नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- दिल्ली में स्वास्थ्य सुविधाओं की दयनीय स्थिति पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने केजरीवाल सरकार से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। साथ ही सेवाओं को लेकर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही कहा कि दिल्ली सरकार हर मंच पर कहती है कि उसके पास फंड की कोई कमी नहीं है। दिल्ली की स्वास्थ्य सुविधाएं विश्व स्तर की हो गई है। वहीं, एलजी के आरोप पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज से रिपोर्ट मांगी है। साथ ही एलजी से दिल्ली के स्वास्थ्य और वित्त सचिव को बदलने की मांग की है।
रविवार को उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अस्पतालों की दयनीय स्थिति पर निराशा और चिंता व्यक्त की है। उन्होंने लिखा कि मुख्यमंत्री और आप के मंत्री दिल्ली में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे करते है। आप की मंत्री अस्पतालों को विश्व स्तर का बताती है, लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय की टिप्पणियां सवाल खड़े कर रही है। कोर्ट ने अस्पताल में अपर्याप्त बुनियादी ढांचे, जनशक्ति की कमी, अक्षम रोगी प्रबंधन और संभावित वित्तीय कुप्रबंधन को उजागर किया है। साथ ही इन्हें ठीक करने को कहा है।
कोर्ट में साल 2017 में एक नवजात शिशु की मृत्यु का मामला उठा। सुविधा नहीं होने के कारण सरकारी अस्पताल ने इलाज करने से मना कर दिया। इसके अलावा एक अन्य मरीज की मौत अस्पताल में सीटी स्कैन, आईसीयू, वेंटिलेटर बेड सहित आवश्यक सुविधा न होने के कारण हुई। ऐसी घटनाओं की सूचना अक्सर सामने आती है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा है कि वह स्वास्थ्य मंत्री से इस दिशा में काम करने के लिए कहें। साथ ही ऐसी गंभीर समस्याओं को जल्द दूर करवाए। उपराज्यपाल ने लिखा कि इन समस्याओं को अक्सर उठाता रहता हूं। यह गंभीर चिंता का विषय है और इन्हें तत्काल दूर किया जाना चाहिए।
स्वास्थ्य सुविधा को सुधारने की जरूरत
एलजी ने पत्र में लिखा कि दिल्ली की स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और बिस्तर की क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है। इसे लेकर कई बार चिंता जाहिर कर चुका हूं। हाल ही में मोहल्ला क्लीनिकों में बोगस मरीजों पर किए गए फर्जी परीक्षण का पता चला। इसके अलावा दवाओं के फेल हुए सैंपल के मामले सामने आए।
स्वास्थ्य और वित्त सचिव को बदले एलजी : केजरीवाल
एलजी को लिखे जवाबी पत्र में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वास्थ्य और वित्त सचिव को बदलने की मांग रखी। मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा कि मैंने स्वास्थ्य मंत्री से इस पर रिपोर्ट मांगी है। साथ ही लिखा कि स्वास्थ्य सचिव दीपक कुमार को बदला जाए। वह मंत्री के मौखिक और लिखित आदेशों की अवहेलना करते हैं। बिना अधिकारी के सहयोग के सरकार कैसे काम करेगी।
वहीं, वित्त सचिव आशीष वर्मा ने पहले दवाओं, लैब टेस्ट, डॉक्टरों के वेतन, फरिश्ते योजना, दिल्ली आरोग्य कोष योजना का भुगतान रोक दिया था। इससे पूरी स्वास्थ्य प्रणाली ठप हो गई थी। इन्हें भी बदलने की मांग रखी थी। यह भी मंत्री के आदेशों की अवहेलना करते हैं। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि अधिकारी मंत्री की बात को सुने। यदि अधिकारी मंत्री की बात नहीं सुनेंगे तो त्रिस्तरीय श्रृंखला टूटेगी। इससे संपूर्ण शासन व्यवस्था ध्वस्त हो जायेगी। ऐसे में इन अधिकारियों को बदल दें।
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