• DENTOTO
  • इस्रायल-यूएई की दोस्ती से अरब राजनीति में होगा काफी कुछ बदलाव

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    June 2025
    M T W T F S S
     1
    2345678
    9101112131415
    16171819202122
    23242526272829
    30  
    June 14, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    इस्रायल-यूएई की दोस्ती से अरब राजनीति में होगा काफी कुछ बदलाव

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- इस्रायल व संयुक्त अरब अमिरात ने वैम्नैस्य को छोड़कर शांति की तरफ एक कदम बढ़ाते हुए समझौते पर हस्ताक्षर किये है जिसके तहत संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और इस्रायल, फलिस्तीनियों की ओर से उनके भविष्य की स्थिति के लिए मांगी गई कब्जे वाली जमीन के अनुलग्नक को रोकने के लिए एक समझौते के हिस्से के रूप में पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए सहमत हो गए हैं। संयुक्त अरब अमीरात और इस्रायल ने आपसी संबंधों को पटरी पर लाने के लिए एक अहम समझौता किया है। इस समझौते के पीछे अहम भूमिका निभाई है अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने। उन्होंने इस दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते को ऐतिहासिक करार देते हुए शांति की ओर बढ़ी सफलता बताया है।
    जानकारी के अनुसार इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, अबुधाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद और ट्रंप के बीच गुरुवार को फोन पर काफी देर तक चर्चा हुई और इसके बाद समझौते पर सहमति बनी। इस समझौते को लेकर ट्रंप ने मीडिया से बात करते हुए कहा, अब जब बर्फ पिघल ही गई है तो मुझे उम्मीद है कि कुछ और अरब-मुस्लिम देश संयुक्त अरब अमीरात का अनुसरण करेंगे। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में व्हाइट हाउस में इसे लेकर एक हस्ताक्षर कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा। 1948 में इस्रायल के आजाद होने के बाद से यह तीसरा इस्रायल-अरब समझौता है। मिस्र ने 1979 में और जॉर्डन ने 1994 में एक-एक समझौता किया था। ऐसे में यह मानना कि दोनों देशों के बीच दोस्ती की नई इबारत कायम होगी, एकदम सटीक नहीं है। लेकिन, वर्तमान परिदृश्य में इसका महत्व कम भी नहीं आंका जा सकता।
    इस्रायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने भी इस समझौते को ऐतिहासिक करार दिया है। उन्होंने टेलीविजन पर अपने संबोधन में कहा कि वेस्ट बैंक पर कब्जा करने की योजना फिलहाल स्थगित कर दी है। हालांकि उन्होंने कहा कि इस योजना से जुड़े सभी दस्तावेज फाइलों में बंद नहीं कर दिए जाएंगे बल्कि उनके सामने ही रहेंगे। बता दें कि अगर इस्रायल इस योजना पर आगे काम करता तो वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों की आधिकारिक रूप से उसके कब्जे में आने की संभावना थी। दरअसल, वेस्ट बैंक में बनाई गई यहूदी बस्तियों को लेकर इस्रायल और फलस्तीनियों के बीच विवाद बना रहा है। इस क्षेत्र में करीब 30 लाख लोग निवास करते हैं।
    उल्लेखनीय है कि अभी तक अरब देशों के साथ इस्रायल के कोई राजनयिक संबंध नहीं रहे थे। लेकिन ईरान से संबंधित चिंताओं के चलते अब इन दोनों देशों के बीच अनौपचारिक संपर्क की शुरुआत हो गई है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार फलस्तीनी नेता कथित तौर पर इस समझौते पर हैरान हैं। फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास के एक प्रवक्ता ने इस समझौते को सौदा करार दिया है और कहा है कि यह राजद्रोह से कम नहीं है। फलस्तीन सरकार ने यूएई में अपने राजदूत को भी वापस बुला लिया है। वहीं, ईरान के रेवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने भी इस्रयाल और यूएई के बीच इस समझौते को शर्मनाक बताया है।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox