किसानों ने पीएम की मन की बात का ताली व थाली बजाकर किया विरोध

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किसानों ने पीएम की मन की बात का ताली व थाली बजाकर किया विरोध

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के बॉर्डरों पर डटे किसानों ने सोमवार सुबह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मन की बात का अपने-अपने तरीके से विरोध किया। जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे कांग्रेसी नेताओं ने जूतों से थालियों को बजाकर विरोध किया तो सिंघु बॉर्डर पर बैठे किसानों ने थालियां, ढोल व तालियां बजाकर अपना विरोध दर्ज कराया। यहां पर किसानों ने अर्धनग्न होकर विरोध जताया। गाजीपुर बॉर्डर पर भी थालियां बजाई गईं। टीकरी बॉर्डर पर भी ताली व थाली बजाकर विरोध किया गया। यहां पर शहीदी दिवस मनाकर भी विरोध किया। 

सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने तन पर आधे कपड़े डाल जताया मन की बात पर रोष
एक महीने से अधिक वक्त से सिंघु सहित दिल्ली की सभी सीमाओं पर विरोध दर्ज करवा रहे किसानों ने रविवार को थालियां, ढोल और तालियां बजाकर केंद्र सरकार के खिलाफ रोष जताया। कुछ युवकों ने इस दौरान अपने तन पर आधे कपड़े डालकर भी केंद्र सरकार के खिलाफ रोष जताया। सीमाओं पर थालियां और बर्तन बजाकर विरोध जताने वाले किसान आंदोलन समर्थकों ने सोशल साइट्स के जरिए भी विरोध जताया। 
मन की बात कार्यक्रम की शुरुआत होने से पहले ही सीमाओं पर डटे किसान समर्थकों विरोध के लिए तैयारियां कर रखी थीं। विरोध जताने के तरीके को लेकर आसपास की दुकानों से बर्तन और ढोल की बिक्री भी बढ़ गई। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि प्रधानमंत्री के मन की बात तो सुनते आ रहे हैं, लेकिन किसानों की मन की बात पर सुनवाई न होने की वजह से उन्होंने थाली और ताली बजाकर विरोध जताया है। पिछले एक महीने से भी अधिक वक्त से किसान दिल्ली की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर डटे हुए हैं। इस दौरान बॉर्डर के दोनों तरफ हर तरफ थालियों और तालियों की आवाज के बीच मन की बात के स्वर थोड़े धीमे पड़ गए।
 
गाजीपुर बॉर्डर पर महिलाओं ने कटोरी व करछी बजाकर जताया विरोध
गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों ने रविवार की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात का थाली बजाकर विरोध प्रदर्शन किया। वहीं, दोपहर में महिलाएं भी बॉर्डर पर करछी और कटोरी लेकर विरोध दर्ज कराने के लिए पहुंची। गाजीपुर बॉर्डर पर सुबह मन की बात कार्यक्रम के दौरान से पहले ही काफी संख्या में किसानों के गुट इकट्ठा हो गए थे। 
मन की बात कार्यक्रम शुरू होने के बाद किसान नेताओं ने थालियों को पीट कर विरोध दर्ज कराया। किसानों का कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक किसानों की आवाज को पहुंचाने के लिए थाली पीटी जा रही है। वहीं, मन की बात कार्यक्रम का बहिष्कार करने के लिए सभी तीनों बॉर्डर पर ताली बजाओ कार्यक्रम रखा गया है। कुछ किसान नेताओं ने तेल के कनस्टर समेत अन्य बर्तनों को बजाकर भी विरोध दर्ज कराया।

उत्तराखंड से पहुंचा महिलाओं का जत्था
रविवार को सुबह उत्तराखंड से पहुंची महिलाओं ने कटोरी और करछी पीटकर मन की बात कार्यक्रम का विरोध दर्ज कराया। महिलाओं का कहना था कि किसान नेता पिछले 1 महीने से सड़क पर ठंड में ठीठुर रहे हैं, लेकिन किसानों की मांगों को माना नहीं जा रहा है बल्कि नजरअंदाज किया जा रहा है। इसको देखते हुए किसानों के साथ महिलाओं ने भी प्रधानमंत्री की मन की बात कार्यक्रम का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।

शहीदी दिवस मनाया गया
टिकरी बॉर्डर पर किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हरियाणा और पंजाब के कई जिलों से किसान यहां पहुंच रहे हैं। यहां कई किलोमीटर तक सड़क के दोनों और ट्रैक्टर खड़े हैं। हर नए दिन के साथ महिलाओं और बच्चों की संख्या भी बढ़ रही है। रविवार को यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के श्मन की बातश् कार्यक्रम का किसानों ने ताली, थाली बजाकर विरोध किया। 
प्रधानमंत्री ने जैसे ही कार्यक्रम में बोलना शुरू किया, तुरंत पीएम के संबोधन का विरोध शुरू हो गया। किसानों ने कहा कि इस समय देश का अन्नदाता संकट में है। ऐसे में प्रंधानमंत्री को किसानों की समस्या को समझते हुए। कृषि कानूनों को रद्द कर देना चाहिए। किसान नेता परविंदर सिंह संधू ने कहा कि आंदोलन को एक माह से अधिक का समय बीत गया है, लेकिन सरकार उनकी कोई सुध नहीं ले रही है। केंद्र को किसानों की समस्या को देखते हुए जल्द से जल्द कोई रास्ता निकलना होगा। अन्यथा ये आंदोलन ऐसे ही बढ़ता रहेगा। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून वापस होने के बाद ही किसान यहां से उठेंगे।
टिकरी बॉर्डर पर नहीं हुई भूख हड़ताल, शहीदी दिवस मनाया गया। टिकरी बॉर्डर पर मौजूद किसानों ने रविवार को शहीदी दिवस मनाया। इस दिन छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह, बाबा फतेह सिंह और माता गुजरी की शहादत हुई थी। किसानों ने कहा कि रविवार को शहीदी दिवस के रूप में मनाया गया। इस दिन कोई किसान भूख हड़ताल पर नहीं रहा। सोमवार को भी अनशन नहीं होगा। मंगलवार से हड़ताल फिर शुरू हो जाएगी।
वहीं ढांसा बार्डर पर भारतीय किसान यूनियन ने भूख हड़ताल के साथ-साथ शहीदी दिवस भी मनाया। इस मौके पर भाकियू दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विरेन्द्र डागर ने सभी के साथ मिलकर ताली व थाली बजाकर अपना विरोध प्रकट किया।

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