
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/इस्लामाबाद/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- आतंकवाद का पर्याय बन चुके पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है। पाई-पाई के लिए मोहताज पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अब विदेशों से मिलने वाले कर्ज के सहारे चल रही है। धन की तंगी झेल रहे पाकिस्तान ने 2019-20 में विदेशी स्रोतों से कुल मिलाकर 10.447 अरब डॉलर का कर्ज लेने के अनुबंध किए। यह इससे पिछले वर्ष के दौरान लिए गए 8.4 अरब डॉलर के कर्ज से एक चैथाई अधिक है। जिससे इमरान सरकार की साख भी दाव पर लग गई है। पाकिस्तान ने इन कर्जों के लिए बहुपक्षीय वित्तीय संगठनों और वाणिज्यक बैंकों का सहारा लिया है।
विदेशी आर्थिक सहायता (2019-20) के बारे आर्थिक मामलों के मंत्रालय की वार्षिक रपट में कहा गया है कि आलोच्य अवधि में देश को विदेशी वित्तीय सहायता में 99 प्रतिशत हिस्सा कर्ज और एक प्रतिशत अनुदान का है। पाकिस्तान को पिछले वित्त वर्ष के दौरान मिली 10.447 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता में 6.79 अरब डॉलर एशियायी विकास बैंक, विश्व बैंक और इस्लामिक विकास बैंक जैसी बहुपक्षीय संगठनों से मिले। इसके अलावा 3.463 अरब डॉलर विदेशी बैंकों से वाणिज्यक कर्ज तथा 19.3 करोड़ रुपये दूसरे देशों की सरकारों से कर्ज के रूप में प्राप्त हुए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्ज की किस्तों का स्तर ऊंचा होने के बावजूद 2019-20 में पाकिस्तान विदेशी सहायता जुटाकर अपनी देनदारियां पूरी करने में सफल रहा। रपट में यह भी कहा है कि पाकिस्तान सरकार विदेशों से ऊंची लगात पर अल्पकालिक नकद कर्ज सहायता की जगह उदार शर्तों वाले दीर्घकालिक ऋण पाने पर ध्यान दे रही है।
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