• DENTOTO
  • सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों पर लगाई रोक, फिर भी किसान कर रहे वापस लेने की मांग

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    July 2025
    M T W T F S S
     123456
    78910111213
    14151617181920
    21222324252627
    28293031  
    July 18, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों पर लगाई रोक, फिर भी किसान कर रहे वापस लेने की मांग

    नजफगढ़ मेट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- नए कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर के किसान संगठन करीब डेढ़ महीने से राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र सरकार और किसानों के बीच लंबे वक्त से चल रही बातचीत के बावजूद कोई हल नहीं निकलने पर सर्वोच्च न्यायालय ने कानूनों के अमल पर रोक लगा दी। लेकिन किसान अब भी तीनों कृषि बिलों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए है। आखिर किसानों की इन बिलो को लेकर क्या शंका है आईये इसके बारे में जानेः-
    शीर्ष अदालत ने मोदी सरकार के नए कृषि काूननों के लागू होने पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। अदालत ने इन कानूनों की समीक्षा के लिए चार सदस्यीय समिति गठित की है। समिति में भारतीय किसान यूनियन के भूपेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी (कृषि विशेषज्ञ), अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल घनावंत (शेतकारी संगठन) हैं।
    1
    ‘कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्द्धन एवं सरलीकरण) विधेयक-2020’
    इसमें सरकार कह रही है कि वह किसानों की उपज को बेचने के लिए विकल्प को बढ़ाना चाहती है। किसान इस कानून के जरिए अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे। निजी खरीदारों से बेहतर दाम प्राप्त कर पाएंगे, लेकिन सरकार ने इस कानून के जरिए एपीएमसी मंडियों को एक सीमा में बांध दिया है। इसके जरिए बड़े कॉरपोरेट खरीदारों को खुली छूट दी गई है। बिना किसी पंजीकरण और किसी कानून के दायरे में आए हुए वे किसानों की उपज खरीद-बेच सकते हैं। किसानों के लिए एक अलग विवाद समाधान तंत्र की स्थापना का प्रावधान भी किया गया है। सरकार के अनुसार, यह विधेयक भारत में ‘एक देश, एक कृषि बाजार’ के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगा।

    प्रमुख लाभ
    कृषि क्षेत्र में उपज खरीदने-बेचने के लिए किसानों व व्यापारियों को अवसर की स्वतंत्रता।
    लेन-देन की लागत में कमी।
    मंडियों के अतिरिक्त व्यापार क्षेत्र में फार्मगेट, शीतगृहों, वेयरहाउसों, प्रसंस्करण यूनिटों पर व्यापार के लिए अतिरिक्त चैनलों का सृजन।
    किसानों के साथ प्रोसेसर्स, निर्यातकों, संगठित रिटेलरों का एकीकरण, ताकि मध्स्थता में कमी आएं।
    देश में प्रतिस्पर्धी डिजिटल व्यापार का माध्यम रहेगा, पूरी पारदर्शिता से होगा काम।
    अंततः किसानों द्वारा लाभकारी मूल्य प्राप्त करना ही उद्देश्य ताकि उनकी आय में सुधार हो सकें।
    वैकल्पिक व्यापार चैनल उपलब्ध होने से किसानों को लाभकारी मूल्य मिलेंगे, अंतरराज्यीय व राज्य में व्यापार सरल होगा

    विरोध
    विपक्ष का कहना है कि यदि किसान पंजीकृत एपीएमसी के बाहर अपनी फसल को बेचेंगे, तो राज्य मंडी शुल्क जमा नहीं कर पाएंगे, इसके चलते राज्य के राजस्व को नुकसान होगा। यह अंततः एमएसपी-आधारित खरीद प्रणाली को समाप्त कर सकता है। इससे ई-एनएएम मंडी संरचना नष्ट हो जाएगी।

    2
    कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक, 2020
    यह विधेयक किसानों को बगैर किसी शोषण के भय के प्रसंस्करणकर्त्ताओं, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा कारोबारियों, निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम बनाएगा। किसान प्रत्यक्ष रूप से विपणन से जुड़ सकेंगे, जिससे मध्यस्थों की भूमिका समाप्त होगी और उन्हें अपनी फसल का बेहतर मूल्य प्राप्त हो सकेगा। वहीं कृषि उपज को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने हेतु आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण तथा कृषि अवसंरचना के विकास हेतु निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

    प्रमुख लाभ
    रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आर एंड डी) समर्थन।
    उच्च और आधुनिक तकनीकी इनपुट।
    अन्य स्थानीय एजेंसियों के साथ साझेदारी में मदद।
    अनुबंधित किसानों को सभी प्रकार के कृषि उपकरणों की सुविधाजनक आपूर्ति।
    क्रेडिट या नकद पर समय से और गुणवत्ता वाले कृषि आदानों की आपूर्ति।
    शीघ्र वितरणध्प्रत्येक व्यक्तिगत अनुबंधित किसान से परिपक्व उपज की खरीद।
    अनुबंधित किसान को नियमित और समय पर भुगतान।
    सही लॉजिस्टिक सिस्टम और वैश्विक विपणन मानकों का रखरखाव।

    विरोध
    इस कानून को लेकर विपक्ष का कहना है कि प्रायोजक छोटे और सीमांत किसानों से डील करना पसंद नहीं करते हैं, जिससे किसानों की अपनी जरूरतों की खरीद फरोख्त करने की क्षमता कम हो जाएगी।बड़ी निजी कंपनियों, निर्यातकों, थोक विक्रेता विवादों के चलते इन किसानों से किनारा कर लेंगे।

    3
    आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020
    भारत में अधिकांश कृषि-वस्तुएं आवश्यकता से अधिक हो चुकी हैं, लेकिन किसानों को कोल्ड स्टोरेज, गोदामों, प्रसंस्करण और निर्यात में निवेश की कमी के कारण अच्छा मूल्य प्राप्त नहीं हो पा रहा है। इस कानून से कोल्ड स्टोरेज में निवेश को बढ़ावा देने और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को आधुनिक बनाने में मदद मिलेगी। यह मूल्य स्थिरता लेकर आएगा, जिससे किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को फायदा होगा। इससे प्रतिस्पर्धी बाजार का माहौल तैयार होगा और भंडारण सुविधाओं की कमी के कारण होने वाली कृषि उत्पादों की बर्बादी को भी रोका जा सकेगा।

    प्रमुख लाभ
    निवेशकों के व्यावसायिक कार्यों में अत्यधिक विनियामक हस्तक्षेप वाली उनकी आशंकाओं को दूर करना है।
    उत्पादन, संचालन, स्थानांतरण, वितरण और आपूर्ति की स्वतंत्रता से अर्थव्यवस्थाओं को बड़े पैमाने तक पहुंचाने में मदद करेगा।
    निजी क्षेत्र-कृषि क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित होगा।
    यह कोल्ड स्टोरेज में निवेश और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला के आधुनिकीकरण में सहायता करेगा।

    विरोध
    इस कानून को लेकर किसानों का कहना है कि बड़ी कंपनियों को स्टॉक कमोडिटीज की स्वतंत्रता होगी, इसका मतलब है कि वे किसानों के लिए शर्तों को निर्धारित करेंगे, जिससे किसानों को कम कीमत पर भी अपनी फसल बेचनी पड़ सकती है।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox