• DENTOTO
  • तीनों कृषि कानूनों पर बनी सुप्रीम कोर्ट की विशेष कमेटी की रिपोर्ट हुई सार्वजनिक, आये चौंकाने वाले तथ्य सामने

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    July 2025
    M T W T F S S
     123456
    78910111213
    14151617181920
    21222324252627
    28293031  
    July 11, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    तीनों कृषि कानूनों पर बनी सुप्रीम कोर्ट की विशेष कमेटी की रिपोर्ट हुई सार्वजनिक, आये चौंकाने वाले तथ्य सामने

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- पिछले साल खत्म हुए किसान आंदोलन पर अब एक चौंकाने वाला तथ्या सामने आया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर जांच के लिए जिस विशेष कमेटी का गठन किया था उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई है। जिसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आये है। हालांकि केंद्र सरकार ने बीते साल तीनों कृषि कानूनों को तथा कथित किसान संगठनों की जिद पर निरस्त करने का फैसला किया था। सरकार के इस निर्णय को लेकर उस समय कई तरह के कयास लगाए गए थे। लेकिन अब सामने आया है कि तीन कृषि कानूनों का अध्ययन करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने इन्हें किसानों के लिए फायदेमंद बताते हुए निरस्त न करने की सिफारिश की थी। साथ ही कमेटी ने इसमें कुछ बदलाव करने के भी सुझाव दिये थे।

    गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में संसद ने तीनों कानूनों को रद्द कर दिया था। शीर्ष अदालत को 19 मार्च 2021 को सौंपी गई रिपोर्ट को सोमवार को सार्वजनिक किया गया। तीन सदस्यीय समिति ने राज्यों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को कानूनी रूप देने की स्वतंत्रता समेत कानूनों में कई बदलावों का भी सुझाव दिया था। समिति के सदस्यों में से एक अनिल घनवट ने राष्ट्रीय राजधानी में संवाददाता सम्मेलन में रिपोर्ट के निष्कर्ष जारी किए। स्वतंत्र भारत पार्टी के अध्यक्ष घनवट ने कहा, ‘‘19 मार्च 2021 को हमने उच्चतम न्यायालय को रिपोर्ट सौंपी। हमने शीर्ष अदालत को तीन बार पत्र लिखकर रिपोर्ट जारी करने का अनुरोध किया। लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिला।’’

    उन्होंने कहा, ‘‘मैं आज यह रिपोर्ट जारी कर रहा हूं। तीनों कानूनों को निरस्त कर दिया गया है। इसलिए अब इसकी कोई प्रासंगिकता नहीं है।’’ घनवट के अनुसार, रिपोर्ट से भविष्य में कृषि क्षेत्र के लिए नीतियां बनाने में मदद मिलेगी। घनवट ने कहा कि समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ‘‘इन कानूनों को निरस्त करना या लंबे समय तक निलंबन उन खामोश बहुमत के खिलाफ अनुचित होगा जो कृषि कानूनों का समर्थन करते हैं।’’

    उन्होंने कहा कि समिति के समक्ष 73 किसान संगठनों ने अपनी बात रखी जिनमें से 3.3 करोड़ किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले 61 संगठनों ने कृषि कानूनों का समर्थन किया। घनवट ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले आंदोलन करने वाले 40 संगठनों ने बार-बार अनुरोध करने के बावजूद अपनी राय प्रस्तुत नहीं की।

    समिति के दो अन्य सदस्य कृषि अर्थशास्त्री और कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक गुलाटी तथा कृषि अर्थशास्त्री प्रमोद कुमार जोशी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र के सुधारों के लाभों के बारे में विरोध करने वाले किसानों को नहीं समझा सकी।

    निरस्त किए गए तीन कृषि कानून – कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून और आवश्यक वस्तुएं (संशोधन) कानून थे। तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करना दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन करने वाले 40 किसान संगठनों की प्रमुख मांगों में से एक था।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox