भारत समेत 18 पड़ोसी देशों के इलाके पर है चीन की नजर

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भारत समेत 18 पड़ोसी देशों के इलाके पर है चीन की नजर

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- चीन का सीमा विवाद आज कोई नई बात नही है। चीन की विस्तारवादी महत्वकांक्षा ने ही आज उसके सभी पड़ौसियों से रिश्ते खराब कर दिये है। जिसकारण सिर्फ भारत नही बल्कि भूटान समेत सभी 18 पड़ोसियों से उसका सीमा विवाद चल रहा है और पड़ौसी देशों के इलाकों पर अपनी नजर जमाये बैठा है जिसके लिए चीन इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्था और वैश्विक दबाव को भी वह ठेंगा दिखाता रहा है। यहां तक कि स्पार्टली द्वीप विवाद में फिलीपींस के पक्ष में आए आईसीजे के फैसले को भी उसने दरकिनार कर रखा है।
सूत्रों के मुताबिक, लद्दाख में पीएम मोदी के विस्तारवाद का जिक्र करने से तिलमिलाया चीन ने तत्काल बयान दिया। जबकि पीएम ने चीन का नाम भी नहीं लिया था। चीन ने कहा था कि उसने 14 पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद शांति से सुलझाया है। भारत चीन से सीमा विवाद करीब 3500 किलोमीटर एलएसी पर है। चीन लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक कहीं भी विवाद खड़ा करता रहता है। ताजा विवाद पूर्वी लद्दाख के चार जगहों पर है। इसके अलावा चीन भारत के 38,000 वर्ग किलोमीटर वाले अक्साई चीन पर अपना कब्जा जमाए बैठा है। भारत की तरफ से इसके बारे में बात करने से ही चीन तिलमिला उठता है। सूत्रों के मुताबिक, लद्दाख के ताजा तनाव के पीछे चीन का अक्साई चीन को लेकर अंदेशा ही माना जा रहा है। साथ ही चीन लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का हिस्सा बता कर बार-बार अपनी दावेदारी ठोंकता रहता है।

भूटान 
दो दिन पहले भूटान के पूर्वी भाग में पहली बार दावेदारी जताकर चीन ने नया विवाद खड़ा किया है। वह भूटान के उत्तरी और पश्चिमी भाग में दावेदारी जताता रहा है। सूत्रों के मुताबिक, भूटान का पूर्वी भाग अरुणाचल से लगा हुआ है। लिहाजा इसे भूटान और भारत को एक साथ विवाद में घसीट ने की चाल माना जा रहा है।

बुरुनेई
बुरुनेई का एक्सक्लूसिव इकोनामिक जोन (ईईजेड) दक्षिण चीन सागर जाता है। चीन अपनी दादागिरी दिखाते ईईजेड भाग को अपना घोषित कर चुका है।

मलेशिया 
इसे लगने वाले दक्षिण चीन सागर और ईईजेड में दावेदारी

लाओस
चीन लाओस को 1271 से 1368 तक राज करने वाले अपने युवान वंश का हवाला देकर पर पूरे लाओस को चीन का हिस्सा करार दे चुका है।

कंबोडिया
लाओस की तरह कंबोडिया को भी 1368 से 1644 तक राज करने वाले वंश का हवाला देकर अपना हिस्सा मानता है। चीन की दलील है कि इस वंश का शासनकाल कंबोडिया और लाओस में था।

थाईलैंड
थाईलैंड में मीकांग नदी में चीन जबरन अपने मालवाहक जहाज ले जाता है। चीन यूनान से दक्षिण पूर्वी एशिया तक अपना माल भेजने के लिए इसरूट का इस्तेमाल करता है। थाईलैंड का दावा है कि चीन ने नदी में बांध बनाकर प्राकृतिक बहाव को नुकसान पहुंचाया है।

जापान
जापान के साथ दक्षिण चीन सागर, सेंकाकू और रिउकेयू द्वीप पर पुराना विवाद है। जापान के वायु सीमा और ईईजेड को लेकर भी गंभीर तनातनी बनी रहती है।

वियतनाम
मेक्कालेस फील्ड तट, पारासोल और इस्पार्टले द्वीपों को लेकर विवाद के साथ दक्षिण चीन सागर में चीनी दखल का वियतनाम जबरदस्त विरोध कर रहा है।

नेपाल
दोलाखा में तीन पिलर और माउंट एवरेस्ट इलाके में दो पिलर को लेकर नेपाल से पुराना विवाद है। चीन नेपाल के कुछ हिस्से को तिब्बत का हिस्सा मानता है।

कजाकिस्तान 
कजाकिस्तान के 14,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर दावेदारी।

ताइवान 
लाओस की तरह युवान वंश के आधार पर पूरी ताइवान पर दावेदारी। 

उत्तर कोरिया 
माउंट पिकटू, याल तुमेरी नदी पर विवाद, पूरे उत्तरी कोरिया पर दावेदारी।

दक्षिण कोरिया 
पूर्वी चीन सागर में ली ऑडियो पर विवाद जापान की तरह एयर डिफेंस आर्डिफिकेश जोन और ईईजेड को लेकर विवाद।

ताजिकिस्तान
तनाव बनाकर ताजिकिस्तान से 1999 में 200 वर्ग किलोमीटर और 2002
में 1122 वर्ग किलोमीटर जमीन ले चुका है। अभी कई इलाकों में चीन की दावेदारी है।

किर्गिस्तान 
चीन पूरे किर्गिस्तान पर दावेदारी जताता है। फिलहाल 7250 वर्ग किलोमीटर को लेकर विवाद।

फिलहाल चीन भारत के साथ-साथ दक्षिणी चीन सागर में अपना दबदबा बनाने के लिए दबाव बढ़ा रहा है लेकिन भारत समेत दूसरे देश चीन की इस विस्तावादी नीति का पुरजोर विरोध कर रहे है जिसकारण चीन तिलमिलाया हुआ है और उलटी सीधी हरकत कर विश्व का माहौल खराब कर रहा है।

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