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गढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- सरकार की धान नीति को लेकर आज विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाये। पूर्व मुख्यमंत्री और कुलदीप बिश्नोई ने सरकार से धान की बुआई पर लगाई पांबदी का विरोध करते हुए इसे तुरंत वापस लेने की मांग की। इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा व कुलदीप बिश्नोई ने डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए कई मसलों पर अपनी बात रखी। उन्होंने कोरोना से लड़ाई, लॉकडाउन में ढील, धान बुआई पर पाबंदी, शराब घोटाले की जांच और मध्यम व निम्न तबके को आर्थिक राहत देने समेत कई मुद्दों पर पत्रकारों से संवाद किया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वो महामारी के इस नाजुक दौर में विवाद नहीं संवाद के जरिए अपनी बात सरकार तक पहुंचाना चाहते हैं। उन्होंने सरकार के धान बुआई पर पाबंदी लगाने के फैसले का पुरजोर विरोध किया और कहा कि इस फैसले को फौरन वापिस लेना चाहिए। भू-जल की चिंता करना जरूरी है लेकिन इसके लिए सरकार को अपनी तरफ से भी कदम उठाने चाहिए। साथ ही उन्होने सुझाव दिया कि सरकार को हरियाणा की सबसे बड़ी दादूपुर नलवी वॉटर रीचार्ज कैनाल परियोजना को फिर से शुरू करना चाहिए। एसवाईएल के पानी को लाने के लिए कोशिशें करनी चाहिए। हांसी-बुटाना नहर में पानी लाने की योजना बनानी चाहिए। झील खुदवाने से लेकर ड्रिप सिस्टम से सिंचाई पर जोर देना चाहिए। ये सब करने की बजाए, ऐन बुआई से पहले कई ब्लॉक में धान पर पाबंदी लगाना कतई गलत है।
हुड्डा ने कहा कि सरकार को धान से ज्यादा मुनाफे वाली वैकल्पिक फसलों के बारे में किसानों को बताना चाहिए। वैकल्पिक फसल उगाने से किसान को होने वाले घाटे की भरपाई भावांतर योजना के तहत करनी चाहिए। महज 7 हजार रुपये प्रति एकड़ के ऐलान से किसान धान छोड़ने के लिए राजी नहीं है। क्योंकि इससे पहले भी सरकार ने ‘जल ही जीवन है’ योजना के तहत जो 2 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि और बीमा का वादा किया था, वो भी पूरा नहीं किया। किसी किसान को ना प्रोत्साहन राशि मिली और ना ही बीमा का मुआवजा। उन्होंने कहा सरकार डी एस आर पद्धति को प्रोत्साहन दे ।और जो पांच हजार प्रोत्साहन राशि देने का वायदा था जो पीछे नहीं मिला, वो देना सुनिश्चित करे । हुड्डा ने कहा कि बहरहाल किसानों पर एकाएक फैसला थोपने की बजाए, सरकार उन्हें वैकल्पिक फसलों पर विचार करने के लिए वक्त दे। महामारी के दौर में उनपर ऐसे फैसले थोपना गलत है। इनके बारे में हालात सामान्य होने के बाद विचार किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि आज सरकार का सारा जोर गेहूं और सरसों की खरीद, मंडियों से उठान और फसल की पेमेंट पर होना चाहिए। क्योंकि हरियाणा इस मामले में पंजाब से पीछे है। जहां पंजाब में अबतक 95 फीसदी गेहूं खरीद और साथ- साथ किसानों की पेमेंट भी हो रही है। वहीं हरियाणा ने 130 लाख मीट्रिक टन के अनुमानित उत्पादन में से सिर्फ 57 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही खरीदी है। उठान सिर्फ 29 लाख मीट्रिक टन का हुआ है और ज्यादातर किसानों की पेमेंट पेंडिंग है। किसानों की पूरी फसल खरीदने की बजाए, इस बार टारगेट ही 75 लाख मीट्रिक टन खरीद का रखा है, जोकि पिछली बार की 94 लाख मीट्रिक टन खरीद के मुकाबले कम है।
हरियाणा पर बढ़ते कर्ज के बारे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एकबार फिर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार में प्रदेश पर 2 लाख करोड़ का कर्ज हो चुका है। लेकिन सरकार अब भी कह रही है कि हमें और कर्ज लेने की जरूरत है। हुड्डा ने कहा कि अगर सरकार कर्ज ले रही है तो उससे गरीब, किसान, मजदूर, दिहाड़ीदार, दुकानदार, छोटे व्यापारी और मध्यम वर्ग को आर्थिक राहत देनी चाहिए। निम्न, मध्यम वर्ग और छोटे दुकानदारों के 3 महीने तक बिजली बिल में 300 यूनिट माफ होनी चाहिए। लघु, कुटीर और मध्यम क्षेत्र के उद्योगों के लिए आर्थिक पैकेज का ऐलान होना चाहिए। बीजेपी सरकार पहले ही डीजल पट्रोल पर हमारे कार्यकाल 9.24: वैट को बढ़ाकर 17.4ः कर चुकी थी अब इस नाजुक दौर में सरकार को पेट्रोल-डीजल, फल-सब्जी पर टैक्स लगाकर और बस किराया बढ़ाकर आम आदमी पर मार की बजाए, सक्षम लोगो पर या शराब सिगरेट आदि पर टैक्स लगाना चाहिए। शराब घोटाले पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सिर्फ एक गोदाम की बात नहीं है। बल्कि एसआईटी को इस बात की भी जांच करनी चाहिए कि ठेके बंद होते हुए भी पूरे हरियाणा में शराब की बिक्री कैसे हो रही थी? कौन इस अवैध बिक्री को अंजाम दे रहा था? उन लोगों को किसका संरक्षण प्राप्त था?
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