मानसी शर्मा /- दुनिया भर में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है, इसके साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग को लेकर भी हर दिन नए प्रयोग हो रहे हैं। ताकि लोगों के मन में लगातार चार्जिंग और रेंज की चिंता को कम किया जा सके। अब तक आपने स्मार्टफोन को वायरलेस चार्जर से चार्ज करने की तकनीक के बारे में सुना होगा, लेकिन बहुत जल्द इलेक्ट्रिक कारों को भी बिना किसी तार से कनेक्ट किए सड़क पर चलते हुए वायरलेस चार्जिंग तकनीक से चार्ज किया जा सकेगा।
दरअसल, जापान में एक नई तकनीक विकसित की गई है, जिसके तहत जापान के एक शहर में वायरलेस चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इस तकनीक के जरिए सड़क पर चलने वाली इलेक्ट्रिक कारों को ट्रैफिक लाइट की मदद से चार्ज करने की कोशिश की जा रही है। तो आइए जानते हैं क्या है ये तकनीक और कैसे काम करती है।
काशीवानोहा (Kashiwa-no-ha) जापान की राजधानी टोक्यो के पास एक शहर है, जिसे स्मार्ट सिटी कहा जाता है। इस वायरलेस चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का एक पायलट प्रोजेक्ट इस शहर में शुरू किया गया है। यह परियोजना टोक्यो और चिबा विश्वविद्यालयों के साथ-साथ टायर निर्माता ब्रिजस्टोन और ऑटो पार्ट्स निर्माता एनएसके और डेंसो सहित नौ कंपनियों द्वारा चलाई जा रही है।
वायरलेस चार्जिंग तकनीक कैसे काम करती है
इस परियोजना के तहत, टोक्यो विश्वविद्यालय ने एक इन-मोशन बिजली आपूर्ति प्रणाली विकसित की है। शोधकर्ता वाहन को लगातार चार्ज करने की इस प्रणाली की स्थायित्व, क्षमता और क्षमताओं का परीक्षण करना चाहते हैं। इस सिस्टम में ट्रैफिक लाइट के सामने सड़क की सतह पर प्रीकास्ट चार्जिंग कॉइल लगाए जाते हैं। वायरलेस चार्जर से करंट तभी गुजरता है जब सड़क पर किसी इलेक्ट्रिक वाहन की मौजूदगी का पता चलता है।
इस प्रणाली के सुचारू संचालन के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों के टायरों में एक विशेष प्रकार का उपकरण लगाया गया है। जो ट्रैफिक सिग्नल से निकलने वाली बिजली को ऑब्जर्व करता है और उसमें ऊर्जा भेजकर कार की बैटरी को चार्ज करने की प्रक्रिया शुरू करता है। हालाँकि, यह तभी संभव है जब वाहन की गति धीमी हो, आमतौर पर ट्रैफिक सिग्नल पर वाहन धीमे हो जाते हैं या थोड़ी देर के लिए रुक जाते हैं।
बताया जा रहा है कि जिन इलेक्ट्रिक कारों में बिजली पाने के लिए टायरों के पास विशेष उपकरण लगाए गए हैं, वे धीमी गति से चलने पर चार्ज हो जाते हैं। अगर कोई कार करीब 10 सेकंड के लिए इस कॉइल के पास से गुजरती है तो उसकी बैटरी इतनी चार्ज हो जाती है कि उसे करीब 1 किमी (0.6 मील) की रेंज मिल जाती है। फिलहाल इसे कुछ सिग्नलों पर ही लगाया गया है और अगर सब कुछ ठीक रहा और प्रोजेक्ट सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ा तो इसे कई अन्य ट्रैफिक सिग्नलों पर भी लगाने की योजना है।
टोक्यो यूनिवर्सिटी का कहना है कि परिवहन मंत्रालय के निर्देशन में यह प्रयोग अक्टूबर से 10 मार्च तक किया जाएगा। इसके बाद इसकी जांच की जाएगी और भविष्य में इस तकनीक के इस्तेमाल पर विचार किया जाएगा। जाहिर है, वायरलेस चार्जिंग सिस्टम इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है और अगर यह स्थापित हो जाता है, तो इसका सीधा फायदा इलेक्ट्रिक वाहनों की आसान चार्जिंग में मिलेगा।
क्या होगा चार्जिंग का गणित
जैसा कि इस प्रोजेक्ट के बारे में बताया गया है, अगर इलेक्ट्रिक वाहन 10 सेकंड में ट्रैफिक सिग्नल पर लगे कॉइल के पास से गुजरता है, तो कार को लगभग 1 किमी (0.6 मील) की रेंज मिलती है। इस गणना के अनुसार, कार को एक मिनट में लगभग 6 किमी की रेंज मिलेगी, और व्यस्त ट्रैफिक वाले किसी भी शहर में 6 किमी के भीतर कम से कम 2 ट्रैफिक सिग्नल होना सामान्य है। ऐसे में यह तकनीक इलेक्ट्रिक वाहन को पर्याप्त रेंज देने में पूरी मदद करेगी ताकि वह गंतव्य तक पहुंच सके।
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