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    श्रीलंका के तमिल सांसदों ने पीएम मोदी को लिखा पत्र,, कहा- मुद्दों का हो राजनीतिक समाधान

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/उत्तर प्रदेश/शिव कुमार यादव/- श्रीलंका के उत्तर पूर्व के प्रमुख सांसदों ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने भारत से मदद मांगी है कि श्रीलंका लंबे वक्त से तमिल मसलों के स्थायी राजनीतिक समाधान करे। सीनियर तमिल नेता और तमिल नेशनल अलायंस के नेता आर संपथन के नेतृत्व में सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल कोलंबो स्थित भारतीय हाईकमिशनर गोपाल बागले से मुलाकात की है और उन्हें पीएम मोदी के नाम का पत्र सौंपा है।
                      सात पेजों के इस पत्र में श्रीलंका सरकार द्वारा 13वें संविधान संशोधन को लागू करने और सार्थक शक्ति हस्तांतरण करने सहित कई बातों को रखा गया है। इस पत्र पर टीएनए की सहयोगी पार्टियों के नेता मवई सेनाथिराजा(आईटीएके), धर्मलिंगम सिथथन (पीएलओटीई), सेल्वम आदिकलानाथन (टीईएलओ), उत्तरी प्रांत के पूर्व मुख्यमंत्री सी।वी। विग्नेश्वरन और पूर्व सांसद सुरेश प्रेमचंद्रन (ईपीआरएलएफ) के साइन हैं। ये नेता 1987 के भारत-लंका समझौते के तहत एक संवैधानिक समझौता लाने की मांग कर रहे हैं।          
                      इसमें भारतीय राजनीतिक नेतृत्व द्वारा विभिन्न बिंदुओं पर किए गए हस्तक्षेप का भी उल्लेख है। चिट्ठी में 2015 में श्रीलंकाई संसद में पीएम मोदी का संबोधन भी शामिल है, जब उन्होंने सहकारी संघवाद में अपने अटूट विश्वास की बात की थी। पीएम को लिखे पत्र में 13वें संशोधन को लेकर तमिल राजनीति की सीमाओं के बारे में भी बात की गई है।
                     पत्र में कहा गया है कि हम एक संघीय ढांचे के आधार पर एक राजनीतिक समाधान के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम तमिल लोग उत्तर-पूर्व में हमेशा से बहुसंख्यक रहे हैं और बार-बार तमिल लोगों ने हमें जनादेश दिया है। तमिलों और पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले मलैयाहा तमिलों के स्वामित्व वाली जमीन पर बढ़ते हमले और खतरे को लेकर श्रीलंका सरकार को अपने वादों को पूरा करना चाहिए।
                  हाल ही में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने संसद के एक सत्र में नए संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए उनके द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों की समिति के बारे में बताया है। नए संविधान में राजनीतिक समाधान के लिए तमिल राजनीतिक नेतृत्व के निरंतर आह्वान का कोई संदर्भ नहीं था। नवंबर 2019 में राष्ट्रपति बनने के बाद से राजपक्षे ने तमिल नेतृत्व या निर्वाचित सांसदों के साथ बातचीत नहीं की है। जून 2021 में राष्ट्रपति और एक ज्छ। प्रतिनिधिमंडल के बीच एक बैठक निर्धारित की गई थी लेकिन बाद में राजपक्षे ऑफिस ने बैठक रद्द कर दी और बताया था कि एक नई तारीख की घोषणा की जाएगी। हालंकि नए तारीख की अब तक कोई घोषणा नहीं की गई है।

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