• DENTOTO
  • कोरोना निगेटिव होने के बाद भी ईलाज में न करें लापरवाही, जा सकती है जान

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    July 2025
    M T W T F S S
     123456
    78910111213
    14151617181920
    21222324252627
    28293031  
    July 8, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    कोरोना निगेटिव होने के बाद भी ईलाज में न करें लापरवाही, जा सकती है जान

    -कोरोना निगेटिव होने के बाद मरीजों की स्थिति देखकर ईलाज करें चिकित्सक
    NM News Corona

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी ईलाज में लापरवाही नही करने की सलाह नेशनल काॅलेज आॅफ चेस्ट फिजिशियन इंडिया ने दी है। उनका मानना है कि ईलाज में चूक के कारण निगेटिव होने के बाद भी रोगियों की मौतें हो रही हैं। पोस्ट कोविड स्थिति में रोगियों को ढंग से इलाज नहीं मिल पा रहा है। इससे कोरोना निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद भी कुछ दिनों के अंदर रोगी मर रहे हैं। जबकि, कुछ रोगी पहले से अधिक गंभीर स्थिति में फिर से अस्पताल पहुंच रहे हैं।
                       नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन इंडिया ने कहा है कि खासतौर पर स्टेरॉयड के इस्तेमाल में डॉक्टरों से चूक होने के चलते यह स्थिति उत्पन्न हो रही है। संस्था ने इलाज के तरीके पर सवाल उठाते हुए मरीजों की स्थिति को देखकर उनके प्रबंधन की सलाह दी है। संस्था के सेंट्रल जोन के चेयरमैन प्रोफेसर एसके कटियार का कहना है कि फिजिशियन रोगियों को पहले हाई पावर का स्टेरॉयड दे रहे हैं। इससे निमोनिया कम होने लगता है। इस बीच कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आ जाती है। उसके बाद स्टेरॉयड बंद कर दिया जाता है, जबकि वैज्ञानिक तरीके से इसकी डोज धीरे-धीरे कम करते हुए बंद की जानी चाहिए।
                        ऐसा न करने से ही रोगी की स्थिति फिर बिगड़ने लगती है। फेफड़ों की स्थिति फिर पहले जैसी या उससे भी खराब हो जाती है। इससे रोगियों की मौत हो जाती है। प्रोफेसर कटियार ने बताया कि कुछ रोगियों को फिर और गंभीर स्थिति में दोबारा भर्ती करना पड़ता है। उनका ऑक्सीजन लेवल बहुत लो रहता है।
                    विशेषज्ञों का कहना है कि रोगी की जान बचाने के लिए शरीर की क्षमता को एकदम से बढ़ाने के लिए स्टेरॉयड देना जरूरी है, लेकिन इसे अचानक बंद कर देना या फिर डोज कम करने में साइंटिफिक तरीके न अपनाना उतना ही खतरनाक है। इससेे स्थिति और बिगड़ सकती है। यह रोगी के लिए जानलेवा होती है।
                   कोरोना निगेटिव होने केे बाद जब दोबारा रोगी की तबीयत बिगड़ती है और वह इलाज के लिए आता है तो उसे फिर वही रेमडेसिविर और दूसरी कोरोना की दवाएं दी जाने लगती हैं। प्रो. कटियार का कहना है कि कोरोना तो खत्म हो चुका होता है। रोगी को उस वक्त जो बीमारी है, उसकी दवा दी जानी चाहिए। क्षतिग्रस्त फेफड़ों का इलाज और प्रोटोकॉल अलग होता है।
                   विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना रोगियों का समय से इलाज शुरू हो जाए तो जितने मर रहे हैं, उनमें 30 फीसदी तक की जान बचाई जा सकती है। उनका कहना है कि जैसे ही लक्षण उभरे रोगी विशेषज्ञ के पास पहुंचे और इलाज शुरू करा ले। इससे फेफड़ों का डैमेज बच जाएगा। कोरोना तो एक सप्ताह में वैसे ही खत्म हो जाता है। डैमेज बचाना है, जिससे जान बचेगी।
                 विशेषज्ञ की सलाह है कि एस्टेरॉयड के इस्तेमाल में डायबिटीज के रोगी का ढंग से प्रबंधन होना चाहिए। होता यह है कि डायबिटीज रोगी को हाई पावर स्टेरॉयड दे दिया जाता है। इससे ब्लड शुगर लेवल तेजी से बढ़ जाता है। रोगी के दूसरे अंग डैमेज होने लगते हैं। निगेटिव होने के बाद दूसरे अंगों की खराबी से रोगियों की मौत होती है।
                 जीएसवीएम मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेेसर डॉ. प्रेम सिंह ने बताया कि हैलट की मैटरनिटी विंग के कोविड वार्ड में कई रोगी कोरोना से निगेटिव होने के बाद गंभीर हालत में भर्ती हैं। इन रोगियों ने पहले निजी अस्पतालों में इलाज कराया। उन्हें हाई पावर स्टेरॉयड देने के बाद दवा एकदम से बंद कर दी गई। इससे हालत बिगड़ गई। स्टेरॉयड एकदम से बंद नहीं किया जाता। वैसे भी इसके अपने साइड इफेक्ट होते हैं। इससे ग्लूकोमा, पेट में अल्सर, मानसिक समस्या आदि का खतरा रहता है।
                      कोरोना से खराब फेफड़ों का इलाज करने के लिए विशेषज्ञ चेस्ट फिजिशियन की कमी है। शहर में एक लाख पर एक चेस्ट फिजिशियन है। ऐसी स्थिति में रोगी का इलाज सामान्य फिजिशियन कर रहे हैं। उन्हें कोरोना के इलाज की तकनीक का अलग से कोई प्रशिक्षण भी नहीं मिला है। इससे रोगी की स्थिति संभालने में दिक्कत आ रही है। अमेरिका के विशेषज्ञ डॉ. प्रकाश शर्मा का कहना है कि कोरोना रोगियों का इलाज किट से नहीं, लक्षणों के आधार पर होना चाहिए।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox