
नई दिल्ली/सिमरन मोरया/- भारत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले को गंभीरता से लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना प्रमुखों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की। विपक्षी दलों ने सरकार को समर्थन दिया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी सरकार के फैसले का समर्थन किया है। सरकार आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने की तैयारी में है।
कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले को भारत ने बहुत गंभीरता से लिया है। इस बात को इससे भी समझा जा सकता है कि सरकार को देश में हर तरफ से समर्थन मिल रहा है। विपक्षी दलों ने कहा है कि आतंकवाद से निपटने के लिए सरकार जो भी करेगी, हम उसके हर कदम के साथ हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों सेना के साथ बैठक की और उन्हें कहा कि आप जैसे चाहें कदम उठाएं। पीएम मोदी की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत संग बैठक में यह संकेत मिला कि संघ भी आतंकवाद के खिलाफ सरकार के हर फैसले के साथ है। 22 अप्रैल को पहलगाम की बैसारन घाटी में 26 लोग मारे गए थे। ये सभी लोग वहां घूमने गए थे। इस हमले से पूरा देश हिल गया था। बहरहाल, हम उन 5 संकेतों को समझते हैं जिससे लग रहा है कि इस बार कुछ खास होने वाला है।
1. तीनों सैन्य प्रमुखों के साथ पीएम की हाई लेवल मीटिंग
प्रधानमंत्री ने थलसेना, वायुसेना और नौसेना के प्रमुखों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की। इस तरह की बैठक आमतौर पर सीमा पर जवाबी कार्रवाई या ऑपरेशन की मंजूरी से पहले होती है। इसमें ऑप्शन, टाइम,टारगेट और मैसेज जैसे मसलों पर चर्चा होती है। न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद को करारा झटका देना हमारा राष्ट्रीय संकल्प है। हमें भारतीय सशस्त्र बलों की पेशेवर क्षमताओं पर पूरा भरोसा है। आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का तरीका, लक्ष्य और समय सीमा तय करे। प्रधानमंत्री ने यह बात मंगलवार को तीनों सेनाओं के प्रमुख, NSA अजीत डोभाल, CDS अनिल चौहान के साथ हाई लेवल मीटिंग में कही। यह बैठक डेढ़ घंटे से ज्यादा चली।
2. भूलने और माफ करने की नीति अब नहीं चलेगी-पीएम मोदी
पहलगाम हमले के बाद पीएम मोदी के शब्दों में गुस्सा और दृढ़ता साफ नजर आई। उनका कहना था कि हमारा धैर्य हमारी कमजोरी न समझें। यह वैसी ही भाषा है जैसी उन्होंने उरी और पुलवामा हमलों के बाद इस्तेमाल की थी-जिनके बाद भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक की थी। बीते रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी प्रधानमंत्री ने कड़ा संदेश दिया था..
3. कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की सक्रियता
पहलगाम हमले के बाद CCS की बैठक तुरंत बुलाई गई, जो कि युद्ध, आतंकी हमले या बड़ी सुरक्षा चुनौतियों के समय होती है। पिछले उदाहरणों जैसे सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयर स्ट्राइक में भी यही पैटर्न देखा गया था। यह संकेत है कि सरकार जवाबी कदम के लिए राजनीतिक हरी झंडी दे चुकी है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार की सुबह फिर कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की मीटिंग करेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस. जयशंकर जैसे बड़े नेता इस मीटिंग में शामिल होंगे। खबरों में यह भी कहा गया है कि इसके बाद कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स की मीटिंग भी हो सकती है। एक हफ्ते में यह दूसरी CCS मीटिंग है। इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी से उनके आवास, 7 लोक कल्याण मार्ग पर मुलाकात की थी। पहलगाम में हुए हमले के बाद सरकार बहुत गंभीर है और लगातार स्थिति पर नजर रख रही है। CCS की मीटिंग में इस हमले से जुड़े कई अहम मुद्दों पर बात हो सकती है। सरकार देश की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से सतर्क है।
4. मोदी-संघ प्रमुख की बैठक के संकेत भी समझिए
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत के बीच मंगलवार को बैठक हुई। आमतौर पर ऐसी बैठक राष्ट्रीय सुरक्षा या कड़े निर्णयों से पहले होती है। जब भी सरकार कोई बड़ा रणनीतिक या सैन्य फैसला लेने वाली होती है, संघ से विचार-विमर्श किया जाता है। यह संकेत देता है कि सरकार की कुछ बड़ी योजना है। इससे पहले, आरएसएस ने इसे राष्ट्र की एकता और अखंडता पर हमला करार देते हुए दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की। संघ ने कहा था कि सरकार को प्रभावित परिवारों को सभी आवश्यक राहत और सहायता सुनिश्चित करनी चाहिए और इस हमले के लिए जिम्मेदार लोगों की उपयुक्त सजा सुनिश्चित करनी चाहिए।
5. सर्वदलीय बैठक में विपक्ष को भरोसे में लिया
जब भी सरकार को लगता है कि राष्ट्रव्यापी एकता जरूरी है, तो वह सभी दलों को विश्वास में लेती है। विपक्ष से विचार-विमर्श का मतलब है कि देश की राजनीति से ऊपर उठकर कोई बड़ा कदम लिया जा सकता है, जिसकी जानकारी पहले से साझा की जा रही है। पहलगाम आतंकी हमले को लेकर दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई। गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई नेता इसमें शामिल हैं। बैठक में सभी नेताओं ने पाकिस्तान के खिलाफ सरकार के कदमों का समर्थन किया। सरकार ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति रहेगी।
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