दोषी होने पर भी किसी का घर नही गिराया जा सकता- एससी

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दोषी होने पर भी किसी का घर नही गिराया जा सकता- एससी

-बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- देशभर में आरोपियों के खिलाफ होने वाली बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अहम सुनवाई हुई। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर कोई सिर्फ आरोपी है तो प्रॉपर्टी गिराने की कार्रवाई कैसे की जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि अगर कोई आरोपी है तो विध्वंस कैसे हो सकता है और अगर वह दोषी है तो भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जा सकता।

         सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर मामलों की सुनवाई आज शुरू हो गई। जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें पेश कीं। मेहता ने कहा कि जो कार्रवाई की गई है, वह म्युनिसिपल कानून के अनुसार ही की गई है। उन्होंने बताया कि अवैध कब्जे के मामलों में म्युनिसिपल संस्थाओं द्वारा नोटिस देने के बाद ही कार्रवाई की गई है। जस्टिस विश्वनाथन ने सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है। अदालत ने नोटिस, कार्रवाई और अन्य आरोपों पर सरकार को उत्तर देने के निर्देश दिए हैं।  

           सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी के घर को गिराना उचित नहीं है। अदालत ने शासन और प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति दोषी भी है, तो भी उसके घर को गिराया नहीं जा सकता। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात को स्वीकार किया और कहा कि अपराध में दोषी साबित होने पर भी घर नहीं गिराया जा सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिनके खिलाफ कार्रवाई हुई है, वे अवैध कब्जे या निर्माण के कारण निशाने पर हैं, न कि अपराध के आरोप की वजह से।
          जमीयत उलेमा ए हिन्द ने याचिका दाखिल कर सरकारों द्वारा आरोपियों के घरों पर मनमाने ढंग से बुलडोजर चलाने पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में यूपी, मध्यप्रदेश और राजस्थान में हाल में हुई बुलडोजर कार्रवाइयों का उल्लेख करते हुए अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में ’बुलडोजर जस्टिस’ की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से शीघ्र सुनवाई की अपील की गई थी। वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने इस याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी। याचिका जहांगीरपुरी मामले में वकील फरूख रशीद द्वारा दाखिल की गई थी। याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकारें हाशिए पर मौजूद लोगों, खासकर अल्पसंख्यकों के खिलाफ दमन चक्र चलाकर उनके घरों और संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने को बढ़ावा दे रही हैं, जिससे पीड़ितों को कानूनी उपाय करने का मौका नहीं मिलता। एमेनेस्टी इंटरनेशनल की फरवरी 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2022 से जून 2023 के बीच दिल्ली, असम, गुजरात, मध्यप्रदेश और यूपी में सांप्रदायिक हिंसा के बाद 128 संपत्तियों को बुलडोजर से ढहा दिया गया। मध्यप्रदेश में एक आरोपी के पिता की संपत्ति पर बुलडोजर चलवा दिया गया, और मुरादाबाद तथा बरेली में भी बुलडोजर से संपत्तियां ढहाई गईं. हाल ही में, राजस्थान के उदयपुर जिले में राशिद खान का घर भी बुलडोजर से गिरा दिया गया, जिसमें उनके 15 वर्षीय बेटे पर स्कूल में अपने सहपाठी को चाकू से गोदने का आरोप था।

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