नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- पिछले 60 साल तक देश की सत्ता में काबिज रही कांग्रेस अब अपना वजूद बचाने के साथ-साथ देश के राज्यों में अपनी सत्ता वापसी करने को लेकर जद्दोजहद कर रही है। इस पर कांग्रेस ने नई रणनीति के तहत काम भी शुरू कर दिया है। हालांकि देश में फिलहाल कांग्रेस की तीन राज्यों में ही सरकार है लेकिन तीनों ही राज्यों में नेताओं की अंदरूनी कलह कांग्रेस के लिए मुसीबत बनी हुई है। जिसे देखते हुए अब कांग्रेस भी कड़़े फैसलें लेने के लिए पूरी तरह से अपने आप को तैयार कर चुकी है और इसकी बानगी कांग्रेस ने पंजाब में मुख्यमंत्री बदलकर दिखा भी दी है। इसकी शुरुआत कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के वैष्णो देवी दर्शन और यूपी में प्रियंका गांधी की बढ़ती लोकप्रियता से जोड़कर देखा और समझा जा सकता है। अब कांग्रेस पंजाब में दलित सीएम बनाने के बाद यूपी में भी सत्ता हासिल करने के लिए दलित कार्ड खेलने का मन बना चुकी है। हालांकि यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने अभी इस पर अपनी सहमती नही जताई है लेकिन फिर भी कांग्रेस यूपी के दलित नेता पीएल पुनिया पर बड़ा दांव खेल सकती है।
हाल ही में पंजाब में लंबे घटनाक्रम के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह की जिस तरीके से विदाई कर दलित समाज के नेता चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया गया उसके जरिए कांग्रेस आलाकमान पार्टी जनों तक यह संदेश पहुंचाने में सफल रहा है कि कांग्रेस में सत्ता की चाबी अभी भी नेहरू-गांधी परिवार के पास ही है। इस घटनाक्रम के बाद पंजाब में बीएसपी और अकाली गठबंधन की हवा निकल गई है। वहीं भाजपा पार्टी भी वेट एंड वाच की स्थिति में आ गई हैं और पंजाब में तेजी से बदल रही परिस्थितियों पर नजर बनाये हुए है। 10 जनपद से जुड़े कांग्रेस के उच्च सूत्रों का कहना है कि पंजाब का फार्मूला आने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में भी लागू किया जा सकता है। जहां दलित, ओबीसी और मुस्लिम वोटर किसी भी पार्टी की हार-जीत में निर्णायक भूमिका निभाते है। यूपी जैसे बड़े राज्य में एक सीएम व दो डिप्टी सीएम का फार्मूला लागू कर समाज के सभी वर्गों को प्रनिधित्व देकर पार्टी से जोड़ने का काम कर सकती है। इसका प्रयोग कांग्रेस ने अभी हाल ही में पंजाब में किया है जिसके हिट रहने की पूरी संभावना है और कांग्रेस की इस रणनीति ने सभी पार्टियों को सकते में डाल दिया है। हालांकि यूपी में पार्टी के रणनीतिकार गांधी परिवार की प्रियंका गांधी को सीएम उम्मीदवार के रूप में पेश करने की कोशिश में लगे हैं। मगर प्रियंका ने अभी तक इसके लिए आधिकारिक रूप से हामी नहीं भरी है। यही वजह है कि एससी समाज के बड़े चेहरे के रूप में पीएल पुनिया की यूपी की राजनीति में वापसी की सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
सूत्रों का कहना है कि यूपी में गांधी परिवार के करीबी रहे बाराबंकी के पूर्व सांसद व अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष राज्यसभा सदस्य पीएल पुनिया का पार्टी दांव लगा सकती है हालांकि अंतिम फैसला यूपी में कांग्रेस के चुनावी अभियान की अगुवाई प्रभारी प्रियंका गांधी ही करेंगी, लेकिन पुलिया के पूनिया के नाम सामने आने से सियासी सुगबुगाहट शुरू हो गई है। बता दें कि कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रभारी पी एल पुनिया पहले भी बाराबंकी से कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं। वर्तमान में वे पार्टी के छत्तीसगढ़ के प्रभारी महासचिव हैं जहां पिछले विधानसभा चुनाव में दो तिहाई से ज्यादा सीटें जीत के 15 साल से काबिज भाजपा सरकार को 13 सीटों पर समेट दिया था। कांग्रेस की इस जीत में पूनिया का अहम रोल रहा था। वे यूपी में एससी वर्ग में पार्टी का बड़ा चेहरा है, अगर पूनिया यूपी की राजनीति में वापसी करते हैं तो इससे पार्टी को एससी वर्ग में पकड़ बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही छत्तीसगढ़ में पार्टी की रणनीति का अहम हिस्सा रहे पूनिया के लंबे सियासी अनुभव का लाभ भी पार्टी को मिल सकता है।
बता दें कि वर्तमान में यूपी में कांग्रेस के चुनावी अभियान की अगुवाई यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी के अलावा यूपी में कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नही है। कांग्रेस की यूपी के 18 मंडलों में रैलियां करने व 12000 किलोमीटर की प्रतिज्ञा यात्रा निकालने की योजना है। जिसके लिए कांग्रेस 4 बड़ी जनसभाएं करेगी। इसका आगाज पश्चिमी यूपी के मेरठ शहर से होगा मेरठ में 29 सितंबर को जनसभा होगी फिर 2 अक्टूबर को बनारस, 7 को आगरा और 12 अक्टूबर को गोरखपुर में जन सभाएं की जाएंगी। इन जनसभाओं से कांग्रेस जनता की नब्ज टटोली की कोशिश करेगी। प्रियंका पश्चिमी यूपी के राजनीति रूप से मजबूत शहर मेरठ से 29 सितंबर को जनसभाओं की शुरुआत करेंगी। पूरे यूपी में अभी 4 जनसभाएं तय हो चुकी हैं। इनमें दो पश्चिमी तो दो पूर्वी यूपी में की जाएगी। वही चित्रकूट में भी जनसभा होनी है लेकिन तारीख अभी तय नहीं है। हालांकि यूपी की सभी जन सभाओं का खाका तैयार हो चुका है जिन्हे देर-सवेर धरातल पर अमली जामा पहना दिया जायेगा। लेकिन अभी यह कहना मुश्किल है कि पार्टी यूपी में दलित राजनीति कहां तक प्रयोग करेगी। या फिर दलित चेहरे के नाम पर चुनाव लड़ सत्ता स्वयं प्रियंका गांधी के हाथ ही रहेगी।
-यूपी में दलित राजनीति को लेकर प्रियंका लेंगी अंतिम फैसला
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