मानसी शर्मा / – अब वह दिन दूर नहीं जब दिल्ली से मुंबई आम ट्रेनों से भी मात्र 12 घंटे में पहुंचा जा सकेगा। क्योंकि रेलवे इस रूट पर ट्रेनों की औसत गति 160 किमी. प्रति घंटा करने जा रहा है। रेलवे सूत्रों के अनुसार जल्द ही रूट पर ‘मिशन रफ्तार’ परियोजना के तहत ट्रायल शुरू होने जा रहे हैं।
बता दें कि पश्चिम रेलवे ने पिछले रविवार बोइसर के पास पावर ब्लॉक लिया जिसमें मिशन रफ्तार के लिए अंतिम चरण का काम पूरा कर लिया गया है। 1478 किमी. के रूट पर 8 हजार करोड़ रुपए की इस परियोजना के लगभग सभी काम पूरे कर लिए गए हैं। मिशन से जुड़े अधिकारियों की माने तो जल्द ही इस पर 160 किमी. की रफ्तार से ट्रायल शुरू होने जा रहे हैं। इस ट्रायल के बाद इस रूट पर ट्रेनों की औसतन रफ्तार 160 किमी. तय की जाएगी जोकि अभी तक 70 से 80 किमी. प्रति घंटा है।
तैयार हो चुकी है सेफ्टी फेंसिंग
औसतन 160 किमी. की रफ्तार से ट्रेनें दौड़ सकें। इस रूट पर पटरियों के दोनों छोर पर फेंसिंग की गई है। पूरे रूट पर करीब 50 फीसदी हिस्सा यानी 792 किमी. पश्चिम रेलवे के अधिकार क्षेत्र में है। और इस पूरे हिस्से में कैटल फेंसिंग और वॉल फेंसिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है। सूत्रों के अनुसार देश की पहली स्लीपर वंदे भारत भी दिल्ली से मुंबई के बीच चलाना इस रूट की वजह से ही तय किया गया है।
कवच से रूट को किया गया है सुरक्षित
ट्रेनों की स्पीड के साथ उनकी सेफ्टी को बढ़ाने के लिए पूरे रूट पर भारतीय रेलवे की ‘कवच’ तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिन ट्रेन में कवच लगा हो, उनका आमने-सामने से टकराना असंभव है, क्योंकि टकराने से पहले ट्रेन में ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाएंगे। दिसंबर, 2022 में पश्चिम रेलवे के 735 किमी पर 90 इंजन में कवच लगाने के लिए 3 कॉन्ट्रैक्ट हुए थे, जिनका काम पूरा हो चुका है। पश्चिम रेलवे पर इस तकनीक का सफल ट्रायल हो चुका है। अब तक वड़ोदरा-अहमदाबाद सेक्शन में 62 किमी, विरार-सूरत पर 40 किमी और वडोदरा-रतलाम-नागदा सेक्शन में 37 किमी पर ट्रायल हो चुका है।
160 किमी. की औसत रफ्तार के लिए ये किए गए कार्य
भारतीय रेलवे में फिलहाल ट्रेनों की औसत गति 70 से 80 किमी प्रतिघंटा है। ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए रेलवे ने पटरियों के नीचे वाले बेस को चौड़ा किया है, ताकि स्पीड में भी स्थिरता बनी रहे। इसके पूरे रूट पर 2×25000-वोल्ट की पावर लाइन बनाई गई है। इस परियोजना के पश्चिम रेलवे वाले क्षेत्र में 134 कर्व यानी मोड़ को सीधा किया जा चुका है। 160 किमी प्रतिघंटा की स्पीड के लिए 60 किलो 90 यूटीएस वाली रेल (पटरी) की जरूरत होती है, जबकि भारतीय रेलवे में ज्यादातर जगहों पर 52 किलो 90 यूटीएस वाली पटरियां लगी हैं। मुंबई-दिल्ली रूट पर परियोजना के मुताबिक पटरियों को बदलने का काम लगभग पूरा हो चुका है। स्पीड बढ़ाने के लिए पटरियों के नीच पत्थर की गिट्टियों का कुशन 250 मिमी से बढ़ाकर 300 मिमी किया गया है। ऐसा ही नॉदर्न रेलवे की ओर से कार्य किया गया है। बता दें कि 8 हजार करोड़ की लागत वाला यह कॉरिडोर प्रोजेक्ट 2017-18 में मंजूर किया गया था। इसकी लंबाई 1478 किमी. है।
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