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    कोरोना काल में बढ़ी तुलसी, गिलोय और औषधीय पौधों की मांग

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- जैसे-जैसे कोरोना महामारी फैलती जा रही है वैसे-वैसे आयुर्वेदिक दवाओं के साथ-साथ औषधीय पौधों की भी मांग बढ़ती जा रही है। लोग काढ़े के रूप में तुलसी, गिलोय, आंवला व एलोविरा का प्रयोग कर रहे है। जिसकारण औषधीय पौधों के दाम अब आसमान छूने लगे है। जिसे देखते हुए अब कोरोना काल में किसान भी मांग व दाम को देखते हुए औषधीय पौधों की खेती की तरफ रूख कर रहे है। जिसकारण कई राज्यों में तुलसी, गिलोय, आंवला व ऐलोविरा की खेती का रकबा भी काफी बढ़ गया है।
    कोविड प्रकोप के बाद जिस तेजी से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में तुलसी, अश्वगंधा, गिलोय जैसे औषधीय पौधों का इस्तेमाल शुरू हुआ है, उसका असर इनकी खेती पर भी देखने को मिल रहा है। मध्यप्रदेश, हरियाणा व उत्तरप्रदेश में अब किसानों का रूझान औषधीय पौधों की खेती करने की तरफ बढ़ रहा है। तुलसी के साथ ही कई जगहों पर मेंथी, एलोवेरा जैसी औषधीय महत्व के पौधे भी बड़ी मात्रा में उगाए जा रहे हैं। इनको बड़ी कंपनियां सीधे किसानों से अच्छी कीमत पर खरीद रही हैं।
    पिछले करीब छह माह से पूरा देश कोविड महामारी की चपेट में है। इस दौरान प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर खास जोर दिया जा रहा है। आयुर्वेद में तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा आदि को प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला माना गया है। इस वजह से बाजार में इनकी मांग भी बढ़ी है। पिछले वर्ष ब्लॉक बंगरा, मऊरानीपुर, गौराठा में 400 किसानों ने तुलसी रोपी थी लेकिन अबकी बार इनकी संख्या बढ़ गई।
    सरकारी आंकड़ों की माने तो पिछले वर्ष करीब कई राज्यों के विभिन्न भागों में करीब 6000 हेक्टेयर में तुलसी व दूसरे औषधीय पौधों की खेती की गई थी। जो अब बढ़कर 10000 हेक्टेयर के करीब पंहुच गया है। बाहर की कई कंपनियां भी अपने स्तर पर इनका उत्पादन करा रही हैं। तुलसी की श्यामा एवं रामा प्रजाति की मांग सबसे अधिक है। तीन माह में इसकी फसल तैयार हो जाती है। इन दिनों जुलाई-सिंतबर के बीच फसल लगाई गई है। तुलसी का पत्ता समेत बीज, जड़, तना काफी उपयोगी होता है, इसलिए व्यवसायी किसानों को पूरे पौधे का दाम देते हैं। लागत के मुकाबले फायदा अधिक होने से किसान भी तुलसी लगाने में दिलचस्पी दिखाते हैं। अन्य जानवर भी इस पौधे को नुकसान नहीं पहुंचाते, इस वजह से इनकी देखभाल की भी अधिक आवश्यकता नहीं पड़ती। इसी तरह अश्वगंधा, एलोवेरा एवं गिलोय का भी पिछले वर्ष के मुकाबले उत्पादन बढ़ गया है। इसी तरह मोंठ, चिरगांव में किसान पिपरमेंट अथवा मेंथा का भी व्यापक पैमाने पर उत्पादन कर रहे हैं।

    औषधीय खेती के लिए सरकार भी करती है मदद
    देश के विभिन्न हिस्सों में तुलसी एवं एलोवेरा की खेती के लिए सरकार भी किसानों की मदद करती है। इस संबंध में बुंदेलखंड के उद्यान अधीक्षक भैरम सिंह के मुताबिक तुलसी उत्पादन के लिए किसानों को 13278 रुपये प्रति हेक्टेयर जबकि एलोवेरा के लिए 18 हजार रुपये की मदद की जाती है। उत्पादन के बाद कई कंपनियां किसानों से सीधे उत्पाद खरीदतीं हैं।

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