• DENTOTO
  • वसुंधरा राजे के रूख पर टिकी है भाजपा की रणनीति

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    June 2025
    M T W T F S S
     1
    2345678
    9101112131415
    16171819202122
    23242526272829
    30  
    June 11, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    वसुंधरा राजे के रूख पर टिकी है भाजपा की रणनीति

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/जयपुर/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- राजस्थान में भाजपा की सचिन पायलट के सहारे सत्ता पाने की रणनीति पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर टिकी है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया वसुंधरा राजे के वफादारों में हैं। राजस्थान भाजपा में तकरीबन 45 विधायक पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे में आस्था रखते हैं। जिसके चलते वसुंधरा अब खुलकर राजस्थान में अपना राजनीतिक गेम खेल रही है। वहीं भाजपा की भी सबसे बड़ी मजबूरी यही है कि राजस्थान में वसुंधरा राजे को टक्कर देने वाला भाजपा में दूसरा कोई चेहरा नही है। हालांकि भाजपा के लिए वसुंधरा को राजी करना एक पेचीदा मसला है। केंद्र में वसुंधरा के पुत्र और सांसद दुष्यंत सिंह लगातार हाशिए पर हैं। वसुंधरा का केंद्र के शीर्ष नेताओं से छत्तीस का आंकड़ा है। दूसरे बड़ा सवाल अशोक गहलोत की सरकार गिरने पर राज्य में मुख्यमंत्री पद को लेकर भी है।
    यहां बता दें कि वसुंधरा और अशोक गहलोत में दो विपरीत राजनीतिक दल के नेता वाली सामंजस्यपूर्ण केमिस्ट्री है। दोनों सत्ता में रहने पर एक-दूसरे को बहुत तकलीफ नहीं देते। दूसरे राजस्थान सत्ता विरोधी लहर वाला प्रदेश है। पांच साल बाद भाजपा, फिर कांग्रेस सत्ता में आ रही है।
    इसलिए वसुंधरा राजे अपने भावी मुख्यमंत्री के भविष्य से कोई समझौता नहीं करना चाहतीं। भाजपा के शीर्ष नेताओं की तरफ से मुख्यमंत्री बनाए जाने का विकल्प दिए जाने पर भी वसुंधरा के राजी होने की संभावना कम है। क्योंकि राजस्थान में मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार की हालत को देखकर इसके लिए तैयार होने से परहेज कर सकती हैं।
    वहीं राजस्थान में भाजपा के पास वसुंधरा के अलावा कोई दूसरा जनाधार वाला बड़ा नेता नहीं है। युवा राज्यवर्धन सिंह राठौड़, केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल इनमें से कोई भी बड़ी हैसियत का नेता नहीं हैं। सच यह भी है कि वसुंधरा ने इन्हें उभरने भी नहीं दिया। पार्टी के विधायकों में उनकी ही संख्या अधिक है, जिन्हें वसुंधरा ने वीटो के जरिए 2018 के विधानसभा चुनावों में टिकट दिलवाया था। यही कारण है कि दूसरे विरोधी गुट के सहारे राजस्थान में वसुंधरा राजे पर राजनीतिक हमला बढ़ाया जा रहा है। वसुंधरा राजे के करीबी, राजस्थान के पूर्व मंत्री, वर्तमान में भाजपा विधायक का कहना है कि सांसद हनुमंत बेनीवाल जैसे लोगों की कोशिशें इसी का हिस्सा हैं।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox