नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- दिल्ली में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब बनी हुई है और लोगों की स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार आज भी राजधानी के कई इलाकों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में दर्ज की गई है। आज सवेरे आनंद विहार और नजफगढ़ में एक्यूआई 402 और 414 तथा मंदिर मार्ग और अशोक विहार में 364 और 397 दर्ज किया गया है।
हवाओं के शांत पड़ने से दिल्ली-एनसीआर की हवा मंगलवार को भी गंभीर श्रेणी में बनी रही। हवा में प्रदूषण की मात्रा अधिक होने की वजह से दिन में भी धुधंलका छाया हुआ था। वहीं, पूरा एनसीआर प्रदूषण के लिहाज से डार्क जोन में बना है। दिल्ली मंगलवार को देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा। राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक 476 दर्ज किया गया। दिल्ली से सटे दूसरे शहरों की हवा भी गंभीर स्तर तक प्रदूषित रही।
दिल्ली-एनसीआर में प्रूदषण का आलम यह है कि सड़क पर निकले लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। सिर भरी होने के साथ ही आंखों जलन भी महसूस की गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) व सफर की सलाह है कि इस मौसम में लोग बेवजह बाहर न निकलें। साथ ही घरों के अंदर मोमबत्ती, अगरबत्ती न जलाएं। घरों के दरवाजे व खिड़कियां भी हमेेशा बंद रखने को प्रदूषण पर काम करने वाली एजेसियों ने सलाह दिल्ली-एनसीआर के लोगों को दी है।
उधर, सीपीसीबी की तरफ जारी आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली की हवा मंगलवार को देश का सबसे प्रदूषित रही। शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 476 रिकार्ड किया गया। जबकि इससे सटे अन्य शहरों में दूसरा सबसे प्रदूषित शहर नोएडा रहा। शहर का सूचकांक 455 दर्ज किया गया। तीसरे नंबर पर फरीदाबाद का सूचकांक 448 था। विशेषज्ञों का कहना है कि मौसमी दशाओं के प्रतिकूल होने से स्थानीय प्रदूषण प्रभावी भूमिका अदा कर रहे हैं। इसमें वाहनों निकलने वाला धुआं, निर्माण गतिविधियों और सड़कों पर से उडने वाली धूल है। वहीं, पड़ोसी राज्यों में जलाई जा रही पराली समस्या को बढ़ा रही है। सोमवार की तुलना में मंगलवार को पराली के धुएं का हिस्सा 16 फीसदी कम होकर 22 फीसदी पर पहुंच गई, लेकिन मौसम दशाओं के खराब होने से प्रदूषण दिल्ली-एनसीआर केे ऊपर छाए हुए हैं।
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बढने की तीन बड़ी वजहें
. वातावरण में नमी तेजी से बढने व तापमान नीचे गिरने से हवा में प्रदूषकों को रोकने की क्षमता में इजाफा हुआ है। वहीं, इस दौरान द्वितीयक कणों (गैसों का सूक्ष्म कणों मे बदलना) के निर्माण की स्थितियां भी अनुकूल हैं। सतह पर चलने वाली हवाओं के शांत पडने से नए व पुराने पीएम10 व पीएम2.5 के कण दिल्ली-एनसीआर के वातावरण में ठहर गए हैं। ऊपरी सतह में चलने वाली हवाएं अभी तक पराली के धुएं को दिल्ली-एनसीआर तक पहुुंचाने के अनुकूल थीं। हालांकि, मंगलवार को इसमें बदलाव आया, लेकिन पहले दो फैक्टर प्रभावी होने से प्रदूषण स्तर में कोई बड़ी गिरावट दर्ज नहीं की गई। मंगलवार को पराली के धुएं का हिस्सा दिल्ली में 22 फीसदी रहा।
बुधवार को सुधरेगी हवा, लेकिन गुणवत्ता गंभीर स्तर में रहने का अंदेशा
दिल्ली सबसे प्रदूषित शहर
दिल्ली 476
नोएडा 455
फरीदाबाद 448
गाजियाबाद 444
ग्रेटर नोएडा 436
गुरूग्राम 427
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