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    अब लंबी दूरी के रडार और डिफेंस सिस्टम होगें भारत की जद में

    -भारत ने किया 250 किमी तक मार करने वाली इजरायली मिसाइल का सफल परीक्षण

    नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- भारतीय वायु सेना ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में इजरायली मिसाइल रॉक्स का सफल परीक्षण किया है। सुखोई एसयू-30 एमकेआई फाइटर जेट से बीते हफ्ते रॉक्स का परीक्षण किया गया। भारतीय वायु सेना का हवा से लॉन्च होने वाली मध्यम दूरी की इस बैलिस्टिक मिसाइल के एक नए संस्करण का परीक्षण सफल रहा। 250 किमी से अधिक दूरी पर लक्ष्य को भेदने में सक्षम इसी मिसाइल का इस्तेमाल इजरायली वायुसेना ने हाल ही में ईरान पर हमला करने के लिए किया था। दावा किया गया था कि इसने शक्तिशाली रूस निर्मित एस-300 एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट कर दिया था।

            इस मिसाइल को रॉक या क्रिस्टल मेज-2 भी कहा जाता है। इस मिसाइल को इजरायल में बनाया गया था और इजरायली सेना ने हाल ही में ईरान पर हमले के लिए इसका इस्तेमाल किया था। भारत ने भी अब इस मिसाइल का अंडमान में सफलता के साथ परीक्षण किया है।
             रॉक्स को राफेल ने डिजाइन और विकसित किया है, जो स्पाइस-2000 प्रिसिजन-गाइडेड म्यूनिशन बम किट और स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल बनाने के लिए प्रसिद्ध है। आईएएफ की योजना बड़ी मात्रा में मिसाइल को शामिल करने और भारत में इसका बड़े पैमाने पर निर्माण शुरू करने की है। इसका लंबी दूरी का और उन्नत संस्करण, एस-400 पहले से ही भारत की वायुसेना इस्तेमाल कर रही है।

    क्यों खास है ये मिसाइल
    रॉक्स मिसाइल ब्लू स्पैरो मिसाइल का एक संशोधित संस्करण है। इस मिसाइल में एक इलेक्ट्रो ऑप्टिकल (ईओ) और टर्मिनल चरण के लिए एक इमेजिंग इन्फ्रारेड (आईआईआर) के साथ एक इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम/ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (आईएनएस/जीपीएस) आधारित नेविगेशन सिस्टम शामिल है। ये मिसाइल घने वायु रक्षा नेटवर्क में प्रवेश करने और भारी जीपीएस-जैमिंग द्वारा संरक्षित लक्ष्यों को खोजने में सक्षम के रूप में सक्षम है, जो इसके ईओ/आईआईआर टर्मिनल सेंसर का उपयोग करता है और कठोर बंकरों और गहराई में दबे लक्ष्यों को नष्ट कर देता है।
            इस अर्ध बैलिस्टिक मिसाइल को पहली बार बेंगलुरु में 2019 एयरो इंडिया में दुनिया के सामने प्रदर्शित किया गया था। अर्ध बैलिस्टिक का मतलब है कि मिसाइल नियमित हवा से जमीन पर मार करने वाली हथियार प्रणाली की तरह फायर नहीं करती। विमान का पायलट मिसाइल के प्रक्षेप पथ को चुनता है। इसे जमीन के ऊपर, भूमिगत पिनपॉइंट सटीकता के साथ चलाया जा सकता है। स्टैंड-ऑफ क्षमताओं के कारण ये मिसाइल आधुनिक वायु रक्षा प्रणालियों को भी ध्वस्त कर सकती है।

    इजरायली हमले से हिजबुल्ला की अकड़ हुई ढीली
    इस मिसाइल का लॉन्च वायु सेना का अपनी सूची में एयर लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (एएलबीएम) को शामिल करने की बढ़ती प्रवृत्ति का हिस्सा है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, यह कुछ और नहीं बल्कि फाइटर जेट से लॉन्च करने के लिए संशोधित इस्कंदर बैलिस्टिक मिसाइल है। भारत रॉक् के समान एक और एएलबीएम भी संचालित करता है, जिसे एक अन्य इजरायली कंपनी, इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज से भी खरीदा गया था। रैम्पेज नाम की इस मिसाइल को भारतीय नौसेना अपने मिग-29के लड़ाकू विमानों से संचालित करती है।

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