सिर्फ अचार-रोटी खाकर भी जारी रहेगा आंदोलन, पूर्व फौजी भी उतरे किसानों के समर्थन में

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सिर्फ अचार-रोटी खाकर भी जारी रहेगा आंदोलन, पूर्व फौजी भी उतरे किसानों के समर्थन में

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/बहादुरगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- वीरवार को सरकार के साथ हुई 7 घंटे की मेगा बैठक के बाद भी सहमति नही बन पाने के चलते अब किसानों की सरकार से उम्मीद कम ही है। जिसके चलते किसान अब आंदोलन को चलाने के लिए आगे की रणनीति बनाने में जुट गये है। किसानों का कहना है कि अगर सरकार ने उनका राशन बंद किया तो किसान अचार-रोटी खाकर भी अपने आंदोलन को जारी रखेंगे। वहीं पूर्व फौजी भी अब किसानों के समर्थन मैदान में कूद पड़े हैं। पूर्व फौजियों का कहना है कि यहां ऐसे परिवार भी जिनके बच्चे देश की सीमा पर सजग प्रहरी के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे है तो वहीं उनके मां-बाप किसान आंदोलन में अन्नदाता को बचाने के लिए जय जवान-जय किसान का नारा बुलंद कर रहे है।
वीरवार की बैठक के बाद अब किसानों ने साफ कर दिया है कि किसी भी सूरत में आंदोलन बंद नही होगा। जब तक सरकार उनकी बात नही मानती तब तक यह आंदोलन बंद नही होगा। हालांकि कुछ किसान नेता तो यहां तक कह रहे है कि हम 26 जनवरी की परेड देखकर व उसमें भाग लेकर ही जायेंगे। जबकि सिंघु बार्डर पर डेरा जमाये बैठे किसान नेताओं की माने तो इस आंदोलन की कोई समय-सीमा नही है। फिर भी अगर सालभर भी आंदोलन चलाना पड़ा तो हम पीछे नही हटेंगे। टिकरी बार्डर व बहादुरगढ़ के नेशनल हाईवे पर आंदोलनरत किसानों का कहना है कि हमने कल की वार्ता के बाद आगे की रणनीति बनानी शुरू कर दी है।
बहादुरगढ़ में अपने कैंपोें में अब किसान आगे की रणनीति के तहत अचार तैयार कर रहे हैं। किसानों को शंका है कि सरकार उनके साथ छल कर सकती है। जिसके लिए वह अचार डाल रहे है ताकि यदि सरकार किसानों तक पंहुचने वाले रशद पर रोक लगाये तो यहां रहने वाले किसान अचार और रोटी खाकर आंदोलन को चला सके। इसके लिए किसानों ने गोभी व गाजर अचार डालने का काम शुरू कर दिया है। इस संबंध में किसान नेता करमजीत सिंह ने कहा कि अब नई रणनीति के तहत किसान अचार डाल रहे हैं। ताकि रशद बंद होने पर किसानों को सब्जी की जगह कम से कम अचार दिया जा सके। वहीं किसान लखवीर सिंह ने बताया कि किसान अपने खेत व अपने परिवार को राम भरोसे छोड़कर देश के किसानों के लिए न्याय मांगने निकला है। मोदी जी का टारगेट पंजाब के किसान है। वो अडानी व अंबानी के रहमो करम पर देश के किसानों को छोड़ना चाहते है। तथा सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रही है। सरकार की यही मंशा न देश के लिए और न ही किसानों के लिए हितकर है। हम अपनी जान देकर भी देश के किसानों को बचायेंगे।

किसानों के समर्थन में आये पूर्व फौजी, पहले किसान के बेटे बाद में फौजी
पंजाब से आया पूर्व फौजियों का जत्था किसान आंदोलन में जय जवान – जय किसान का नारा बुलंद कर रहे हैं। पूर्व फौजियों का कहना है कि पहले हम किसान है के बेटे है बाद में हम फौजी है। हमने पहले फौज में देश सेवा की है अब किसानों के हितों के लिए आंदोलन में पंहुचें है। इस संबंध में हवलदार गुरतेज सिंह ने कहा कि देश के किसानों को अडानी-अंबानी का गुलाम बनाने की मोदी सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। लेकिन अब पंजाब का किसान देश के किसानों को सरकार के इस छल से अवगत करायेगा और इन बिलों को खत्म करायेगा। हवलदार कृपाल सिंह, अवतार सिंह, सिपाही जगरूप सिंह व पवित्र सिंह ने बताया कि वो 6 महीने का राशन अपने साथ लेकर आये हैं और हर सूरत में आंदोलन को किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जारी रखने के लिए अपना पूरा सहयोग देंगे।

सीमा पर पुत्र तो आंदोलन में माता-पिता कर रहे जय जवान – जय किसान का नारा बुलंद
हवलदार कृपाल सिंह ने बताया कि इस आंदोलन में ऐसे अनेक परिवार है आये हुए है जिनके बेटे सीमा पर देश की रक्षा के लिए ड्यूटी दे रहे है और माता-पिता किसानों के हितो की रक्षा के लिए किसान आंदोलन में जय जवान- जय किसान का नारा लगा रहे है। उनका कहना है कि फौजी पहले किसान है बाद में फौजी है। हालांकि अभी हाल ही में शहीद हुए पंजाब के कुछ फौजियों के माता-पिता भी इस आंदोलन में भाग लेकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। आज शायद सरकार किसानों का बलिदान मांग रही है। इसके लिए पंजाब का किसान पीछे नही हटेगा। हालांकि हरियाणा के भाई बहन उनके इस आंदोलन में पूरा सहयोग दे रहे हैं। और हर संभव मदद दिल खोलकर कर रहे हैं।

किसानों के कैंपों के आसपास सरकार ने तैनात की रैपिड एक्शन फोर्स
किसान सरकार की मंशा को भांप गये है। किसानों की माने तो सरकार आंदोलन में आये किसानों की मदद करने की बजाये उन्हे डराने के लिए उनके आसपास अर्धसैनिक बलों की तादात बढ़ा रही है। लेकिन हम डरने वाले नही है। हम भूखे रहकर भी अपना हक ले कर रहेंगे। तथा सरकार को अपनी रणनीति बदलने का पूरा जोर डालेंगे। किसानों ने कहा कि अब सरकार को इन बिलों को रद्द करना ही होगा। हम डटे है और डटे रहेंगे।

किसानों को खत्म करने की साजिश, सरकार पर किसानों का आरोप
तीन कृषि बिलों को रद्द करने के लिए दिल्ली के बार्डरों पर किसान पिछले 8 दिनो से आंदोलन कर रहा है। फिर भी सरकार कुछ नही कर रही है। किसानों का मानना है कि सरकार सिर्फ टाईम पास कर रही है कि किसानों का खाना-पानी समाप्त हो जायेगा तो वो खुब वापस चले जायेंगे। लेकिन किसान अपने साथ करीब 6 महीने का राशन पानी लेकर आये हैं। साथ ही स्थानीय ग्रामीण भी अब किसानों की मदद में आगे आ रहे हैं। ग्रामीणों ने किसानों के लिए खाने-पीने के लिए लंगर लगा दिये है। साथ किसानों को दूध, दही, लस्सी व पानी की स्थानीय लोग सप्लाई कर रहे है। वहीं किसान आंदोलन में भाग ले रहे किसान करमजीत सिंह ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार देश के किसानों को खत्म करना चाहती है। सरकार चाहती है कि देश में खेती सिर्फ अडानी व अंबानी करे और किसान उनके लिए खेती करें। लेकिन देश के किसान सदियों से देश के लिए अन्नदाता का काम करता रहा है और उसके लिए वह भूखा भी रहा है। किसानों ने आत्महत्या भी की है। फिर भी सरकार किसानों को आर्थिक रूप से सुद्ढ बनाने के बजाये उन्हे खत्म करने का काम कर रही है। ये तीनों बिल छोटे व मध्यमवर्ग के किसानों को पूरी तरह से खत्म कर देंगे लेकिन अब हम एमएसपी की लड़ाई नही लड़ रहे है हम इन बिलों को खत्म करने की मांग कर रहे हैं तभी हम यहां से हटेंगे।

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