन आफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियर्स वेलफेयर एसोसिएशन महासचिव रणबीर सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा 07 नवंबर 2023 को वार्ब के सदस्य सचिव व आईजी बीएसएफ हैडक्वार्टर को विस्तार से बातचीत कर ज्ञापन सौंपा गया।
महासचिव रणबीर सिंह द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार विभिन्न कल्याण संबंधी सुविधाओं जिनमें प्रमुख मुद्दे सभी राज्यों में अर्धसैनिक कल्याण बोर्डों की स्थापना, अर्ध सेना झंडा दिवस कोष के गठन, राज्यों की राजधानियों में सरदार पटेल के नाम पर अर्धसैनिक स्कूलों की स्थापना, सीआईएसएफ जवानों को सीएलएमएस सुविधा, सशस्त्र सीमा बल में निचले स्तर पर कार्यरत फॉलोवर रैंक की हवलदार पदों पर पदोन्नति, सीआईएसएफ जवानों को 30 दिन के बजाए 60 दिन वार्षिक अवकाश, विभिन्न राज्यों की वेलफेयर एसोसिएशन्स के प्रतिनिधिमंडलों की केंद्रीय स्तर पर वार्ब चेयरमैन के साथ तिमाही बैठक, रिटायर्ड कर्मियों के मरोणापरांत आखिरी विदाई के तौर पर गार्ड ऑफ ऑनर का प्रावधान जैसे महत्वपूर्ण कल्याणकारी मुद्दों पर बिंदुवार चर्चा की गई।
उपरोक्त महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चेयरमैन वार्ब अर्थात डीजी बीएसएफ से मुलाकात के लिए समय मांगा गया था लेकिन मुलाकात मेंबर सेक्रेटरी आईजी बीएसएफ से करवाई गई। बातचीत के दौरान मेंबर सेक्रेटरी का रूखा रवैया देखने को मिला। वार्ब सेक्रेटरी द्वारा 21 फरवरी 2023 को मिला जवाब देख कर काफी हैरानी हुई। मेंबर सेक्रेटरी साहब को शायद पता ही नहीं कि सबसे निचले पायदान पर कार्यरत अनुचर वर्गों के हवलदार पदों पर पदोन्नति मामला माननीय गृह सचिव, विभिन्न फोर्सेस डीजी व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री से की गई मुलाकातों के दौरान एसोसिएशन द्वारा बहुत बार उठाया गया यहां तक कि इस बारे में माननीय प्रधानमंत्री जी को भी चिट्ठी लिखी गई। सीआईएसएफ जवानों को छोड़कर भारतीय सेनाओं के तीनों अंगों व सभी केंद्रीय सुरक्षा बलों में 60 दिन वार्षिक अवकाश दिया जाता है जबकि सीआईएसएफ जवानों को मात्र 30 दिन वार्षिक अवकाश वो भी किश्तों में। कम छुट्टी व समय पर छुट्टी ना मिलने पर आए दिन जवानों में आत्महत्याएं व आपसी शूट आउट के मामलों में वृद्धि देखने को मिलीं है। क्या दिक्कत आ रही है सीआईएसएफ में क्यों नहीं जवानों में फिर से एक ताजा सर्वे कराया जाए कि जवान 60 दिन छुट्टी चाहते हैं या बदले में 30 दिनों का लीव ऐनकैशमैंट।
रणबीर सिंह ने 2 फरवरी 2021 की उस मुलाकात का जिक्र किया जब पूर्व एडीजी श्री एचआर सिंह के नेतृत्व में केंद्रीय गृह सचिव श्री अजय भल्ला जी से मुलाकात हुई और माननीय गृह सचिव द्वारा 21 अक्टूबर या 31 अक्टूबर को सरदार पटेल के जन्मदिन पर अर्ध सैनिक झंडा दिवस कोष गठित करने का भरोसा दिया तो फिर माननीय केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की ऐसी क्या मजबूरी रही जिंहोने संसद में बयान दिया कि सरकार का इस तरह के कोष गठन का कोई इरादा नहीं है जबकि उपरोक्त कोष के गठन के लिए किसी बजट की जरूरत ही नहीं। आम भारतीय उपरोक्त कोष में दान देंगे जैसा कि भारतीय सेनाओं के लिए बने सेना झंडा दिवस कोष में 7 दिसंबर को हर साल करोड़ों रुपए स्वेच्छा से दान में मिलते हें। सवाल उठता है कि क्या अर्ध सैनिक बल बिना झंडे के है हर साल विभिन्न सेरेमोनियल समारोहों में माननीय केंद्रीय गृह मंत्री जी, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी व लोकप्रिय प्रधानमंत्री जी झंडे तले सलामी लेते रहे हैं।
सुरक्षा बलों के 20 लाख परिवारों के लिए पिछले 8 सालों से कॉनफैडरेसन द्वारा लगातार आवाज उठाई जा रही है कि सभी राज्यों में अर्धसैनिक कल्याण बोर्डों की स्थापना की जाए लेकिन वार्ब (ॅ।त्ठ) द्वारा रटा रटाया जवाब मिलता है कि इस की कोई जरूरत नहीं है इसके लिए वार्ब ही काफी है तो सवाल उठता है कि शहीद परिवारों, अपंग जवानों, विधवाओं, रिटायर्ड कर्मियों के कल्याण, पुनर्वास, शिक्षा स्वास्थ्य सुविधाओं की कौन संस्था जिम्मेदारी उठाए। पूर्व एडीजी श्री एचआर सिंह के कहे अनुसार केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन कार्यरत कल्याण एवं पुनर्वास बोर्ड (वार्ब) की स्थापना मई 2007 में हुई थी जो आज कल्याण एवं पुनर्वास के नाम पर एक सफेद हाथी सिद्ध हो रहा है जिसका भलाई के नाम पर दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं है जबकि उपरोक्त बोर्ड में पूर्व अर्धसैनिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने की मांग बराबर की जाती रही है। केंद्रीय सैन्य पुलिस बलों में वार्ब के अधीन होने वाली तिमाही बैठक विभिन्न अवसरों पर बिना कारण बताए टाली जाती रही हैं। आज वार्ब को पुनर्गठित कर इसे संवैधानिक दर्जा दिए जाने की आवश्यकता है।
स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल के नाम पर राज्यों की राजधानियों में अर्धसैनिक स्कूलों की स्थापना व केंद्रीय सुरक्षा बलों की सीपीसी कैंटीन पर जीएसटी छूट हेतु मांग को लेकर 14 नवंबर 2019 को हमारी एसोसिएशन प्रतिनिधि मंडल द्वारा माननीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी से नॉर्थ ब्लॉक कार्यालय में मुलाकात हुई थी। माननीय वित्त मंत्री साहिबा ने कहा था कि अगर गृह मंत्रालय इस तरह के स्कूलों को खोले जाने हेतु प्रपोजल भेजता हैं तो अवश्य ही इसे प्राथमिकता दी जाएगी लेकिन बार बार अनेकों ज्ञापन व मुलाकातों के बाद भी इस संबंध में वित मंत्रालय को प्रस्ताव नहीं भेजा गया। महासचिव द्वारा आरटीआई एक्ट के तहत सभी फोर्सेस महानिदेशालयों से राज्यवार शहीद परिवारों, विधवाओं, मैडल अवार्डी, सेवारत एवं सेवानिवृत्त परिवारों की सूची उपलब्ध कराने हेतु आवेदन किया गया लेकिन उपरोक्त सूचना देने से भी साफ मना कर दिया गया। अब सवाल उठता है कि 20 लाख पैरामिलिट्री परिवारों के कल्याण, पुनर्वास, बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य सुविधाओं के लिए कहां गुहार लगाएं।
पूर्व एडीजी श्री एचआर सिंह ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि आए दिन समय पर छुट्टी ना मिलने के कारण जवान आत्महत्याएं कर रहे हैं बेमौसम चुनावों के चलते जवान समय पर छुट्टी नहीं जा पा रहे। साल की आखिरी तिमाही में 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों व आने वाले 2024 आम चुनावों के चलते 20 प्रतिशत जवानों का छुट्टी प्लान गड़बड़ा गया लगता है। माननीय गृह मंत्री जी का 100 दिनों अपने परिवार के साथ छुट्टी बिताने वाला फार्मूला भी लागू नहीं हो पाया। लम्बे समय से मनचाही पोस्टिंग व प्रमोशन से वंचित, कल्याण, पुनर्वास व अन्य सुविधाओं के नाम पर जवान एवं आफिसर अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। लम्बे समय घर परिवार से दूर ड्यूटी की अधिकता, बिना पैंशन जीवन अंधकारमय के चलते 5 हजार से ज्यादा जवान मानसिक रोगी हो गए। राज्य एवं केन्द्र सरकार चुनावों में मशगूल हैं कोई मसीहा तो आए जो जवानों की सुविधाओं का विस्तार करे।
आने वाले 13 दिसंबर को आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम शहर में ऑल साउथ इंडिया एक्स पैरामिलिट्री सेमिनार आयोजित किया जाएगा जिसमें 13 दिसंबर 2001 के संसद पर हुए आतंकी हमले के शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए जाएंगे जिन्होंने देश की संसद की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। इस मौके पर शहीद परिवारों की विधवाओं व वीर नारियों का सम्मान किया जाएगा। आने वाले 2024 में होने वाले आम चुनावों में 20 लाख पैरामिलिट्री परिवारों की ओर से महत्वपूर्ण घोषणाएं की जाएगी कि वोट किस पार्टी को दिया जाए।
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