• DENTOTO
  • दिल्ली में कांग्रेस-आप के बीच साख की लड़ाई कही भारी ना पड़ जाए

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    May 2025
    M T W T F S S
     1234
    567891011
    12131415161718
    19202122232425
    262728293031  
    May 7, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    दिल्ली में कांग्रेस-आप के बीच साख की लड़ाई कही भारी ना पड़ जाए

    -पिछले दो चुनावों में एक-दूसरे के खिलाफ लड़ी हैं कांग्रेस व आप

    नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- पिछले दो चुनावों में कांग्रेस व आप कोई खास कमाल नही कर सकी हैं। दोनो बार भाजपा ने दिल्ली की सातों सीटों पर अपनी जीत दर्ज की है। वहीं दोनो की चुनावों में कांग्रेस व आप एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ी हैं लेकिन इस बार इडी गठबंधन के तहत कांग्रेस व आप ने दिल्ली में सांझा उम्मीदवार उतारे है। अब देखना यह है कि क्या पिछली दोनो चुनावों की कड़वाहट भूलाकर क्या कांग्रेस व आप के दिल मिल पाते हैं या नही। हालांकि अभी भी दोनो पार्टियों में साख की लड़ाई अंदरखाने चल रही है जिसे लेकर केजरीवाल व राहुल गांधी खासे परेशान दिखाई दे रहे है। अब सवाल यह उठता है कि कांग्रेस-आप की साख की लड़ाई कहीं एक-दूसरे पर भारी ना पड़ जाए। हालांकि अभी तक इस चुनाव में दोनों पार्टियां बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है लेकिन इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है वोटों का निर्बाध रूप से ट्रांसफर होना और गठबंधन के पक्ष में सहानुभूति बने रहना।

              अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के दिल्ली नेतृत्व के बीच मतभेदों को खत्म कर दिया है और एकता की भावना को बल दिया है। जिस गठबंधन का दिल्ली कांग्रेस के कई नेताओं ने शुरुआत में विरोध किया था, उसे अब सामान्य रूप से देखा जा रहा है, क्योंकि कांग्रेस व आप के उम्मीदवार दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद पैदा हुई सहानुभूति को भुनाने की उम्मीद कर रहे हैं।

             दिल्ली के सियासी समीकरण समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना होगा। सबसे पहले हम 2014 के चुनाव की बात करते हैं। 10 साल पहले हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली की सभी 7 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि आप सभी सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। पिछले चुनाव में बीजेपी को 46 फीसदी, आम आदमी पार्टी को 33 फीसदी और कांग्रेस को 15 फीसदी वोट मिले थे। बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद हुए 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने एक बार फिर सभी 7 सीटों पर जीत का परचम लहराया था। इसमें कांग्रेस 5 पर और आप 2 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। इस चुनाव में बीजेपी को 57 फीसदी, आप को 18 फीसदी और कांग्रेस को 23 फीसदी वोट मिले थे। अब बात इस साल होने वाले आम चुनावों की. इसमें आप और कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़ रही हैं। आप 4 सीटों (पूर्वी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली और नई दिल्ली) पर और कांग्रेस तीन सीटों (चांदनी चौक, उत्तर पूर्वी दिल्ली और उत्तर पश्चिम दिल्ली) पर चुनाव लड़ रही है।

              किसी भी गठबंधन के सफल होने के लिए सहयोगी पार्टियों के बीच वोटों का निर्बाध हस्तांतरण होना जरूरी होता है। दिल्ली में स्विंग वोटर्स का प्रतिशत बहुत ज्यादा है, जो अलग-अलग चुनावों में अलग-अलग पार्टियों को वोट देते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा (18 प्रतिशत) और कांग्रेस (18 प्रतिशत) को वोट देने वाले 36 प्रतिशत मतदाताओं ने 2020 के विधानसभा चुनाव में आप को वोट दिया था। दिल्ली में आप और कांग्रेस के बीच लगभग 100 फीसदी वोट तीन वजहों से ट्रांसफर हो सकते हैं।

    1) 2019 में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के खाते में जो वोट आए थे वो बड़े पैमाने पर बीजेपी विरोधी वोट थे। बीजेपी विरोधी वोटर्स ने 5 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों का समर्थन किया। इन वोटर्स का मानना था कि कांग्रेस के कैंडिडेट आप उम्मीदवारों की तुलना में जीतने के ज्यादा योग्य हैं। इसके चलते कांग्रेस के कैंडिडेट दूसरे स्थान पर पहुंच गए। इसी तरह का तर्क भाजपा विरोधी मतदाताओं ने दिल्ली की अन्य 2 अन्य सीटों पर भी लागू किया गया, जहां आप उपविजेता थी। 

    2) दिल्ली में आप कांग्रेस और छोटी पार्टियों को नुकसान पहुंचाकर बढ़ी है. 2019 के आम चुनावों में कांग्रेस ने 23 फीसदी वोट शेयर (2009 की तुलना में 34 प्रतिशत का नुकसान), भाजपा ने 57 प्रतिशत (22 प्रतिशत का लाभ), आप ने 18 प्रतिशत (18 फीसदी का लाभ) दर्ज किया था जबकि अन्य को 2 फीसदी (कुल 6 प्रतिशत का नुकसान) हुआ था। इसी तरह 2020 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 4 फीसदी वोट शेयर (2008 की तुलना में 36 प्रतिशत का नुकसान), भाजपा को 39 प्रतिशत (तीन फीसदी का लाभ), आप को 54 प्रतिशत (3 प्रतिशत का लाभ) हुआ था जबकि अन्य को तीन प्रतिशत (21 प्रतिशत का नुकसान) हुआ था। 

    3) कांग्रेस और आप के वोट काफी हद तक एक दूसरे के पूरक हैं। कांग्रेस के पारंपरिक वोटर- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक हैं, जो कि दोनों पार्टियों के बीच बंटे हुए हैं और आसानी से एक-दूसरे को ट्रांसफर हो सकते हैं।

    2024 के लोकसभा चुनाव का क्या है समीकरण
    बीजेपी और इंडिया ब्लॉक का वोट शेयर क्रमशः 57 प्रतिशत और 41 प्रतिशत (23 प्रतिशत (कांग्रेस)$ 18 प्रतिशत (आप का) है, जो 2019 के आम चुनावों में 16 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई थी लेकिन यह आप-कांग्रेस के लिए तब तक पर्याप्त नहीं है, जब तक वे बीजेपी के वोट शेयर में सेंध नहीं लगाते। सीटों के आधार पर विश्लेषण करें तो चांदनी चौक (9 प्रतिशत मार्जिन), उत्तर पूर्वी दिल्ली (12 प्रतिशत मार्जिन), नई दिल्ली (12 प्रतिशत मार्जिन) और पूर्वी दिल्ली (14 प्रतिशत मार्जिन) में इंडिया ब्लॉक को करीबी मुकाबले का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि इन सीटों पर मार्जिन के आंकड़े 2019 में बीजेपी को मिले 16 प्रतिशत के औसत अंतर से कम है। वहीं, दक्षिणी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली और उत्तर पश्चिमी दिल्ली में ठश्रच् भारी अंतर से बढ़त हासिल कर सकती है।
             नये समीकरण के अनुसार 52 प्रतिशत मतदाताओं को लगता है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के कारण उनके पक्ष में सहानुभूति जा सकती है, जो 41 प्रतिशत के संयुक्त वोट शेयर से 11 प्रतिशत अधिक है। अगर, इंडिया ब्लॉक के पक्ष में 6 प्रतिशत का झुकाव होता है, तो वह चांदनी चौक और नई दिल्ली जीत सकता है। वहीं, उत्तर पूर्वी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली में कांटे की टक्कर हो सकती है।

    दिल्ली में पूर्वांचली मतदाता निभाते हैं अहम भूमिका
    चांदनी चौक, उत्तर पूर्वी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्रों में मुसलमानों की अच्छी खासी आबादी है। एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक 2019 में 68 फीसदी मुसलमानों ने कांग्रेस को और 18 फीसदी ने आप को वोट दिया था। ये वोट एक पार्टी से दूसरी पार्टी में आसानी से ट्रांसफर हो सकते हैं. वहीं, उत्तर पूर्वी और पूर्वी दिल्ली में पूर्वांचली मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं। कभी कांग्रेस के समर्थक रहे ये वोटर लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बीजेपी और आप के पक्ष में जाते रहे हैं। उधर, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, हरियाणा और केरल जैसे राज्यों में भी इस बार विभाजित मतदान पैटर्न दिखाई दे रहा है। 

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox