
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/अंबाला/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- आखिरकार देशवासियों का इंतजार खत्म हुआ और बाहुबली फाइटर जेट राफेल की पहली खेप भारत पहुंच गई। फ्रांस से उड़ान भरने के बाद पांचों राफेल लड़ाकू विमान भारतीय जमीन में पहुंच गए हैं। हरियाणा के अंबाला एयरबेस में बुधवार को राफेल विमान लैंड हुए, जहां उनका स्वागत वाटर सैल्यूट के साथ किया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर राफेल की लैंडिंग की जानकारी दी।
इस दौरान राफेल का स्वागत करने के लिए वायुसेना चीफ आरकेएस भदौरिया भी मौजूद रहे। राफेल की लैंडिंग के मद्देनजर पुलिस ने सैन्य अड्डे के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी है।लड़ाकू विमानों के इस बेड़े ने सोमवार को फ्रांसीसी बंदरगाह शहर बोरदु के मेरिग्नैक एयरबेस से उड़ान भरी। ये विमान लगभग 7,000 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद बुधवार दोपहर अंबाला पहुंचे।
इससे पहले राफेल ने करीब 11 बजे संयुक्त अरब अमीरात के अल दफरा से टेक ऑफ किया। अधिकारियों ने बताया कि इन विमानों में एक सीट वाले तीन और दो सीट वाले दो विमान होंगे। अधिकारियों ने अंबाला सैन्य अड्डे के आसपास निषेधाज्ञा जारी कर तस्वीरें लेने और वीडियो बनाने पर रोक लगा दी है। अधिकारियों ने पहले बताया था कि अंबाला जिला प्रशासन ने निषेधाज्ञा जारी कर सैन्य अड्डे के तीन किलोमीटर के दायरे में निजी ड्रोन उड़ाने पर भी रोक लगा दी है। धुलकोत, बल्देव नगर, गरनाला और पंजखोरा सहित सैन्य अड्डे से लगे गांवों में धारा 144 लागू कर चार या उससे अधिक लोगों के एकत्रित होने पर प्रतिबंध लगा दिया।
बता दें कि भारत ने 23 सितंबर 2016 को फ्रांसीसी एरोस्पेस कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था। इन विमानों को बुधवार दोपहर में भारतीय वायुसेना में स्चड्रन नम्बर 17 में शामिल किया जाएगा, जिसे च्गोल्डन एरोजज् के नाम से भी जाना जाता है।
हालांकि, इन विमानों को औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल करने के लिए मध्य अगस्त के आसपास समारोह आयोजित किया जा सकता है जिसमें रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और देश के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के शामिल होने की उम्मीद है। भारत ने जो 36 राफेल विमान खरीदे हैं उनमें से 30 विमान लड़ाकू जबकि छह प्रशिक्षक विमान हैं। अंबाला एयरबेस को भारतीय वायुसेना का महत्वपूर्ण बेस माना जाता है क्योंकि यहां से भारत-पाकिस्तान सीमा महज 220 किलोमीटर की दूरी पर है।
गौरतलब है कि राफेल विमान के अंबाला में लैंडिंग से पहले सुरक्षा के कड़े इंतेजाम किए गए थे। पूरे शहर में धारा 144 लगा दी गई थी. साथ ही यहां सिर्फ आधिकारिक फोटोग्राफी को इजाजत दी गई थी, अन्य किसी तरह की फोटोग्राफी पर बैन लगाया गया था। वहीं आसपास के गांव वालों से कहा गया है कि वो अपने घरों की छतों पर ना आएं।
जानिए क्या होता है वाटर सैल्यूट
वाटर सैल्यूट का मतलब पानी से सलामी देना होता है. विमान सेवा क्षेत्र में वाटर सैल्यूट का मतलब स्वागत करना भी होता है। मिलिट्री एयरक्राफ्ट और एयरलाइन सर्विस को एयरपोर्ट पर लैंड करने पर सम्मान देने के लिए वाटर सैल्यूट दिया जाता है। इस सैल्यूट में आमतौर पर आग बुझाने वाली दो गाड़ियां एयरक्राफ्ट पर पानी की बौछार करती हैं। किसी भी नए एयरक्राफ्ट की लैंडिंग और इसके टेकऑफ के समय वाटर सैल्यूट दिया जाता है। इस परंपरा का मकसद एयरक्राफ्ट का आभार जताना भी होता है। वाटर सैल्यूट में जो भी व्हीकल्स होते हैं वो सभी सम संख्या जैसे 2, 4,6 या 8 होते हैं।
कब हुई थी इस परंपरा की शुरुआत
माना जाता है कि भारत में वाटर सैल्यूट की शुरुआत 30 साल पहले 1990 में हुई थी। विशेषज्ञों के मुताबिक एयरक्राफ्ट के अलावा शिप्स को भी इसी तरह से सैल्यूट दिया जाता है। 2016 में जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे तो ला गौर्डिया एयरपोर्ट पर उन्हें वाटर सैल्यूट दिया गया था।
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